नई दिल्ली। तीन दिन पहले निजी क्षेत्र के बैंक आरबीएल के प्रबंधन में बदलाव को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने हस्तक्षेप क्यों किया यह अभी भी स्पष्ट नहीं है। हालांकि केंद्रीय बैंक के इस कदम से निवेशक समुदाय में ऊहापोह की स्थिति है। इतना ही नहीं देश के कुछ दूसरे निजी बैंकों को लेकर भी बाजार में चर्चा होने लगी है। कुछ महीने पहले तक आरबीएल को निजी क्षेत्र में एक छोटा लेकिन सशक्त बैंक माना जा रहा था लेकिन इसमें आरबीआइ की तरफ से अतिरिक्त निदेशक की नियुक्ति के बाद हालात पूरी तरह से बदल गए हैं। इस फैसले के बाद बैंक के एमडी और सीईओ विश्ववीर आहूजा पद छोड़ चुके हैं और उनकी जगह पर राजीव आहूजा को अंतरिम एमडी और सीईओ बनाया गया है।
सोमवार को एक साथ कई निवेशक सलाहकार एजेंसियों ने बैंक के भविष्य को लेकर बेहद निराशाजनक रिपोर्ट दी और आरबीएल के शेयर भाव 23 प्रतिशत तक गिर गए। शेयर भाव को धराशायी होते देख भारतीय रिजर्व बैंक को एक विशेष बयान जारी करना पड़ा। इसमें बैंक के पास पर्याप्त पूंजी होने और वित्तीय स्थिति के संतोषप्रद होने की बात कही गई है। यह भी कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के वित्तीय परिणाम के मुताबिक आरबीएल बैंक का पूंजी पर्याप्तता अनुपात 16.33 प्रतिशत है। प्रोविजनिंग अनुपात 76.6 प्रतिशत है।