(आज शिक्षा प्रतिनिधि)
पटना। स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई शुरू हुई, तो गुरुजी के छुट्टी के आवेदन आने भी शुरू हो गये। छुट्टी का आवेदन देने वाले गुरुजी में पुरुष गुरुजी भी हैं और महिला गुरुजी भी। गुरुजी के छुट्टी पर जाने का असर बच्चों की पढ़ाई पर भले ही नहीं पड़ रहा है, लेकिन उनकी कक्षाओं को अरेंज करने में स्कूलों के प्रशासन को मशक्कत जरूर करनी पड़ रही है।
राज्य के स्कूलों में नया शैक्षिक सत्र हर साल अप्रैल माह में शुरू होता है। इस साल भी बच्चे कोरोना की पहली लहर की वजह से बिना परीक्षा पुरानी कक्षा से प्रोन्नत होकर अप्रैल माह में नयी कक्षा में पहुंच चुके थे। नयी कक्षा में पांच अप्रैल से पढ़ाई शुरू होनी थी। कोरोना की पहली लहर में हुई पढ़ाई की क्षति की भरपाई के लिए 80 हजार सरकारी स्कूलों में 2री से 10वीं कक्षा तक के छात्र-छात्राओं को तीन माह तक पुरानी कक्षा के ही पाठ पढ़ाये जाने थे। इसके लिए कैचप कोर्स तैयार हुआ था और इसके पढ़ाने की ट्रेनिंग भी शिक्षकों को मिल चुकी थी।
लेकिन, तैयारियां धरी की धरी रह गयीं। इसलिए कि, कोरोना की दूसरी लहर की दस्तक पड़ चुकी थी। इसके मद्देनजर राज्य के स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी एवं कोचिंग सहित सभी प्रकार के शिक्षण संस्थान गत पांच अप्रैल से बंद कर दिये गये। लेकिन, दूसरी लहर की रफ्तार की भयावहता जब थमने के बदले बढ़ती ही चली गयी, तो पांच मई से 15 मई तक राज्य सरकार द्वारा राज्य में लॉकडाउन लगायी गयी। लॉकडाउन की अवधि समाप्त होने के पहले ही इसे 25 मई तक बढ़ायी गयी। फिर, इसकी अवधि बढ़ा कर 31 मई की गयी। उसके बाद लॉकडाउन की अवधि अब आठ जून तक बढाई गयी थी। उसके बाद नौ जून से 15 जून तक के लिए नाइट कर्फ्यू सहित कतिपय शर्तों के साथ अनलॉक-वन शुरू हुआ। अनलॉक-वन की मियाद पूरी होने के बाद 16 जून से अनलॉक-टू और 23 जून से अनलॉक-थ्री शुरू हुआ।
अनलॉक फोर में 12 जुलाई से 11वीं एवं ऊपर की कक्षाएं 50 फीसदी छात्र-छात्राओं की उपस्थिति के साथ पढ़ाई के लिए खुल गयीं। अनलॉक फोर की मियाद छह अगस्त को पूरी हुई। उसके अगले दिन से अनलॉक फाइव शुरू हुआ। उसी दिन यानी सात अगस्त से ही आठ हजार सरकारी स्कूलों के साथ ही प्राइवेट स्कूलों में 50 फीसदी छात्र-छात्राओं की उपस्थिति के साथ 9वीं-10वीं कक्षा की पढ़ाई शुरू हुई। उसके बाद 16 अगस्त से 72 हजार सरकारी स्कूलों सहित सभी कोटि के स्कूलों में 50 फीसदी बच्चों की उपस्थिति के साथ 1ली से 8वीं कक्षा की पढ़ाई चल रही है।
पढ़ाई शुरू होने के साथ ही गुरुजी भी छुट्टी पर जाने लगे हैं। चिकित्सा अवकाश पर जाने वाले बीमार गुरुजी की तो मजबूरी है। उनके स्वस्थ होने की कामना से इतर पुरुष गुरुजी की बात करें, तो उनके पास साल भर में 16 आकस्मिक अवकाश हैं। महिला गुरुजी की बात करें, तो उनके पास हर माह दो विशेष अवकाश और साल में 16 आकस्मिक अवकाश हैं। अब, जब उनके पास अवकाश है, तो उसका उपभोग करेंगे ही। अवकाश वाले दिन उनकी कक्षाओं को अरेंज करने की जिम्मेदारी विद्यालय प्रधान की है। सो, इसमें उनके पसीने छूट रहे हैं।