पटना

टीचर्स ट्रेनिंग में जमी बिहार की धाक


  • उपलब्धियों का अध्ययन कराने के बाद वर्ल्ड बैंक ने सराहा
  • शिक्षक प्रशिक्षण के सुदृढ़ीकरण की पांच वर्षों की परियोजना पूरी

(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। राज्य में शिक्षक प्रशिक्षण के सुदृढ़ीकरण के लिए 1600 करोड़ रुपये की विश्व बैंक की परियोजना पूरी हो गयी है। इसके पूरा होने के साथ ही शिक्षक प्रशिक्षण के क्षेत्र में अनगिनत उपलब्धियां हासिल कर बिहार ने अपनी धाक जमा ली है। परियोजना के तहत सरकारी शिक्षक प्रशिक्षण व्यवस्था सुदृढ़ तो हुई ही है, इसका विस्तार भी हुआ है। पटरी के दुरुस्त होने से उस पर शिक्षक प्रशिक्षण व्यवस्था सरपट दौड़ पड़ी है। इसे वर्ल्ड बैंक ने सराहा है।

सरकारी शिक्षक प्रशिक्षण व्यवस्था के लीक से उतरने से लेकर उसे फिर से पटरी पर सरपट दौडऩे तक की कहानी काफी उतार-चढ़ाव वाली है। राज्य में वर्ष 1990 के पहले तक सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति में प्रशिक्षण की अनिवार्यता थी। लेकिन, वर्ष 1990 में शिक्षकों की नियुक्ति में प्रशिक्षण की अनिवार्यता समाप्त कर दी गयी। तय हुआ कि शिक्षकों की नियुक्ति बिहार लोक सेवा आयोग के माध्यम से लिखित परीक्षा के आधार पर की जाय। और, नियुक्ति के बाद शिक्षकों को सेवाकालीन प्रशिक्षण दी जाय।

इस व्यवस्था के तहत दो चरणों में प्रारंभिक शिक्षकों की नियुक्ति हुई तथा नियुक्त हुए अप्रशिक्षित शिक्षक सरकारी प्राइमरी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों में सेवाकालीन प्रशिक्षण पर भेजे गये। नियुक्ति में प्रशिक्षण की अनिवार्यता की समाप्ति  से सरकारी शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय हाशिये पर चले गये और प्रशिक्षण व्यवस्था लीक से उतरती चली गयी। सरकारी शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय संसाधन और शिक्षक विहीन होते चले गये। उसके भवन भी खंडहर में बदलते चले गये।

राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून लागू होने के बाद शिक्षकों की नियुक्ति में फिर से प्रशिक्षण की अनिवार्यता लागू हो गयी, तो राज्य में लीक से पूरी तरह उतर चुकी शिक्षक प्रशिक्षण व्यवस्था को फिर से पटरी पर लाना सरकार के सामने चुनौती बन कर खड़ी हो गयी। सरकारी शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों के भवन निर्माण, उसके परिसरों के विकास, आधारभूत संरचना, उपस्कर, फर्नीचर, लैब एवं सभी जरूरी सुविधाओं के साथ शिक्षक देने के लिए राशि का आकलन हुआ, तो तकरीबन 1600 करोड़ रुपये की आवश्यकता महसूस हुई।

सवाल था कि इतनी बड़ी राशि कहां से आयेगी। ऐसे में वर्ल्ड बैंक ने राज्य का साथ दिया। मामूली ब्याज दर पर वह 1600 करोड़ रुपये का ऋण देने को तैयार हो गया। उसके बाद राज्य में शिक्षक प्रशिक्षण के सुदृढ़ीकरण के लिए 1600 करोड़ रुपये की विश्व बैंक की परियोजना शुरू हुई। परियोजना की अवधि पांच वर्षों की थी। हालांकि, यह परियोजना शुरू तो हुई वर्ष 2015 में, लेकिन इस पर काम एक साल पहले यानी वर्ष 2014 में शुरू हो गया था।

परियोजना के पांच वर्षों में प्रखंड से लेकर राज्य स्तर पर शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद तक की व्यवस्था सुदृढ़ हुई। सभी कोटि के शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों के भवन बने। कैंपस विकसित किये गये। आधारभूत संरचना के साथ उपस्कर, फर्नीचर, लैब एवं जेनेरेटर सहित सभी जरूरी संसाधन उपलब्ध कराये गये गये तथा अत्याधुनिक तकनीक से लैश किये गये हैं। 219 शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान अपग्रेड हुए हैं। 11,300 से अधिक अप्रशिक्षित शिक्षकों को ओडीएल (ओपेन एंड डिस्टेंस लर्निंग) माध्यम से प्रारंभिक शिक्षा में दो वर्षीय ट्रेनिंग (डीईएलएड) दी गयी है। इसके लिए प्रशिक्षण पाठ्यचर्या के विकास के साथ पाठ्यसामग्री तैयार की गयी है।

इसके साथ ही 20,000 से अधिक शिक्षकों को नियमित रूप से शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से ट्रेनिंग दी गयी है। 24,000 प्रारंभिक विद्यालयों की कमेटियों के 1,45,000 सदस्यों को विद्यालय संचालन की ट्रेनिंग दी गयी है। शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों में तकरीबन 500 व्याख्याता नियुक्त किये गये हैं। बहरहाल, परियोजना के तहत हुई उपलब्धियों का अध्ययन कराने के बाद वर्ल्ड बैंक ने इसकी सराहना की है।