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Himachal: ‘कुछ कठोर निर्णय लेंगे’ जयराम रमेश ने बताया कांग्रेस का अगला प्लान; क्रॉस वोटिंग पर क्या बोलीं प्रियंका गांधी


नई दिल्ली।  लोकसभा चुनाव से पहले हिमाचल में कांग्रेस की सुक्खू सरकार पर खतरा मंडरा रहा है। राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के छह विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी, जिसके बाद अटकलें लगाई जा रही है कि क्या राज्य में कांग्रेस की सरकार गिरने वाली है। राज्य में पार्टी की स्थिति पर नजर रखने के लिए आलाकमान ने दो पर्यवेक्षक, डीके शिवकुमार, भूपेंद्र सिंह हुड्डा को शिमला भेजा। इस पूरे मामले को लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की।

 

कांग्रेस अध्यक्ष ने पर्यवेक्षकों से बात की: जयराम रमेश

उन्होंने कहा, “कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार, हरियाणा के पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा और हमारे प्रभारी राजीव शुक्ला वहां (शिमला) हैं। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष (मल्लिकार्जुन खरगे) से बात की है। उन्होंने उनसे विधायकों की शिकायतों को सुनने और जल्द से जल्द रिपोर्ट देने की बात कही है।

पार्टी कठोर निर्णय लेगी: कांग्रेस नेता

जयराम रमेश ने आगे कहा, “क्रॉस वोटिंग हुई। अब आगे सोचने का समय है। इस ‘ऑपरेशन लोटस’ से निपटने के लिए पार्टी क्या कदम उठाएगी। कांग्रेस अध्यक्ष ने इन वरिष्ठ साथियों से सभी से मिलने को कहा है। आगे जो कदम लेना है वो कांग्रेस अध्यक्ष अन्य नेताओं से बातचीत करके लेंगे। कुछ कठोर निर्णय लेंगे, उससे पीछे नहीं हटेंगे। संगठन सर्वोपरि है। कांग्रेस सर्वोपरि है। हिमाचल का जनादेश के साथ विश्वासघात नहीं होने देंगे।

कांग्रेस नेता विक्रमादित्य ने मंत्रिपद से इस्तीफा दिया

बुधवार सुबह हिमाचल के नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार की हार के बाद सुक्खू सरकार ने शासन करने का नैतिक अधिकार खो दिया है। वहीं, कांग्रेस नेता विक्रमादित्य ने मंत्रिपद से इस्तीफा दे दिया है।

प्रियंका गांधी ने भाजपा पर साधा निशाना

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने एक्स पर लिखा,”लोकतंत्र में आम जनता को अपनी पसंद की सरकार चुनने का अधिकार है। हिमाचल की जनता ने अपने इसी अधिकार का इस्तेमाल किया और स्पष्ट बहुमत से कांग्रेस की सरकार बनाई। लेकिन भाजपा धनबल, एजेंसियों की ताकत और केंद्र की सत्ता का दुरुपयोग करके हिमाचल वासियों के इस अधिकार को कुचलना चाहती है।”

इस मक़सद के लिए जिस तरह भाजपा सरकारी सुरक्षा और मशीनरी का इस्तेमाल कर रही है, वह देश के इतिहास में अभूतपूर्व है। 25 विधायकों वाली पार्टी यदि 43 विधायकों के बहुमत को चुनौती दे रही है, तो इसका मतलब साफ है कि वो प्रतिनिधियों के खरीद-फरोख्त पर निर्भर है।

इनका यह रवैया अनैतिक और असंवैधानिक है। हिमाचल और देश की जनता सब देख रही है। जो भाजपा प्राकृतिक आपदा के समय प्रदेशवासियों के साथ खड़ी नहीं हुई, अब प्रदेश को राजनीतिक आपदा में धकेलना चाहती है।

बता दें कि राज्यसभा चुनाव में क्या हुआ?

हिमाचल में कुल 68 विधायकों ने मतदान किया था। कांग्रेस के पास 40 विधायक थे, लेकिन इनमें से छह ने क्रॉस वोटिंग की। इसके बाद में कांग्रेस के पास 34 विधायक रह गए।

ऐसे में फिर बीजेपी के पास निर्दलीय मिलाकर 28 विधायक थे। क्रॉस वोटिंग के बाद बीजेपी उम्मीदवार के मतों की संख्या बढ़कर 34 हो गई।

दोनों ही दलों के पास 34-34 का आंकड़ा हो गया और पर्ची डालने के बाद बीजेपी के उम्मीदवार हर्ष महाजन की जीत हुई।