बिहार लोकायुक्त अधिनियम में होगा संशोधन
(आज समाचार सेवा)
पटना। लोक सेवक या किसी को फंसाने की नीयत से शिकायत की तो यह आपको महंगा पड़ेगा, अब झूठी शिकायत करने पर खुद ही फंस जाएंगे और सजा तक का ऐलान हो सकता है। जांच के दौरान यदि शिकायत गलत पाई जाती है तो शिकायतकर्ता के खिलाफ कार्रवाई होगी। वहीं जांच के दौरान यह पता चल जाएगा कि जानबूझकर या दुर्भावना ग्रस्त होकर झूठी शिकायत की गई है तो शिकायतकर्ता को सजा भुगतनी होगी और जुर्माना भी देना पड़ेगा।
इसे लेकर राज्य सरकार बिहार लोकायुक्त अधिनियम, 2011 में संशोधन करने जा रही है। सरकार का मानना है कि लोकायुक्त अधिनियम में संसोधन के बाद लोकायुक्त कार्यालय को प्राप्त होनेवाली झूठी शिकायतों पर रोक लगेगी। बता दें कि लोकायुक्त संस्था भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की जांच करती है, इन दिनों लोकायुक्त कार्यालय में कई ऐसे परिवाद पत्र भी आए जिसमें शिकायत पूरी तरह निराधार निकली है।
हालांकि शिकायत के बाद जांच की गई और उसके बाद पूरी सच्चाई सामने तो आ गई लेकिन इन सब में लोकायुक्त कार्यालय का काफी समय बर्बाद होता है। ऐसे में झूठी शिकायत को लेकर नियम में संसोधन करने की तैयारी है। बदलाव के बाद ऐसे मामलों में भी सुनवाई और सजा देने का अधिकार लोकायुक्त संस्था के पास हो जाएगा।
बिहार लोकायुक्त अधिनियम में संशोधन के लिए विधानमंडल के इसी बजट सत्र में बिहार लोकायुक्त (संशोधन) विधेयक 2021 पेश किया जाएगा। विधि विभाग द्वारा इससे संबंधित विधेयक पेश किया जाएगा। विधानमंडल से इस विधेयक के पास होने के बाद लोकायुक्त संस्था को झूठे परिवाद पत्र दायर करनेवाले व्यक्ति पर कार्रवाई का अधिकार मिल जाएगा। यदि कोई व्यक्ति झूठा परिवाद दायर करने का दोषी पाया जाता है तो अधिकतम तीन साल की सजा हो सकती है।