सम्पादकीय

नये सिरेसे पैर पसार रहा कोरोना


डा. श्रीनाथ सहाय

कोरोना नये सिरेसे देशभरमें पैर पसार रहा है। पिछले कुछ महीनोंमें ऐसा लग रहा था कि जीवन सामान्य गतिकी ओर बढ़ रहा है। लेकिन कोरोनाकी नयी लहरने आशंकाओंको बढ़ा दिया है। कुछ दिन पहलेतक कोरोना संक्रमणमें लगातार आ रही गिरावटसे लापरवाह हुए लोग यह भूल गये थे कि यह पलटवार भी कर सकता है। हालके दिनोंमें प्रतिदिन जिस संख्यामें संक्रमणके मामले सामने आ रहे हैं, उसने देशकी चिन्ता बढ़ी है। यही वजह है कि प्रधान मंत्रीको मुख्य मंत्रियोंकी बैठक बुलानी पड़ी, ताकि फिरसे कोरोनाके खिलाफ देशव्यापी युद्ध और सतर्कता शुरू की जाये। निस्संदेह, कोरोना संक्रमणकी वापसी डरानेवाली है। कहीं न कहीं तंत्रसे लेकर सार्वजनिक जीवनमें उपजी लापरवाही मूलमें है। देशमें बीते २४ घंटेमें कोरोनाके ४७,२३९ मरीज मिले, २३,९१३ ठीक हुए और २७७ की मौत हो गयी। यह लगातार पांचवां दिन था, जब नये केस ४० हजारसे ज्यादा रहे। मौतका आंकड़ा भी इस साल सबसे ज्यादा है। इस बीच केंद्र सरकारने अंतरराष्टï्रीय उड़ानोंपर लगी रोकको ३० अप्रैलतकके लिए बढ़ा दिया है। देशमें अबतक एक करोड़ १७ लाख ३३ हजार ५९४ लोग इस महामारीकी चपेटमें आ चुके हैं। इनमेंसे एक करोड़ १२ लाख तीन हजार १६ मरीज ठीक हो चुके हैं, जबकि १.६० लाखने जान गंवायी है। जबकि ३.६५ लाखका इलाज चल रहा है।

वास्तवमें कोरोना केसमें कमी और टीकाकरण अभियानकी शुरुआतके बादसे देशभरमें कोरोनाको लेकर जमकर लापरवाही बरती गयी। इसमें नागरिक और सरकार दोनों ही दोषी है। क्रिकेट स्टेडियमोंमें उमड़ी भीड़, धार्मिक एवं सामाजिक कार्यक्रमोंमें शारीरिक दूरी और मास्कके बिना लोगोंकी उपस्थिति पहले ही चिन्ताके संकेत दे रही थी। विडंबना यह भी है कि चार राज्यों एवं एक केन्द्रशासित प्रदेशमें चुनावी सभाओं और रोड शोमें जिस तरहसे भीड़ उमड़ रही है उसे चिंताके तौरपर देखा जाना चाहिए। राजनीतिक रैलियोंमें तो लापरवाही है ही, शासन-प्रशासनके स्तरपर जो सख्ती पहले दिखी थी, उसमें भी ढील आयी है। महाराष्टï्र, केरल, पंजाब और मध्य प्रदेशमें मरीजोंकी संख्या लगातार बढ़ रही है। मध्यप्रदेशके गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रने कहा है कि सरकार प्रदेशके दो-तीन शहरोंमें हर रविवारको लॉकडाउनपर विचार कर रही है। वहीं, दिल्ली सरकारने सभी हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशनों, अंतरराज्यीय बस टर्मिनलोंपर अन्य राज्योंसे आनेवाले यात्रियोंकी रैंडम टेस्टिंग अनिवार्य कर दी है। दिल्लीमें सार्वजनिक स्थानोंपर होली, शब-ए-बारात और नवरात्रि मनानेपर रोक लगा दी गयी है। उत्तर प्रदेशमें होलीसे पहले राज्य सरकारने कुछ निर्देश जारी किये हैं। इनमें बिना पूर्व अनुमतिके कोई जुलूस नहीं निकाल सकता है। ६० वर्षसे अधिक और दस वर्षसे कम उम्रके बच्चोंको किसी भी प्रकारके उत्सवमें भाग लेनेकी अनुमति नहीं है। कोरोना महामारीके बढ़ते मामलोंको देखते हुए बृहन्मुंबई महानगरपालिकाने होली खेलनेपर पाबंदी लगा दी है।

