(आज शिक्षा प्रतिनिधि)
पटना। राज्य के तकरीबन 40 हजार स्कूलों में 331 दिनों बाद पढ़ाई के लिए 6ठी से 8वीं तक की कक्षाओं के ताले खुल गये। मास्क में स्कूल पहुंचे बच्चे अपने दोस्तों के साथ गर्मजोशी से मिले। स्कूलों के परिसर में बच्चों की सामूहिक एसेम्बली तो नहीं हुई। एसेम्बली हुई भी तो कक्षाओं में कक्षावार। कक्षाओं में बच्चे छह फीट की दूरी बना कर बैठे।
स्कूलों में 50 फीसदी बच्चों की उपस्थिति के साथ पढ़ाई शुरू हुई है। गाइडलाइन के तहत हर कक्षा में 50 फीसदी बच्चे बुलाये जाने हैं। इसके तहत हर कक्षा के 50 फीसदी बच्चे सोमवार, बुधवार एवं शुक्रवार को बुलाये जाने हैं। बाकी 50 फीसदी बच्चे मंगलवार, गुरुवार एवं शनिवार को बुलाये जाने हैं। इसी व्यवस्था के तहत बच्चों को हर दिन स्कूल आना है। यानी हर बच्चे एक दिन बीच कर स्कूल आयेंगे।
प्रदेश में 6ठी से 8वीं कक्षा की पढ़ाई वाले स्कूलों की संख्या तकरीबन 40 हजार है। इनमें तकरीबन 29 हजार सरकारी स्कूल हैं। इसके साथ ही 6ठी से 8वीं कक्षा की पढ़ाई के लिए आरटीई के तहत रजिस्टर्ड प्राइवेट स्कूलों की संख्या तकरीबन 10 हहजार है। इसके अलावा 6ठी से 8वीं की पढ़ाई वाले अल्पसंख्यक स्कूलों के साथ ही संस्कृत स्कूल एवं मदरसे भी हैं।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक स्कूलों के परिसर, भवन व कक्षाएं, फर्नीचर, उपकरण, स्टेशनरी, भंडारकक्ष, पानी टंकी, किचेन, वाशरूम, प्रयोगशाला एवं लाइब्रेरी की सफाई कर उसे विसंक्रमित किया गया है। डिजिटल थर्मोमीटर, सेनेटाइजर, साबुन की व्यवस्था की गयी है। शिक्षण संस्थानों द्वारा परिवहन व्यवस्था आरंभ किये जाने के पूर्व सेनेटाइजेशन की व्यवस्था की गयी है। ऐसी व्यवस्था की गयी है कि शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारी भी छह फीट की दूरी पर बैठें। यही व्यवस्था आगंतुकों के लिए भी की गयी है। छात्र-छात्राओं के आने-जाने के समय मुख्य द्वार पूरी तरह खुले रखे गये थे, ताकि एक स्थान पर भीड़ नहीं लगे। यही व्यवस्था हर दिन रहेगी।
उल्लेखनीय है कि राज्य में कोरोना से बचाव को लेकर गत 13 मार्च को तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक के लिए तमाम शिक्षण संस्थान बंद करने का फैसला राज्य सरकार ने लिया। उसके अगले दिन से सभी शिक्षण संस्थान बंद हो गये। कोरोना से बचाव को लेकर 22 मार्च को राष्ट्रीय स्तर पर जनता कफ्र्यू लगा। और, उसके एक दिन बाद पूरे देश में लॉकडाउन लागू हुआ। स्कूली छात्र-छात्राओं की परीक्षाएं भी लॉकडाउन में फंस गयीं।
इसलिए कि सरकारी स्कूलों के 1ली से 8वीं कक्षा की परीक्षाएं मार्च के अंतिम हफ्ते में थीं। 9वीं एवं 11वीं कक्षा की परीक्षाएं भी नहीं हुईं थीं। चूंकि, अगले माह यानी अप्रैल से नया शैक्षिक सत्र शुरू होना था, इसलिए 1ली से 9वीं एवं 11वीं कक्षाओं के छात्र-छात्रा बिना परीक्षा के ही अगली कक्षा के लिए प्रमोट कर दिये गये। अनलॉक फेज-वन शुरू हुआ, तो सरकारी प्राइमरी-मिडिल स्कूलों में मिड डे मील के अनाज बंटने शुरू हुए। इसके लिए बच्चों के अभिभावक बुलाये गये। अनलॉक के अगले चरण में स्कूलों में 5वीं एवं 8वीं कक्षा से प्रमोट हुए बच्चों के क्रमश: 6ठी एवं 9वीं कक्षा में दाखिले के लिए टी. सी. (स्थानान्तरण प्रमाण पत्र) बनने शुरू हुए।
