नौवें पातशाह धर्मरक्षक हिन्द की चाद श्री गुरू तेग बहादुर साहिब जी का ३४५वां शहीदी गुरू पर्व शनिवार को समूह साध संगत एवं गुरूद्वारा प्रबन्धक कमेटी वाराणसी के तत्वावधान में बड़े ही सादगी, श्रद्धा भाव से ऐतिहासिक तप स्थान, गुरूद्वारा बडी संगत, नीचीबाग, वाराणसी में मनाया गया। श्री गुरू तेग बहादुर साहिब जी सिक्ख धर्म के नौवें गुरू थे। उनके द्वारा रचित ११५ पद्य गुरू ग्रंथ साहिब में सम्मिलित है। उन्होंने काश्मीरी पण्डितों तथा अन्य हिन्दुओं को बलपूर्वक धर्म परिवर्तन करने का कठोर विरोध किया। उन्होंने सभी से कहाकि सीस कटा सकते है केश नहीं। गुरूद्वारा शीश गंज तथा गुरूद्वारा रकाब गंज साहिब उन स्थानों का स्मरण दिलाते है जहां गुरूजी ने अपनी आहुति दी। विश्व इतिहास में धर्म एवं मानवीय मूल्यों, आदर्शों एवं सिद्धांत की रक्षा के लिये प्राणों की आहुति देने वालों में गुरू तेग बहादुर साहिब जी का स्थान अद्वितीय है। शहीदी गुरू पर्व के अवसर पर गुरूद्वारा बड़ी संगत, नीचीबाग में प्रात: नितनेम पाठ उपरान्त ५.३० बजे से सात बजे तक दीवान सजा जिसमें गुरूद्वारा नीचीबाग के जहुरी रागी जत्था भाई रकम सिंह जी गुरूवाणी शबद कीर्तन द्वारा संगत को निहाल किया। दीवान समाप्ति अरदास, प्रसाद वितरण उपरान्त गुरू का लंगर बरताया गया। सरकार के निर्देशानुसार कोविड-१९ को देखते हुए मास्क लगाना, हाथ धोने एवं हैंड सेनेटाइजर का गुरूद्वारा में जगह-जगह व्यवस्था की गयी थी। संगत ने भी इसका विशेष रूप से ध्यान दिया। भाई रंजीत सिंह जी ने गुरूगं्रथ साहिब जी की हजूरी कोरोना समाप्ति की अरदास कर और सरबत का भला हो इसकी प्रार्थना की।