काबुल, अफगानिस्तान में तालिबान शासन को एक साल पूरा होने के बाद तालिबान अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय से जुड़ने के लिए कदम उठाएगा। तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबातुल्लाह अखुंदजादा ने गुरुवार को कहा कि वह शरिया कानून के तहत अंतरराष्ट्रीय समुदाय से जुड़ने के लिए तैयार है।
इस कदम को लेकर कंधार में इस्लामिक मौलवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, तालिबानी अधिकारियों और पूर्व अफगान सरकार के अधिकारियों समेत करीब 2,500 लोगों की एक उच्च स्तरीय बैठक बुलायी गयी थी। हालांकि तालिबान के सर्वोच्च नेता जब भाषण दे रहे थे, उस वक्त कोई मीडिया कवरेज नहीं था। जानकारी के अनुसार, तालिबान के सत्ता में काबिज होने के बाद से अफगानिस्तान में इस तरह की यह सबसे बड़ी बैठक है।
अफगानिस्तान की छवि सुधारने पर जोर
इस दौरान तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी ने कहा कि तालिबान अफगानिस्तान को दुनियाभर में बेहतर तरीके से प्रस्तुत करेगा और अफगानिस्तान के हित में कदम उठाएगा। उन्होंने कहा, ‘किसी को भी अफगानिस्तानी नागरिकों की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए। इन गरीब और अभिमानी लोगों को खुशी से जीने दो।’
सभी देशों से अच्छे संबंध चाहता है तालिबान
मुत्तकी ने कहा कि तालिबान सभी देशों अच्छे संबंध स्थापित करना चाहता है, लेकिन 20 साल की लड़ाई के बाद कुछ देशों से संबंध स्थापित करने में कठिनाई आएगी और उनसे धीरे-धीरे संबंध सामान्य होंगे। उन्होंने कहा कि अब अफगानिस्तान में कोई भी संघर्ष नहीं होगा और अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी के खिलाफ नहीं किया जाएगा।
बेटियों का भविष्य तय करेगा तालिबान
कार्यवाह प्रचार मंत्री मोहम्मद खालिद हनफ़ी ने कहा, ‘देश में ऐसी कोई जगह नहीं है जो इस्लामी अमीरात के नियंत्रण में नहीं है।’ अफगानिस्तान के एक व्यापारी अब्दुल समद मदनी ने कहा, ‘ देश की सभी बेटियां अब आपकी बेटियां हैं। उनके लिए शिक्षा की सुविधा आपके ऊपर निर्भर है।’
तालिबान शासन में मानवाधिकारों का उल्लंघन
बता दें कि अफगानिस्तान में तालिबान शासन स्थापित होने के बाद देश में विस्फोट और हमले की घटनाएं आम हो गई हैं। इससे लगातार मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। देश में तालिबान राज के बाद नागरिकों की निरंतर हत्या हो रही है। जगह-जगह मस्जिदों और मंदिरों को नष्ट किया जा रहा है। साथ ही महिलाओं पर हमला और क्षेत्र में आतंकवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है।
अफगानिस्तान में भुखमरी जैसे हालात
अफगानिस्तान में आर्थिक संकट पैदा हो जाने से देश में गरीबी बढ़ रही है। जानकारों के अनुसार, देश में राजनीतिक परिवर्तन होने से गरीबी में वृद्धि हुई है। इसके अलावा देश में तालिबान शासन के बाद, कई निजी व्यवसायों ने काम करना बंद कर दिया है और जिसका प्रभाव सीधे तौर पर पड़ा है। लाखों की संख्या में अफगानिस्तानी नागरिक भुखमरी के कगार पर हैं क्योंकि देश मानवीय संकट से जूझ रहा है।