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ISIS से लिंक, टेरर फंडिंग, प्रोफेसर का हाथ काटा… इन वजहों से लगा पीएफआई पर प्रतिबंध


नई दिल्ली, । आतंकी फंडिंग मामले में केंद्र सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है। सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और उससे जुड़े संगठनों पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। गृह मंत्रालय ने पीएफआई पर बैन को लेकर अधिसूचना जारी की है। सरकार ने पीएफआई पर प्रतिबंध का कारण बताया है। अधिसूचना में पीएफआई के काले कारनामों का पूरा चिट्ठा खोल दिया है।

दो राउंड में छापेमारी

बता दें कि पीएफआई के ठिकानों पर इसी महीने 22 और 27 सितंबर को छापेमारी की गई थी। 22 सितंबर को 106 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। जबकि कल हुई छापेमारी में 170 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया। वहीं, असम और महाराष्ट्र से पीएफआई के 25-25 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया। अब आपको बताते हैं कि पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की वजह क्या है।

ISIS से मिला PFI का लिंक

मंगलवार रात जारी अधिसूचना में बताया गया कि पीएफआई के कुछ संस्थापक सदस्य प्रतिबंधित संगठन SIMI के नेता हैं। इसमें बताया गया कि पीएफआई के जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश से भी लिंक हैं। अधिसूचना में ये भी कहा गया कि पीएफआई के आईएसआईएस जैसे आतंकी समूहों से भी संबंध मिले हैं।

कट्टरपंथ को बढ़ावा देने का आरोप

अधिसूचना में ये भी दावा किया गया है कि पीएफआई और उसके सहयोगी संगठन या मोर्चे गुप्त एजेंडे के तहत एक समुदाय को कट्टर बनाकर देश में असुरक्षा की भावना को बढ़ावा देने का काम कर रहे थे। इसीलिए पीएफआई के कुछ सदस्य अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों में शामिल हो गए थे।

फंड जुटाना था मकसद

गृह मंत्रालय ने बताया कि पीएफआई ने समाज के विभिन्न वर्गों जैसे युवाओं, छात्रों, महिलाओं, इमामों, वकीलों या समाज के कमजोर वर्गों के बीच अपनी पहुंच बढ़ाने के उद्देश्य से संगठनों की स्थापनी की। इसका एकमात्र मकसद इसकी सदस्यता, प्रभाव और फंड जुटाने की क्षमता को बढ़ाना है।

 

सांप्रदायिक सदभाव का माहौल बिगाड़ने का आरोप

पीएफआई और इसके सहयोगी संगठन कानून विरोधी कार्यों में संलिप्त रहे हैं। जो देश की अखंडता, संप्रभुता, और सुरक्षा के खिलाफ है। इनके कार्यों से शांति और सांप्रदायिक सदभाव का माहौल खराब करने और देश में उग्रवाद को बढ़ावा मिल सकता है।

पीएफआई कई आपराधिक और आतंकी मामलों में शामिल रहा है। ये देश की संवैधानिक प्राधिकार का अनादर करता है। ये देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन गया है। इसके अलावा पीएफआई और इसके संगठन हिंसक कार्यों में संलिप्त रहे हैं। जिनमें कॉलेज प्रोफेसर का हाथ काटना, अन्य धर्मों का पालन करने वाले लोगों की निर्मम हत्या करना, बम धमाके की साजिश रचना और सावर्जनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना शामिल है।