सम्पादकीय

खिलौना उद्योगको प्राथमिक


डा. जयंतीलाल भंडारी  

हालमें प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदीने देशके पहले खिलौना मेला २०२१ का वर्चुअल उद्ïघाटन करते हुए कहा कि खिलौना उद्योगका रणनीतिक विकास करके देश न केवल खिलौना उत्पादनमें आत्मनिर्भर बन सकता है, वरन् वैश्विक बाजारकी जरूरतोंको पूरा करनेकी डगरपर भी तेजीसे आगे बढ़ सकता है। वस्तुत: खिलौना मेलेके जरिये छात्रों, शिक्षकों, खरीददारों, विक्रेताओं, डिजाइनरों, उत्पादकों, सरकारी संघटनों समेत सभी हितधारकोंको एक मंचपर लाया गया है। अब वह खिलौनोंके डिजाइन, नवाचार, प्रौद्योगिकीसे लेकर पैकेजिंगतकपर विचार मंथन करके खिलौनोंके उत्पादन और एक्सपोर्टके लिए भारतको प्रभावी केंद्र बनानेकी नयी रणनीति बनायंगे। गौरतलब है कि इस समय वैश्विक खिलौना बाजारमें भारतका हिस्सा बहुत कम है, लेकिन अब भारतीय खिलौना बाजारके तेजीसे बढऩेका नया परिदृश्य उभरकर दिखाई दे रहा है। प्रधान मंत्री मोदीके अनुसार दुनियाभरका खिलौना उद्योग अभी करीब ७.२० लाख करोड़ रुपयेका है।

इसमें भारतकी हिस्सेदारी नगण्य है। भारत अपने खिलौनोंकी मांगका करीब ८५ फीसदी आयात करता है। दि इंटरनेशनल मार्केट एनालिसिस रिसर्च एंड कंसल्टिंगकी रिपोर्टके मुताबिक इस समय भारतमें खिलौना बाजार लगभग १२८१८ करोड़ रुपयेका है। यह २०२४ तक तेजीसे बढ़कर २४१७१ करोड़ रुपयेतक पहुंच सकता है। इस रिपोर्टके अनुसार भारतीय खिलौना बाजारमें आयातित खिलौनोंमेंसे लगभग ७० प्रतिशत खिलौने चीनसे आयातित होते हैं। वस्तुत: पिछले वर्ष २०२० में कोरोना संकटकी चुनौतियोंके बीच सरकार वोकल फॉर लोकल एवं आत्मनिर्भर भारत अभियानके तहत खिलौना उद्योगको अधिकतम प्रोत्साहन देने तथा खिलौना बाजारसे चीनके खिलौनोंको हटानेकी रणनीतिके साथ आगे बढ़ी है। अब देशका खिलौना उद्योग सरकारकी प्राथमिकतामें आ गया है, जो देशके खिलौना उद्योग कारोबारके लिए एक शुभ संकेत है। सरकारकी रणनीति है कि सिर्फ  घरेलू बाजारमें ही नहीं, दुनियाके खिलौना बाजारमें भी भारतीय खिलौनोंकी छाप दिखाई दे। खिलौना मैन्यूफैक्चरर्ससे कहा गया है कि वह ऐसे खिलौने बनायें, जिसमें एक भारत, श्रेष्ठ भारतकी झलक हो और उन खिलौनोंको देख दुनियावाले भारतीय संस्कृति, पर्यावरणके प्रति भारतकी गंभीरता और भारतीय मूल्योंको समझ सकें। नि:संदेह सरकार देशमें खिलौना उद्योगको हरसंभव तरीकेसे प्रोत्साहित कर रही है। सरकारने खिलौना उद्योगको देशके २४ प्रमुख सेक्टरमें स्थान दिया है। सरकारके द्वारा भारतीय खिलौनोंको वैश्विक खिलौना बाजारमें बड़ी भूमिका निभाने हेतु खिलौना उद्यमियोंको प्रेरित किया जा रहा है। सरकारकी बुनियादी नीतिमें एक बड़ा परिवर्तन यह आया है कि अब सरकार भारतीय खिलौनोंको प्रोत्साहित करते हुए खिलौनोंमें देशको आत्मनिर्भर बनाने और विदेशी खिलौनोंकी निर्भरताको कम करनेके लिए पूरी तरह जुट गयी है। केंद्र एवं विभिन्न राज्य सरकारोंके द्वारा स्थानीय खिलौना उद्योगको भारी प्रोत्साहन दिये जा रहे हैं। पिछले वर्ष फरवरी २०२० में खिलौना आयातके शुल्कमें २००  फीसदीकी वृद्धि की गयी है। इसके अलावा १ सितंबर, २०२० से आयात किये जानेवाले खिलौनोंके लिए ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैडर्डके मापदंड लागू कर दिये गये हैं। न्यूनतम क्वालिटी कंट्रोल कोरोना वायरस और वर्ष २०२१-२२ के बजटमें भी मेक इन इंडिया अभियानको प्रोत्साहन सुनिश्चित किये जानेसे स्वदेशी खिलौना उद्योगको भी प्रोत्साहन मिलेगा।

