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Kanpur : अर्थी से जिंदा बताकर घर ले आए थे लाश, पड़ोसी बोले अक्सर घर में होता था हवन


कानपुर, आयकर विभाग के एसओ विमलेश गौतम की मौत डेढ़ साल पहले हो चुकी थी, लेकिन उनसे जुड़े किस्से अब सामने आ रहे हैं। परिवार वालों ने मोहल्ले वालों को इस तरह से विश्वास में लिया हुआ था कि वह अभी भी मानने को तैयार नहीं हैं कि विमलेश अब दुनिया में नहीं हैं। यह तब है जब 22 अप्रैल 2021 को चिता सजने के बाद विमलेश के जिंदा होने की बात कहकर परिवार वालों ने उनका इलाज शुरू करा दिया था।

रावतपुर थानाक्षेत्र के कृष्णापुरी निवासी रामऔतार गौतम फील्डगन फैक्ट्री से सेवानिवृत्त मशीनिस्ट हैं। वह 2012 में सेवानिवृत्त हुए थे। परिवार में पत्नी रामदुलारी और तीन बेटे हैं। बड़ा बेटा सुनील, मझला दिनेश और सबसे छोटे विमलेश कुमार थे। विमलेश आयकर विभाग में थे तो सुनील बिजली मिस्त्री था।

बाद में बिजली विभाग में ठेकेदारी भी करने लगा। सुनील फूलबाग स्थित सिंचाई विभाग में हेड असिस्टेंट है। जब मझले भाई दिनेश से बात की गई तो उन्होंने बताया कि विमलेश को कोरोना हो गया था, जिसका इलाज चल रहा था।

22 अप्रैल 2021 को बिरहाना रोड स्थित मोती अस्पताल में विमलेश की मृत्यु हो गई। स्वजन के मुताबिक वह अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे, अर्थी सज चुकी थी तभी शरीर में हलचल हुई। पास के ही क्लीनिक से डाक्टर को बुलाकर ईसीजी करवाया तो पता चला कि सांसें चल रही हैं। इसके बाद वह उन्हें बड़े निजी अस्पताल लेकर गए, लेकिन सभी ने मृत बताकर भर्ती करने के इंकार कर दिया। इसके बाद परिवार उन्हें घर पर ले आया और बीमार बता इलाज कराने लगा।

घर की दूसरी मंजिल पर कमरे को बना दिया आइसीयू : मोहल्ले वालों की मानें तो विमलेश के परिवार वालों ने घर की दूसरी मंजिल पर बने एक कमरे को आइसीयू का स्वरूप दे दिया था। शुरुआत में वह वहीं रखे गए। रोजाना आक्सीजन सिलिंडर आते थे।

पड़ोसियों ने बताया कि कभी कभार विमलेश को मुख्य गेट के पास तखत पर लेटा दिया जाता। तब मोहल्ले वाले भी दूर से उन्हें देख लेते। हर बार यही बताया जाता कि विमलेश कोमा में हैं। पड़ोसियों के मुताबिक करीब छह महीने पहले उन्हें बताया गया कि विमलेश ने शौच की है, जिससे बिस्तर खराब हो गया। हालांकि, पिछले डेढ़ महीने से मोहल्ले वालों ने विमलेश को नहीं देखा था।

पड़ोसियों से दूरी बनाकर रहता था परिवार : पड़ोसियों के मुताबिक सेवानिवृत्त डिफेंस कर्मी रामऔतार का लगभग 35 वर्षों से परिवार मोहल्ले में रह रहा है। शुरू से ही परिवार पड़ोसियों से दूरी बनाकर चलता था। इसी के चलते किसी भी पड़ोसी का रामऔतार के घर आना जाना नहीं था।

अक्सर घर पर होता था हवन : पड़ोसियों ने बताया कि रामऔतार के घर पर अक्सर हवन होता था। परिवार घर में पूजा होने की बात कहता था। हालांकि, घर से कभी शंख या फिर घंटे की आवाज नहीं आती थी।

तीन दिन बाद बदलते थे कपड़े व चादर : मौके पर पहुंची पुलिस को परिवारीजनों ने बताया कि हर तीसरे दिन विमलेश की पैंट व बेड की चादर बदला दी जाती थी। काफी समय विमलेश को दूसरी मंजिल के कमरे में रखने के बाद हाल ही में नीचे बने कमरे में शिफ्ट किया गया था, जिसका दरवाजा बंद रहता था।

पड़ोसी बोले कभी बदबू नहीं आई 

अक्सर गेट के पास विमलेश को लेटाया जाता था। कभी बदबू नहीं आई। इधर डेढ़ माह से उन्हें नहीं देखा था। हम लोगों को तो उनके बीमार होने की जानकारी थी।– आयशा

हम लोगों को तो यही पता था कि विमलेश कोमा में हैं। हालांकि, मैने उन्हें काफी अरसे से नहीं देखा था। जैसा परिवार के लोग बताते थे, हम लोग वही जानते थे। आज मामले की जानकारी होने पर आश्चर्य हो रहा है।– पप्पू

कोरोना काल में जितने भी लोगों की जान गई। सबका अंतिम संस्कार स्वास्थ्य विभाग की देखरेख में कराया गया। अगर विमलेश की मौत हो चुकी थी, तो स्वास्थ्य विभाग को उनके शव को घर वालों के सुपुर्द नहीं करना चाहिए था। यह सवाल था, लेकिन घरवाले उन्हें जिंदा बता रहे थे तो विश्वास करना पड़ रहा था।– आशीष शुक्ला 

कभी ऐसा महसूस नहीं हुआ कि विमलेश की मौत हो चुकी है। घटना की जानकारी होने के बाद से पूरा मोहल्ला स्तब्ध है। यकीन ही नहीं होता कि कोई इस तरह शव को घर पर रख सकता है।– नवनीत द्विवेदी