दूसरे साल भी बिना परीक्षा प्रोमोट हुए नयी कक्षा में शुरू नहीं हुई पढ़ाई
(आज शिक्षा प्रतिनिधि)
पटना। राज्य में करोड़ों स्कूली बच्चों के सपने ठहर गये हैं। पढ़ाई पर पड़ी कोरोना की मार की वजह से 1ली से 8वीं कक्षा के बच्चे लगातार दूसरी बार बिना परीक्षा के ही नयी कक्षा में तो पहुंच गये, लेकिन उनके सपनों को पंख मिलने के पहले ही क्लासरूम के दरवाजे एक बार फिर बंद हो गये। इसलिए कि कोरोना से ऊपजे हालात में पढ़ाई से कहीं ज्यादा बच्चों की सुरक्षा जरूरी है।
सभी कोटि के स्कूलों को मिला दें, तो प्रदेश भर में इनकी संख्या तकरीबन एक लाख है। इनमें तकरीबन तीन करोड़ बच्चे पढ़ते हैं। एक लाख स्कूलों में तकरीबन 80 हजार सरकारी स्कूल हैं। इनमें 43 हजार स्कूल 1ली से 5वीं कक्षा की पढ़ाई वाले हैं, तो 29 हजार स्कूल 1ली से 8वीं कक्षा की पढ़ाई वाले। बच गये आठ हजार स्कूल, तो इनमें 9वीं से 10वीं एवं 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है।
इसके साथ ही 72 सहायता प्राप्त गैरसरकारी (अल्पसंख्यक सहित) माध्यमिक विद्यालय हैं, तो 108 सहायता प्राप्त गैरसरकारी (अल्पसंख्यक सहित) प्रारंभिक विद्यालय। 715 प्रस्वीकृत एवं स्थापना की अनुमति प्राप्त माध्यमिक विद्यालय भी चल रहे हैं, जिन्हें सरकार उनके छात्र-छात्राओं के मैट्रिक के रिजल्ट के आधार पर अनुदान देती है।
इसी प्रकार राज्य में सरकार द्वारा अनुदानित मदरसे एवं संस्कृत विद्यालय भी चल रहे हैं। सरकारी एवं अनुदानित विद्यालयों से इतर जिलों में आरटीई के तहत रजिस्टर्ड 1ली से 8वीं कक्षा तक की पढ़ाई वाले प्राइवेट स्कूलों की संख्या भी तकरीबन 10 हजार के आसपास है। इनमें 10वीं एवं 12वीं कक्षा की पढ़ाई वाले प्राइवेट स्कूल भी शामिल हैं।
बात पिछले साल से ही शुरू करते हैं। पिछले साल यानी वर्ष 2020 का मार्च महीना चल रहा था। स्कूली शैक्षिक सत्र का अंतिम महीना होता है मार्च। मार्च के अंतिम सप्ताह में 1ली से 8वीं कक्षा की परीक्षा होनी थी। इसके शिड्यूल आ चुके थे। 9वीं कक्षा की भी वार्षिक परीक्षा होनी थी। और, उसके महीने भर बाद 11वीं कक्षा की वार्षिक परीक्षा होनी थी। लेकिन, स्कूली कक्षाओं के परीक्षाओं का मौसम शुरू होने के पहले ही पिछले साल 13 मार्च को सभी कोटि के स्कूल सहित तमाम शिक्षण संस्थान कोरोना से बचाव को लेकर बंद कर दिये गये।
22 मार्च को राष्ट्रीय स्तर पर जनता कर्फ़्यू लगा। और, उसके एक दिन बाद पूरे देश में लॉकडाउन लागू हुआ। स्कूली छात्र-छात्राओं की परीक्षाएं भी लॉकडाउन में फंस गयीं। चूंकि, अगले माह यानी अप्रैल से नया शैक्षिक सत्र शुरू होना था, इसलिए 1ली से 9वीं एवं 11वीं कक्षा के छात्र-छात्रा बिना परीक्षा के ही अगली कक्षा के लिए प्रमोट कर दिये गये।
जब अनलॉक फेज-वन शुरू हुआ, तो सरकारी प्राइमरी-मिडिल स्कूलों में मिड डे मील के अनाज बंटने शुरू हुए। अनलॉक के अगले चरण में स्कूलों में 5वीं एवं 8वीं कक्षा से प्रमोट हुए बच्चों के क्रमश: 6ठी एवं 9वीं कक्षा में दाखिले के लिए टीसी बनने लगे। बाद में बच्चों का दाखिला भी शुरू हुआ। 11वीं कक्षा में भी बच्चों के दाखिले शुरू हुए। 28 सितंबर से स्कूलों में 9वीं से 12वीं कक्षाओं के क्लासरूम के ताले प्रतिदिन 33 फीसदी छात्र-छात्राओं के लिए मागदर्शन कक्षा के नाम पर खुल गये।
उसके बाद चार जनवरी से हर कार्यदिवस को अधिकतम 50 फीसदी छात्र-छात्राओं की उपस्थिति के साथ 9वीं से 12वीं कक्षा की पढ़ाई शुरू हुई। आठ फरवरी से हर कार्यदिवस को 50 फीसदी बच्चों की उपस्थिति के साथ 6ठी से 8वीं कक्षा की पढ़ाई के लिए भी स्कूल खुल गये। उसके बाद एक मार्च से प्रति कार्यदिवस 50 फीसदी उपस्थिति के साथ ही 1ली से 5वीं कक्षा के बच्चों के लिए भी स्कूल खोल दिये गये।
बच्चों की साल भर की पढ़ाई मारी जा चुकी थी। ऐसे में पिछले साल की तरह ही 1ली से 8वीं कक्षा के बच्चे बिना परीक्षा के ही अगली कक्षा के लिए प्रमोट किये गये। पांच अप्रैल से बच्चे कक्षा में पढ़ाई की उड़ान भरने वाले थे। लेकिन, कोरोना से ऊपजे हालात पिछले साल से भी भयावह हो गये। सो, पांच अप्रैल को पढ़ाई शुरू होती, उसके दो दिन पहले यानी तीन अप्रैल को ही स्कूल-कॉलेज एवं कोचिंग सहित सभी शिक्षण संस्थानों को बंद करने की घोषणा हो गयी। फिलहाल, 15 मई तक स्कूल-कॉलेज एवं कोचिंग सहित सभी शिक्षण संस्थान बंद हैं।