पटना (निप्र)। आपराधिक कांडों के अनुसंधान में लापरवाही अब नहीं चलेगी। पुलिस मुख्यालय में हुई समीक्षा के बाद डीजीपी एसके सिंघल ने निर्देश दिया है कि जिन थानों में अनुसंधान के लिए ज्यादा कांड लंबित हैं, उन थानों को रेंज डीआईजी और आईजी चिह्नित करेंगे। वैसे थानों को चिह्नित कर डीआईजी समीक्षा करेंगे और लंबित होने का कारण पता कर पर्यवेक्षी पदाधिकारी और अनुसंधानकर्ता को कांड निष्पादित करने को लेकर जरूरी निर्देश देंगे।
समीक्षा के बाद जिला मुख्यालय के पुलिस पदाधिकारियों को डीजीपी ने लिखा है कि अपराध के मुख्य शीर्ष में लंबे समय तक कांड अनुसंधान के लिए लंबित नहीं होने चाहिए। उन्होंने लिखा है कि हत्या, डकैती, लूट और दुष्कर्म जैसी गंभीर आपराधिक घटनाओं से संबंधित कांड वर्षों तक लंबित रहना ठीक नहीं है। उन्होंने रेंज के आईजी और डीआईजी को अभियान चलाकर ऐसे मामलों को निष्पादित कराना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।
डीजीपी ने यह भी कहा है कि थानों में लॉ एंड ऑर्डर में पदस्थापित कुछ अच्छे पुलिस पदाधिकारी को अनुसंधान विंग में लिया जाए, ताकि समय पर अनुसंधान पूरा हो और उसकी गुणवत्ता भी अच्छी रहे। डीआईजी सुजीत कुमार ने कहा कि लंबित कांडों के निष्पादन के लिए वे समय-समय पर निर्देश देते रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई थानों को भी चिह्नित किया था और समीक्षा की थी। आगे भी वैसे थानों को चिह्नित कर समीक्षा करने की बात उन्होंने कही।
एएसपी और दोनों डीएसपी के पास पर्यवेक्षण के लिए लंबित कांडों की सूची सीआईडी के एडीजी ने भागलपुर एसएसपी को भेजी है। एडीजी ने एसएसपी को गंभीर कांडों का पर्यवेक्षण तीन दिनों में और बाकी कांडों का पर्यवेक्षण टिप्पणी सात दिनों में समर्पित कराना सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया है। उन्होंने एसएसपी को खुद पर्यवेक्षण के लिए लंबित कांडों के कारणों की समीक्षा कर रिपोर्ट सौंपने को कहा है।