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Patrolling Point 15 से पीछे हट सकती हैं भारत-चीन की सेनाएं, 16वें दौर की बैठक रही सकारात्मक


नई दिल्ली, । भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) पर चल रहे सीमा विवाद को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, पेट्रोलिंग पाइंट 15 के पास भी सैनिकों की वापसी (disengagement) हो सकती है। भारत और चीन की सेनाएं पेट्रोलिंग पाइंट 15 से पीछे हट सकती है। सूत्रों ने जानकारी दी कि 16वें दौर की भारत-चीन कोर कमांडर स्तर की बैठक के दौरान सकारात्मक चर्चा हुई, जिसके बाद यह उम्मीद जताई जा रही है कि हाट स्प्रिंग क्षेत्र के पेट्रोलिंग पाइंट 15 पर सैन्य तैनाती घटाने की दिशा में प्रगति की उम्मीद है।

उन्होंने कहा कि यह संभावना है कि भारतीय पक्ष फ्रिक्शन पाइंट से दक्षिण-पूर्व में करम सिंह हिल फीचर की ओर बढ़ सकता है, जबकि चीनी सेना (LAC) के किनारे स्थित बिंदु 5170 पहाड़ी की ओर उत्तर की ओर बढ़ सकती हैं। मई 2020 के बाद से जब चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर यथास्थिति को आक्रामक तौर पर बदलने की कोशिश की कोशिश की तो दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए और पेट्रोलिंग पाइंट-15 के पास मुसतैदी बढ़ा दी गई थी। बता दें कि एलएसी पर सैनिकों का अंतिम विघटन एक साल पहले हुआ था, जिसके कारण गोगरा में पेट्रोल प्वाइंट 17 ए पर गतिरोध का सीमित समाधान हुआ था। भारत और चीन ने भी पैंगोंग त्सो के दोनों किनारों से सैनिकों को हटा दिया गया। भारतीय सेना ने 2020 में चीनी आक्रामकता का कड़ा जवाब दिया और अपनी तैयारियों को मजबूत करने के लिए लद्दाख सेक्टर की ओर कई फार्मेशन चलाए।

13 घंटे चली थी 5वें दौर की सैन्य स्तरीय वार्ता

इसके पहले 15वें दौर की सैन्य स्तरीय वार्ता 11 मार्च, 2022 को हुई थी, जो 13 घंटे चली थी। तकरीबन 26 महीनों से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जारी सैन्य विवाद को सुलझाने के लिए भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच वार्ता का नेतृत्व लेह की 14वीं कोर के कमांडर ले. जनरल अनिंद्या सेनगुप्ता और चीनी दल का नेतृत्व दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिला प्रमुख मेजर जनरल यांग लिन ने किया।

मई 2020 के बाद से दोनों देशों के बीच हुआ सीमा गतिरोध

बता दें कि पैंगोंग झील क्षेत्रों में हिंसक झड़प के बाद 5 मई, 2020 को भारत और चीन की सेनाओं के बीच लद्दाख सीमा गतिरोध शुरू हुआ था। इसके बाद से दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों के साथ-साथ भारी हथियारों को लेकर अपनी तैनाती बढ़ा दी थी। गौरतलब है कि सैन्य और कूटनीतिक वार्ता की एक श्रृंखला के परिणामस्वरूप दोनों पक्षों ने पिछले साल पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे और गोगरा क्षेत्र में अलगाव की प्रक्रिया पूरी की है। प्रत्येक पक्ष के पास वर्तमान में संवेदनशील पहाड़ी क्षेत्र में एलएसी के साथ लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं।