अपनी स्वतंत्रता के बाद से सबसे खराब आर्थिक और राजनीतिक संकट से गुजर रहे श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने हंगामे के बीच सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। इसमें विपक्षी दलों ने सर्वदलीय सरकार के लिए प्रधानमंत्री के साथ ही राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग की। विक्रमसिंघे ने विपक्ष की मांग मानते हुए इस्तीफे की पेशकश कर दी। उनकी तरफ से कहा गया कि सर्वदलीय सरकार के गठन और संसद में उसके बहुमत साबित करने के बाद वह अपना पद छोड़ देंगे।
कोलंबो के पाश फोर्ट इलाके में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी जमा हुए थे। इसी इलाके में राष्ट्रपति भवन भी है। प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस के साथ ही सेना और विशेष सुरक्षा बलों को भी लगाया गया था। लेकिन मार्च से ही गोटाबाया के इस्तीफे की मांग कर रहे प्रदर्शनकारी सारे अवरोधों तोड़ते हुए राष्ट्रपति भवन में घुस गए। इस दौरान हुई झड़प में कम से कम 45 लोगों के घायल होने की खबर है, जिनमें कई सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं।
गोटाबाया के किसी द्वीप पर होने की खबर
सूत्रों के मुताबिक 73 वर्षीय गोटाबाया को शायद इस तरह की घटना का पहले से ही अंदेशा था, इसलिए शुक्रवार को ही वह राष्ट्रपति भवन छोड़कर चले गए थे। आधिकारिक तौर पर नहीं बताया गया है कि गोटाबाया अभी कहां हैं, लेकिन मीडिया रिपोर्ट में उनके श्रीलंका के ही किसी सैन्य द्वीप पर होने की बात कही जा रही है। कुछ वीडियो में अधिकारी उनके सामान लेकर जाते हुए भी देखे गए हैं।
राष्ट्रपति भवन में प्रदर्शनकारियों का वीडियो वायरल
इंटरनेट मीडिया पर वायरल वीडियो में प्रदर्शनकारियों के राष्ट्रपति भवन में बेडरूम से लेकर ड्राइंगरूम में कब्जा जमाए देखा जा रहा है। बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति भवन के स्वीमिंग पूल में नहाते और गोता लगाते भी देखे जा रहे हैं।
मई में प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को भी छोड़ना पड़ा था पद
लिट्टे के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ने वाले पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को भी मई में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद भागना पड़ा था। उसके बाद ही बिगड़ते हालात को संभालने के लिए राष्ट्रपति गोटाबाया ने विपक्ष के नेता रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री नियुक्त किया था। बाद में वह संसद के लिए मनोनीत किए गए थे।