- नई दिल्ली। नीति आयोग ने निजीकरण के लिए प्रस्तावित बैंकों की अपनी अंतिम सूची विनिवेश के लिए बने सचिवों के समूह को सौंप दी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी है। यह समूह इन नामों पर विचार कर केंद्रीय कैबिनेट को अपनी सिफारिश सौंपेगा। इस नामों पर अंतिम फैसला केंद्रीय कैबिनेट लेगा। चालू वित्त वर्ष के लिए आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दो सरकारी बैंकों और एक साधारण बीमा कंपनी के निजीकरण की घोषणा की थी। इन बैंकों और बीमा कंपनी की पहचान का जिम्मा नीति आयोग को सौंपा गया था। सरकार ने निजीकरण के लिए प्रारंभिक तौर पर बैंक ऑफ महाराष्ट्र, बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक, इन चार बैंकों का चयन किया है, जिनमें से दो का निजीकरण किया जाना है।
अधिकारी ने कहा, ”हमने कोर ग्रुप ऑफ सेक्रेटरीज ऑन डिसइंवेस्टमेंट को उन बैंकों ने नाम सौंप दिए हैं, जिनका निजीकरण किया जाना है।”
सचिवों के समूह में विनिवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन यानी दीपम विभाग, आर्थिक मामले, राजस्व, व्यय, कॉरपोरेट मामले, कानूनी मामले, सरकारी उपक्रम विभाग तथा प्रशासनिक विभागों के सचिव शामिल हैं। इस समूह की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव कर रहे हैं। उसके बाद इन नामों को शीर्ष मंत्रियों के समूह ऑल्टरनेटिव मैकेनिज्म को भेजा जाएगा।
कैबिनेट की मंजूरी के बाद प्राइवेटाइजेशने के लिए जरूरी नियामकीय प्रक्रिया शुरू होगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल में कहा था कि जिन बैंकों का निजीकरण किया जाएगा, उनके कर्मचारियों के हितों की पूरी तरह रक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा कर्मचारियों के वेतन और पेंशन का ख्याल रखा जाएगा।
प्राइवेटाइजेशन के पीछे के तर्क को स्पष्ट करते हुए सीतारमण ने कहा कि देश के बैंकों को भारतीय स्टेट बैंक की तरह बड़ा बनाने की जरूरत है।