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INS Vikrant में इस्तेमाल होने वाली बिजली से रोशन हो सकता है आधा कोच्चि,


  • भारत (India) रविवार को अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस (75th Independence Day) मनाएगा और इस उपलक्ष्य पर दक्षिणी नौसेना कमान (SNC) ने इंजीनियरिंग चमत्कार एवं देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक (IAC) पोत आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) की झलक पेश की. आईएसी विक्रांत ने आठ अगस्त को अपना पहला समुद्री परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया था, जिसके बाद देश में बने सबसे बड़े और सबसे जटिल युद्धपोत ने कोच्चि में मीडियाकर्मियों के लिए शुक्रवार को अपने दरवाजे खोले.

दक्षिणी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल एके चावला (AK Chawla) ने 40,000 टन वजनी युद्धपोत पर कहा कि पांच दिवसीय परीक्षण देश के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण का एक ज्वलंत उदाहरण है. उन्होंने कहा, ‘यह सबसे जटिल युद्धपोतों का डिजाइन बनाने और उनके निर्माण की भारतीय नौसेना की क्षमता को प्रदर्शित करता है. यह इतनी बड़ी और जटिल पोत-निर्माण परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा करने की हमारे पोत-निर्माताओं और उद्योगों की क्षमता को भी दर्शाता है.’

लगभग 23,000 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित आईएएस को नौसेना ने ऐतिहासिक बताया है, क्योंकि इसने भारत को अत्याधुनिक विमान वाहक बनाने की क्षमता रखने वाले देशों के चुनिंदा समूह में शामिल कर दिया है. एक वरिष्ठ इलेक्ट्रिकल निगरानी अधिकारी कमांडर श्रीजीत ने बताया, ‘पोत में इस्तेमाल की जाने वाली विद्युत से आधा कोच्चि शहर रोशन हो सकता है.’ उन्होंने कहा, ‘पोत में उत्पन्न होने वाली बिजली की सटीक जानकारी नहीं दी जा सकती, क्योंकि यह खुफिया जानकारी है.’