योगेश कुमार गोयल
दुनियाभरमें अभीतक कोरोना मरीजोंकी संख्या करीब ११ करोड़ हो चुकी है, जिनमेंसे २४ लाखसे अधिक मौतके मुंहमें समा चुके हैं। भारतमें भी अबतक एक करोड़से ज्यादा व्यक्ति संक्रमणके शिकार हो चुके हैं। हालांकि हमारे यहां रिकवरी दर अन्य देशोंके मुकाबले काफी बेहतर रही है और पिछले कुछ समयमें देशभरमें कोरोना संक्रमितोंकी संख्यामें तेजीसे गिरावट भी दर्ज की गयी है लेकिन अब जिस प्रकार कोरोनाके मामले महाराष्ट्र, केरल, पंजाब, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ इत्यादि राज्योंमें धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं, ऐसेमें टीकाकरण अभियानको अपेक्षित रफ्तार दिया जाना बेहद जरूरी है। १६ जनवरीको शुरू हुए टीकाकरण अभियानके बाद ३० दिनोंके अंदर ८३ लाखसे अधिक लोगोंको कोरोना सुरक्षा कवच मिला लेकिन यह अपेक्षित लक्ष्यसे काफी कम है। सरकारका लक्ष्य तीन करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों सहित कुल ३० करोड़ लोगोंके टीकाकरणका जुलाई-अगस्ततकका लक्ष्य है और विशेषज्ञोंका मानना है कि तय लक्ष्य हासिल करनेके लिए सरकारको दस गुना तेज गतिसे टीकाकरण अभियान चलाना होगा और इसके लिए इस कार्यमें निजी क्षेत्रको भी शामिल करना होगा।
टीकाकरण २.० के बाद ५० वर्षसे अधिक आयुके लोगोंके टीकाकरणकी तैयारी की जा रही है, यह अभियान मार्च माहमें शुरू होगा। टीकाकरणके प्रति लोगोंमें उत्साहकी कमीके चलते अलग-अलग जगहोंसे वैक्सीनकी खुराकें बर्बाद होनेकी खबरें भी सामने आ रही हैं। वैक्सीनको लेकर जागरूकतामें कमीके चलते लोगोंके टीका केन्द्रोंपर नहीं पहुंचनेके कारण कोरोना वैक्सीन बेकार हो रही है। दरअसल कोविशील्डकी एक शीशीमें कुल दस जबकि कोवैक्सीनकी एक शीशीमें बीस खुराकें होती हैं और वैक्सीन लगानेके लिए शीशीको खोलनेके चार घंटेके अंदर सभी खुराक खत्म करनी होती हैं लेकिन कुछ स्थानोंपर लोगोंके टीका लगवानेके लिए कम संख्यामें पहुंचने और टीका लगवानेवालोंकी अपेक्षित संख्या नहीं होनेके कारण वैक्सीनकी खुराकें बर्बाद हो जाती हैं। भारत बहुत बड़ी आबादीवाला देश है और ऐसेमें समझना मुश्किल नहीं है कि इतनी बड़ी आबादीके टीकाकरणका काम इतना सरल नहीं है। इसके लिए टीकाकरण अभियानकी खामियोंको दूर करते हुए लोगोंको जागरूक करनेकी सख्त जरूरत है और इसमें देरी किया जाना खतरनाक होगा। लोगोंके मनमें कोरोना वैक्सीनके साइड इफैक्ट्सको लेकर जो भ्रम व्याप्त हैं, उन्हें दूर करनेके लिए व्यापक स्तरपर जागरूकता अभियान चलाये जानेकी दरकार है। कुछ दिनों पहले एम्स निदेशक डा. रणदीप गुलेरियाने कहा था कि कोरोना वैक्सीनको लेकर गलत और आधारहीन सूचनाओंकी बाढऩे लोगोंके मनमें टीकेको लेकर अनिच्छा पैदा की है और इसका समाधान यही है कि लोगोंके मनमें उत्पन्न संदेह और भ्रमको दूर करनेके लिए सरकार