दरअसल, संघ लोक सेवा आयोगकी ओर से आयोजित होने वाली इस परीक्षा में बड़ी संख्या में बीटेक, बीई और एमबीबीएस, एमडी परीक्षा पास करने के बाद अभ्यर्थी सिविल सेवा की राह चुनते हैं। इसका नतीजा यह है कि ये सभी अपने-अपने फील्ड को छोड़कर प्रशासनिक सेवाओं की ओर बढ़ जाते हैं। इसके चलते कई डाॅक्टर और इंजीनियर नहीं मिल पा रहे हैं। इस पर ही संसदीय समित ने चिंता जताई है।
इस संबंध में समिति का कहना है कि सिविल सेवाओं में अधिकतर भर्तियां टेक्निकल और मेडिकल बैकग्राउंड से है। इसका असर सीधे संभवत: इन फील्ड्स पर पड़ रहा है। हर साल हम कई डाॅक्टर और टेक्नोक्रेट को खो रहे हैं, जो कि संंबंधित फील्ड में बेहतर काम कर सकते हैं। यह राष्ट्र के लिए भी बेहद जरूरी है।