देश की सर्वोच्च अदालत ने बुधवार को एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान आधार कार्ड से लिंक न होने की वजह से तीन करोड़ राशनकार्ड रद्द किए जाने को गंभीर मुद्दा बताया. इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र व राज्य सरकारों से जवाब भी तलब किया है.बता दें कि झारखंड की रहने वाली एक महिला कोइली देवी ने सर्वोच्च अदालत में याचिका दाखिल कर आरोप लगाया है कि आधार से लिंक न होने की वजह से तीन करोड़ से ज्यादा राशन कार्ड रद्द किए गए और इससे भुखमरी की नौबत आ गई.
शुरू में पीठ याचिका पर सुनवाई नहीं करना चाह रही थी
चीफ जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस ए एस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यम की पीठ शुरू में पीआईएल पर सुनवाई को लेकर अनिच्छुक थी, लेकिन बाद में जब वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्वेस ने आग्रह करते हुए कहा कि यह गंभीर मुद्दा है. तीन करोड़ राशन कार्ड आधार कार्ड से लिंक न होने की वजह से रद्द कर दिए गए हैं. आदिवासी इलाकों में इंटरनेट सेवाओं की कमी के कारण आधार विवरण के साथ राशन कार्डों की गैर-सीडिंग नहीं हुई. जिसके परिणामस्वरूप राशन कार्ड रद्द हो गए और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत गरीबों को उनके खाद्यान्न कोटा से वंचित कर दिया गया.
केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता ने किया आरोपों का खंड़न
वहीं केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि खाद्य सुरक्षा कानून में शिकायत निवारण की व्यवस्था है. अगर आधार नहीं है तो वैक्लिप डॉक्यूमेंट्स जमा कराए जा सकते हैं. सरकार साफ कह चुकी है कि आधार न होने की स्थिति में भोजन के अधिकारी से किसी को वंचित नहीं रखा जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकारों से चार सप्ताह में जवाब मांगा
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा कि ये गंभीर मुद्दा है. इसके बाद कोर्ट ने केंद्र और सभी राज्यों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है.