सम्पादकीय

गुणवत्ता


ओशो 

यह संसार पुरुषों और महिलाओं दोनोंसे मिलकर बना है और इस संसारको खुबसूरत और श्रेष्ठ बनानेके लिए दोनोंका साथ रहना जरूरी है। दुनियाभरमें यदि सभी औरतोंको अपनी क्षमता विकसित करनेकी आजादी मिल जाय तो यहां बहुत सारी महिलाएं विदुषी, संत, कवि और चित्रकार होंगी। वह औरतें न केवल दुनियामें महिलाओंके विकासमें साझेदारी बढ़ायंगी, बल्कि वह संपूर्ण संसारकी गुणवत्ता बढ़ायंगी। वह पुरुषोंको नया दृष्टिकोण भी प्रदान करेंगी। आदमी किसी भी वस्तुको एक ही नजरियेसे देखता है परन्तु महिलाएं उसी वस्तुको अलग-अलग नजरियेसे देखती हैं। इससे जीवन और भी मूल्यवान हो जायगा। औरतोंको पुरुषोंके बराबरकी आजादी देना और उन्हें अपने व्यक्तित्वके विकासका अवसर देनेमें महिलाओं और पुरुष दोनोंका भला है। उनके जीवनमें इतना दुख होता है कि आप उनसे किसी भी प्रकारके हास्यकी उम्मीद नहीं कर सकते हैं। किसी युद्धके बारेमें बात करने, दुनियामें किसी राजनीतिज्ञके भाषण सुननेेके बजाय यह बेहतर है कि औरत और पुरुष दोनों मिलकर जीवनके उल्लासित हिस्सेको देख सकनेमें समर्थ हों और वह इसका आनन्द लें। पुरुष महिलाओंकी निंदा करते हैं और उसे दबाते आ रहें है। वह यह नहीं जानते कि ऐसा करना स्त्रियोंके मनोबलको तोड़ रहा है और इस कारण आधीसे अधिक मानवता अपनी चेतनाको ऊपर उठानेसे वंचित है। आप वंचित कर रहे हैं क्योंकि आपने भी आधे ब्रह्मांडसे यह कला सीखी होगी कि ऊपर कैसे आया जाय। आप भी उसी राह और पथपर आगे बढ़े होंगे। इसलिए महिलाओंकी मुक्ति पुरुषोंकी भी मुक्ति है। इसमें महिलाओंकी मुक्तिसे ज्यादा पुरुषोंकी मुक्ति है। क्योंकि जबतक औरतें आजाद नहीं होंगी, तबतक पुरुष भी आजाद नहीं होगा। उनकी मुक्ति एक साथ है, क्योंकि दोनों एक ही सिक्केके दो पहलू हैं। सदियोंसे ऐसी महिलाएं भी रहीं, जिन्हें अधिकारसे वंचित रखा गया, उनका अपमान किया गया, उन्हें पुरुषोंके बराबरका दर्जा नहीं दिया गया। महिलाएं आज भी हैं परन्तु अब केवल वही पुरुष यहां रहेंगे जो महिलाओंको अपने बराबरका समझेंगे। महिलाओंको तुच्छ समझनेवाला कोई भी पुरुष प्रगति नहीं कर सकता। यह एक समान अधिकार और एक समान गरिमाके साथ रहनेवाला परिवार है। यदि अतीतमें औरतोंका सम्मान किया गया होता तो मानवता इतनी अव्यवस्थित नहीं होती जितनी आज है, क्योंकि मानवताका आधा भाग औरतें हैं। हर समय मानवताका आधा हिस्सा गरिमारहित, अशिक्षित और आजादीसे वंचित रहा है। हमने खुदको बेडिय़ोंसे बांध लिया है और अपाहिज बना लिया है। हमने स्वयंका आधा हिस्सा नष्ट कर दिया है और यदि हम दुखमें हैं तो इसके लिए हम और किसे जिम्मेदार ठहरायंगे।