विडंबना यह भी है कि कोरोना कालमें मास्क लगाने, सैनिटाइजरका उपयोग और शारीरिक दूरीकी जो हमने आदत डाली थी, उससे हम किनारा करने लगे थे। छोटे शहरों और कस्बों-गांवोंकी तो स्थिति और विकट है। यही वजह है कि बुधवारको मुख्य मंत्रियोंकी बैठकमें प्रधान मंत्रीको विशेष रूपसे कहना पड़ा कि गांवोंको संक्रमणसे बचाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए, यदि गांवोंमें संक्रमण बढ़ा तो उसे रोक पाना तंत्रके बूतेकी भी बात नहीं होगी। इन हालातमें राज्य सरकारोंको नियमों एवं बचावके उपायोंके अनुपालनके लिए प्रशासनके स्तरपर सख्ती दिखानी होगी। साथ ही आम लोगोंके स्तरतक जागरूकता अभियानमें तेजी लानी होगी। चिंताकी बात यह है बीते मार्चके जैसे ही हालात पैदा होने लगे हैं। निस्संदेह अगले कुछ वर्षोंके लिए सुरक्षाकी दृष्टिïसे सतर्कताको सामान्य जीवनका हिस्सा मान लेना चाहिए। यानी बचावके उपायोंको अपनी आदतमें शुमार कर लेना चाहिए। साथ ही वक्तकी नजाकत है कि टीकाकरण अभियानमें भी तेजी लायी जाये। जहां कुछ लोगोंको अभीतक वैक्सीनका इन्तजार है वहीं लापरवाहीसे तेलंगाना और आंध्रप्रदेशमें बड़ी मात्रामें वैक्सीन खराब हो गयी, जिसकी चिन्ता प्रधान मंत्रीने मुख्य मंत्रियोंकी बैठकमें जतायी है।

यह विडंबना है कि अग्रिम मोर्चेका एक वर्ग टीकाकरणको लेकर शंकित है और टीका लगानेसे बचता नजर आया है। कोरोनाके बढ़ते मामलोंको लेकर स्वराष्टï्र मंत्रालयने प्रभावी नियंत्रणके लिए दिशा-निर्देश जारी किया है। यह १ अप्रैलसे प्रभावी होगा और ३० अप्रैल, २०२१ तक लागू रहेगा। इसमें सभी राज्योंसे टेस्ट, ट्रैकिंग और ट्रीट प्रोटोकॉलको सख्तीसे लागू करनेका निर्देश दिया गया है। वहीं देशमें कोरोनाके बढ़ते मामलोंके बीच केन्द्र सरकारने निर्णय लिया है कि एक अप्रैलसे ४५ साल और इससे ऊपरके सभी लोग कोरोना वैक्सीन लगवा सकेंगे। अबतक ४५ से ६० सालके बीच सिर्फ गम्भीर बीमारियोंवाले लोगोंको ही वैक्सीन दी जा रही थी। सरकारोंका भी दायित्व बनता है कि ऐसी तमाम आशंकाओंका निवारण करके टीकाकरण अभियानमें तेजी लायी जाये। यह अच्छी बात है कि हमारे देशमें टीकाकरण अभियान तेजीसे चल रहा है और हम तेजीके मामलेमें अमेरिकाके बाद दूसरे नंबरपर हैं। यह भी कि भारतीय वैक्सीनके किसी तरहके विशेष नकारात्मक प्रभाव भी सामने नहीं आये हैं।

निस्संदेह कोरोना वैक्सीन समयसे हासिल करनेसे कोरोना योद्धाओंका आत्मविश्वास बढ़ा है। तभी मुख्य मंत्रियोंकी बैठकमें प्रधान मंत्रीने देशवासियोंसे कहा कि घबरायें नहीं और दवाईके साथ कड़ाईकी नीतिपर चलते हुए हमें कोरोना संक्रमणकी नयी लहरका मुकाबला करना है। यदि सुरक्षा उपायोंमें हमने फिर लापरवाही की तो कोरोना लगातार शिकंजा कसता चला जायेगा। रोज कोरोना संक्रमितोंका आंकड़ा पैंतीस हजारके ऊपर पहुंचना और मरनेवालोंकी संख्यामें वृद्धि बता रही है कि आनेवाला समय चुनौतीपूर्ण रहनेवाला है। केंद्र सरकारने कफ्र्यू और लॉकडाउन लगानेकी शुरुआत की थी और यह पाबंदियां लगभग दस महीनेतक तो पूर्ण रूपसे रही थीं, इसके बाद सरकारने अनलॉक करना शुरू कर दिया था। लेकिन यह महामारी हमारे देशमें पूरी तरह हारी नहीं है, इसलिए सतर्कताकी जरूरत है। अध्ययन करनेकी जरूरत है कि क्यों महाराष्टï्रमें कुल संक्रमितोंकी संख्या देशके मुकाबले साठ फीसदी है। क्यों फिरसे लॉकडाउन और नाइट कफ्र्यूकी जरूरत महसूस की जा रही है। यह देशवासियोंकी सजगतापर निर्भर करेगा कि बीते साल जैसे सख्त उपायोंको दोहरानेकी जरूरत न पड़े। देशकी अर्थव्यवस्था पहले ही संकटके दौरसे उबरनेकी कोशिशमें है। महामारीके प्रसारसे बचनेके कदमोंको टीकाकरणके लिए भी प्रेरित किया जाना चाहिए। मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजरको अत्यधिक प्राथमिकता दी जानी चाहिए। राज्योंको महामारीके दूसरे और तीसरे चरणका सामना करना पड़ रहा है, इसलिए सावधानी बरतनी चाहिए।