द्वारा समुचित कदम उठाये जायं। दरअसल कोरोना टीकोंको लेकर सबसे बड़ा भ्रम लोगोंके मनमें इनके साइड इफैक्टको लेकर है लेकिन कई प्रमुख स्वास्थ्य विशेषज्ञोंका कहना है कि टीका लगनेके आधे दिनतक टीकेवाली जगहपर दर्द और हल्का बुखार रह सकता है, जो इस बातकी निशानी है कि टीका काम कर रहा है। जब शरीरमें दवा जाती है तो हमारा प्रतिरोधी तंत्र इसे अपनाने लगता है। नीति आयोगके सदस्य डा. वीके पॉलने कोरोनाके दोनों टीकोंको पूर्ण सुरक्षित बताते हुए कहा था कि टीकाकरणके शुरुआती तीन दिनोंमें लोगोंमें वैक्सीनके प्रतिकूल प्रभावके केवल ०.१८ प्रतिशत मामले सामने आये थे, जिनमें केवल ०.००२ फीसदी ही गंभीर किस्मके थे। अब स्वास्थ्य मंत्रालयका भी कहना है कि वैक्सीन लगवानेके बाद केवल ०.००५ फीसदी लोगोंको ही अस्पतालमें भर्ती करानेकी जरूरत पड़ी।
यदि टीका लगनेके बाद इसके सामान्य प्रभावोंकी बात की जाय तो इनमें थकान, सिरदर्द, बुखार, टीकेके स्थानपर सूजन या लाली, दर्द, बीमार होने या शरीरमें हरारतका अहसास, शरीर एवं घुटनोंमें दर्द, जुकाम इत्यादि सामान्य असर हैं। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोलके अनुसार ये सभी लक्षण कुछ ही समय बाद खत्म हो जाते हैं। कुछेक मामलोंमें टीका लगनेके बाद साइड इफैक्ट भी सामने आ सकते हैं। इन साइड इफैक्ट्समें भूख कम हो जाना, पेटमें तेज दर्दका अहसास, शरीरमें खुजली, बहुत ज्यादा पसीना आना, बेहोशी जैसा महसूस होना, शरीरपर चकते पडऩा, सांस लेनेमें परेशानी शामिल हैं। हालांकि विशेषज्ञोंका कहना है कि इस तरहके साइड इफैक्टके कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं, जैसे टीकेको लेकर तनाव या घबराहट, टीका लगानेके तरीके और रखरखावमें कमी या टीकेकी गुणवत्तामें किसी तरहकी खामी।
कोरोना वैक्सीनको लेकर कुछ लोगोंके मनमें जो शंकाएं हैं, उनका समाधान करनेका प्रयास करते हुए कुछ विशेषज्ञोंने स्पष्ट किया है कि फिलहाल स्पष्ट रूपसे यह तो नहीं कहा जा सकता कि वैक्सीनसे किस व्यक्तिमें कितने दिनके लिए एंटीबॉडीज बनेंगी लेकिन इतना अवश्य है कि टीकेकी दोनों डोज लगनेके बाद कमसे कम छह माहतक शरीरमें एंटीबॉडी मौजूद रहेंगी और यदि इतने समयतक लोगोंको कोरोनासे सुरक्षा मिल गयी तो कोरोनाकी चेनको आसानीसे तोड़ा जा सकता है। वैक्सीन लगवानेके बाद व्यक्तिको कुछ जरूरी बातोंका ध्यान रखना भी अनिवार्य है। कोरोना टीका लगवानेके बाद कमसे कम दो महीनेतक शराबका सेवन करनेसे बचें क्योंकि विशेषज्ञोंका स्पष्ट तौरपर कहना है कि शराब पीनेकी लत वैक्सीनके प्रभावको बेअसर कर सकती है। फिलहाल कोरोना टीकाकरण अभियानके तहत पहले चरणमें तीन करोड़ और दूसरे चरणमें इसे ३० करोड़के लक्ष्यतक ले जाना है और यह लक्ष्य तभी हसिल किया जा सकता है, जब लोगोंके मनमें टीकाकरणको लेकर उपजे भ्रमको सफलतापूर्वक दूर किया जाय।