सुप्रीम कोर्ट में शिंदे और उद्धव गुट की ओर से दाखिल की गई कुल पांच याचिकाएं लंबित हैं। शिंदे गुट ने पिछली सरकार के डिप्टी स्पीकर द्वारा उनके व 15 अन्य विधायकों को भेजे गए अयोग्यता नोटिस को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लंबित होने के दौरान उनके द्वारा अयोग्यता मुद्दे पर सुनवाई किये जाने को गलत बताया है। शिव सेना के शिंदे गुट के अन्य 15 विधायकों ने अलग से भी ऐसी ही याचिका दाखिल कर रखी है। जबकि उद्धव ठाकरे गुट के शिंदे को मुख्यमंत्री नियुक्त करने के साथ ही स्पीकर की नियुक्ति और सदन की 3 व 4 जुलाई की कार्यवाही को चुनौती दी है।
उद्धव गुट ने विधानसभा का रिकार्ड मंगाने की मांग की
बुधवार को मामला जब सुनवाई पर आया तो उद्धव ठाकरे की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने महाराष्ट्र विधानसभा के नवनियुक्त स्पीकर की कार्यवाही पर सवाल उठाते हुए कहा कि स्पीकर के ओर से पार्टी द्वारा मान्यता दिए गए व्हिप के अलावा दूसरे व्हिप को मान्यता दिया जाना मनमाना है। सिब्बल ने कहा कि दसवीं अनुसूची का उल्लंघन हुआ है। मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित रहने के दौरान राज्यपाल को नए मुख्यमंत्री को शपथ नहीं दिलानी चाहिए थी।
सिब्बल ने मांग की कि कोर्ट विधानसभा की कार्यवाही का रिकार्ड अपने यहां मंगाए। उन्होंने कहा यहां सवाल है कि क्या अयोग्य सदस्य मतदान कर सकते हैं। स्पीकर ने पक्षपात किया है उनकी याचिका में हमारे लोगों को उसी दिन अयोग्यता नोटिस कर दिया और हमारी याचिका पर नहीं किया।
लक्ष्मण रेखा लांघे बगैर आवाज उठाना अयोग्यता नहीं है: शिंदे गुट की दलील
शिंदे गुट की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने उद्धव गुट की ओर से उन्हें अयोग्य ठहराने की दी गई दलीलों का विरोध किया। साल्वे ने कहा कि उन लोगों ने पार्टी नहीं छोड़ी है सिर्फ नेता को हटा कर नया नेता नियुक्त किया है। इसे अयोग्यता नहीं कहा जा सकता। लोकतंत्र में पार्टी के सदस्य जाकर पीएम से कह सकते हैं कि आप में विश्वास नहीं है आप बने नहीं रह सकते। अगर पार्टी के सदस्य जाकर कहते हैं कि इस मुख्यमंत्री को सदन का विश्वास प्राप्त नहीं है और वही पार्टी सदस्य दूसरे को नेता चुनते हैं तो इसमें अयोग्यता कहां से आयी। पीएम या सीएम को हटाने के लिए कहना अयोग्यता नहीं है। इनर पार्टी डेमोक्रेसी में हमें आवाज उठाने का अधिकार है। बिना लक्षमण रेखा लांघे, आवाज उठाना अयोग्यता नहीं है।
साल्वे ने कोर्ट से कहा कि उन्हें कुछ समय दिया जाए वे दूसरे पक्ष की ओर से दाखिल की गई सारी याचिकाओं का जवाब देंगे। पीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पक्षकारों से कहा कि वे सभी याचिकाओं का एक कामन कम्पाइलेशन दाखिल करें। साल्वे को सभी याचिकाओ का समग्र जवाब दाखिल करने की छूट दी। कोर्ट ने कहा कि उनका मानना है कि याचिकाओं में उठाए गए कुछ संवैधानिक मुद्दों पर बड़ी पीठ के विचार करने की जरूरत है। कोर्ट ने पक्षकारों को बड़ी पीठ के विचार को भेजे जाने वाले कानूनी सवाल तैयार करके 27 जुलाई तक देने को कहा कोर्ट मामले पर एक अगस्त को फिर सुनवाई करेगा। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पक्षकारों के वकील से सवाल पूछते हुए कहा कि वे अपनी जानकारी और जिज्ञासा के लिए सवाल पूछ रहे हैं इसे उनका किसी ओर झुकाव न समझा जाए। पीठ ने मीडिया से भी कहा।