स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि सरकारके द्वारा खिलौनोंपर लगाये गये आयात प्रतिबंधोंसे चीनी खिलौनोंकी आवक बहुत थम गयी है। इसका फायदा जहां एक ओर खिलौनोंके स्थानीय व्यापारियोंको मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर खिलौना उद्योगमें रोजगार और स्वरोजगार संबंधी विभिन्न उजले अवसर बढ़ गये हैं। देशके कोने-कोनेमें कहीं भी सॉफ्ट टॉय मेकिंगको स्वरोजगारके रूपमें सरलतासे शुरू किया जा रहा है। ऐसेमें जहां बड़े पैमानेपर किये जा रहे खिलौनोंके आयातपर खर्च हो रही विदेशी मुद्रामें भी कमी आ सकेगी, वहीं खिलौनोंके वैश्विक बाजारमें निर्यात बढ़ाकर विदेशी मुद्राकी नयी कमाई बढ़ाई जा सकेगी। लेकिन अब देशके खिलौना सेक्टरको चमकीली ऊंचाई देनेके लिए खिलौना क्षेत्रके तहत एक लंबे समयसे चली आ रही विभिन्न बाधाओंको हटाया जाना जरूरी है। भारतीय खिलौनोंके क्षेत्रमें अपेक्षित विकास हेतु खिलौना उद्योगकी समस्याओंके समाधानोंके लिए कोई उपयुक्त लाभप्रद नीति शीघ्रतापूर्वक तैयार की जानी होगी। खिलौना उद्योगसे संबंधित विभिन्न एजेंसियोंके बीच खिलौना उद्योगके विकासके लिए उपयुक्त तालमेल बनाया जाना होगा। चूंकि खिलौना निर्माण इकाईके लिए न केवल उत्पादनके लिए, बल्कि तैयार उत्पादोंके भंडारण और इसकी पैकिंगके लिए पर्याप्त भूमिकी जरूरत होती है, अतएव खिलौना उद्योगके लिए भूमि संबंधी जरूरतकी उपयुक्त पूर्ति करनी होगी। इसी तरह देशके खिलौना उद्योगमें डिजाइन और इनोवेशनकी कमी दूर करनी होगी। साथ ही देशमें सुघटित खिलौना डिजाइन संस्थानकी स्थापनाको मूर्तरूप देना होगा। इससे गुणवत्तापूर्ण खिलौना उत्पादनको प्रोत्साहन मिल सकेगा। इसके अलावा खिलौना उद्योगके लिए बैंकोंसे ऋण तथा वित्तीय सहायता संबंधी बाधाओंको दूर करना होगा। खिलौनों उद्योगको जीएसटी संबंधी मुश्किलोंसे भी राहत दी जानी होगी।

इन विभिन्न बाधाओंके निराकरणसे भारतमें खिलौना उद्योगको तेजीसे आगे बढ़ाया जा सकेगा। हम उम्मीद करें कि सरकार देशको खिलौनोंका वैश्विक हब बनाने और खिलौनोंके वैश्विक बाजारमें चीनको टक्कर देनेकी रणनीतिको शीघ्र आकार देनेकी डगरपर तेजीसे आगे बढ़ेगी। हम उम्मीद करें कि सरकार खिलौना बनानेवाले कारीगरोंके कौशल प्रशिक्षणको उच्च प्राथमिकता देगी ताकि नये आइडिया और सृजनात्मक तरीकेसे गुणवत्तापूर्ण खिलौनोंका निर्माण हो सकेगा। साथ ही खिलौना निर्माणके वैश्विक मानकोंको भी पूरा किया जा सकेगा। हमें उम्मीद है कि वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारतके तहत सरकार चीनकी तरह भारतमें भी टॉय क्लस्टरको प्रोत्साहन देगी और इससे देशमें खिलौना उद्योगके विकासकी संभावनाएं मूर्तरूप ले सकेंगी। हम उम्मीद करें कि देशमें खिलौना उद्योगको आगे बढ़ानेके विभिन्न रणनीतिक प्रयासोंसे जहां देशके करोड़ों बच्चोंके चेहरेपर किफायती और गुणवत्तापूर्ण स्वदेशी खिलौनोंकी खुशियां दिखाई दे सकेंगी, वहीं खिलौनोंके आयातमें कमी तथा खिलौनोंके निर्यातमें वृद्धिसे होनेवाली विदेशी मुद्राकी कमाईसे अर्थव्यवस्था भी लाभान्वित हो सकेगी।