बाद में बच्चों का दाखिला भी शुरू हुआ। 11वीं कक्षा में भी बच्चों के दाखिले शुरू हुए। 28 सितंबर से स्कूलों में 9वीं से 12वीं कक्षाओं के क्लासरूम के ताले प्रतिदिन 33 फीसदी छात्र-छात्राओं के लिए मागदर्शन कक्षा के नाम पर खुल गये। उसके बाद हर कार्यदिवस को अधिकतम 50 फीसदी छात्र-छात्राओं की उपस्थिति के साथ 9वीं से 12वीं कक्षा की पढ़ाई चार जनवरी से चल रही है।
बहरहाल, 6ठी से 8वीं तक की पढ़ाई वाले स्कूलों में सबकुछ ठीक-ठाक रहा, तो जल्दी ही 1ली से 5वीं कक्षाओं के बंद ताले भी खुल जायेंगे।
बच्चे पहुंचे स्कूल शिक्षक परीक्षा में
ज्यादातर सरकारी स्कूलों में 6ठी से 8वीं के बच्चों की घंटीवार पढ़ाई इसलिए नहीं हो पायी, क्योंकि शिक्षकों की ड्यूटी इंटरमीडिएट की चल रही परीक्षा में वीक्षण कार्य में लगी हुई है। हालांकि, सोमवार को पहले दिन बच्चों की उपस्थिति कम रही। जिन स्कूलों में वीक्षण कार्य से एक-दो शिक्षक मुक्त हैं, उन्होंने बच्चों का स्वागत किया। ऐसे शिक्षकों द्वारा ही बच्चों की पढ़ाई भी हुई।
यह स्थिति सरकारी स्कूलों में अभी बनी रहेगी। इसलिए कि शिक्षक 13 फरवरी तक इंटरमीडिएट की परीक्षा में वीक्षण कार्य के लिए प्रतिनियुक्त हैं। 17 फरवरी से उनकी ड्यूटी फिर मैट्रिक की परीक्षा में वीक्षण कार्य के लिए लगने वाली है। मैट्रिक की परीक्षा में वीक्षण कार्य में शिक्षकों को 24 फरवरी तक ड्यूटी बजानी है।
दौड़ पड़ीं स्कूली बसें
6ठी से 8वीं कक्षा के बच्चों के लिए स्कूली बसें दौड़ पड़ीं। बच्चे जब बस स्टॉपेज पर आपस में मिले, तो चेहरे पर लगे मास्क की वजह से पहले एक-दूसरे को पहचान ही नहीं पाये। उन्होंने एक-दूसरे को पहचाना आवाज से। जब पहचाना, तो शारीरिक दूरी बना कर ही सही, लेकिन मिले बड़े उल्लास से।
हर स्टॉपेज पर साथियों को चढ़ते देख पहले से बैठे बच्चे उनका तालियों से उनका स्वागत करते हुए पूछते- कैसे हो! बच्चों को लाने के लिए स्कूलों से चलने के पहले बसों को सेनेटाइज किया गया। ड्राइवर और कंडक्टर फेस कवर में थे। जब बसें बच्चों के पहुंचाने के लिए स्कूलों से निकलीं, तो उसके पहले उन्हें फिर से सेनेटाइज किया गया।
स्कूलों के संचालकों की मानें, तो गाइडलाइन के मुताबिक बसें हर दिन दो बार सेनेटाइज होंगी। एक बार बच्चों को लाने के पहले और दूसरी बार स्कूल से प्रस्थान के पूर्व। यह सुनिश्चित किया गया कि स्कूल बस के ड्राइवर और कंडक्टर सभी समय बच्चों से बस पर चढ़ते समय बच्चों की थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था भी की गयी है। बस की खिड़कियों पर पर्दा नहीं है। खिड़कियां खुली रखी जा रही हैं। एसी बसों के लिए सीपीडब्ल्यूडी द्वारा निर्गत गाइडलाइन के अनुसार 24 से 30 डिग्री सेल्सियस एवं सापेक्ष आद्रता 40 से 70 प्रतिशत की व्यवस्था की गयी है। बसों में हैंड सेनेटाइजेशन की व्यवस्था की गयी है।