पटना

पटना: विश्वविद्यालयों का होगा परफॉर्मेंस ऑडिट


कॉपियों की खरीदारी व छपाई की भी होगी जांच, वित्तीय अनियमितताओं को लेकर सरकार का कड़ा रुख

(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। राज्य के विश्वविद्यालयों का परफॉर्मेंस ऑडिट होगा। परफॉर्मेंस ऑडिट में विश्वविद्यालयों के आय के साथ उसके द्वारा तमाम मदों में खर्च हुई राशि का अंकेक्षण होगा। इससे यह पता चलेगा कि विश्वविद्यालयों में किसी प्रकार की वित्तीय अनियमितता तो नहीं हुई है ? अगर हुई होगी, तो पकड़ में आयेगी।

परफॉर्मेंस ऑडिट में विश्वविद्यालयों द्वारा परीक्षाओं के लिए उत्तरपुस्तिकाओं की खरीदारी व छपाई, प्रश्नपत्रों का मुद्रण एवं परीक्षा संबन्धी खर्चों की भी जांच होगी। उल्लेखनीय है कि मौलाना मजहरुल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कुद्दूस ने हाल ही मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि जब ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह जब कुलपति के अतिरिक्त प्रभार में थे, तो सात रुपये की उत्तरपुस्तिका सोलह रुपये में खरीदी गयी थी। इस दर से एक लाख साठ हजार उत्तरपुस्तिकाओं के ऑर्डर दिये गये। इस राशि के भुगतान के लिए उन पर दबाव बनाया गया।

विश्वविद्यालयों का परफॉर्मेंस ऑडिट कराने के लिए शिक्षा विभाग के अपर मुख्यसचिव संजय कुमार ने सोमवार को महालेखाकार को पत्र लिखा है। इसके मुताबिक राज्य सरकार द्वारा सभी विश्वविद्यालयों को उनके शिक्षक-शिक्षकेतरकर्मियों के वेतन भुगतान, सेवानिवृत्त शिक्षक-शिक्षकेतरकर्मियों के सेवांत लाभ के भुगतान, आउटसोर्सिंग से नियुक्त किये गये कर्मियों के मानदेय भुगतान एवं अतिथि शिक्षकों के मानदेय भुगतान हेतु स्थापना एवं प्रतिबद्ध व्यय अंतर्गत सहायक अनुदान स्वीकृत किया जाता है। इसके साथ ही राज्य के विश्वविद्यालयों एवं अंगीभूत महाविद्यालयों के आधारभूत सुविधाओं के विकास हेतु योजना मद से सहायक अनुदान की राशि स्वीकृत की जाती है।

राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत की गयी राशि के अतिरिक्त सभी विश्वविद्यालयों के पास आंतरिक स्रोत से प्राप्त होने वाली राशि व संसाधन भी उपलब्ध होते हैं। राज्य सरकार द्वारा स्थापना एवं प्रतिबद्ध व्यय अंतर्गत स्वीकृत की गयी राशि से विश्वविद्यालयों द्वारा नियमित कर्मियों के वेतन भुगतान एवं सेवानिवृत्त कर्मियों के सेवांत लाभ के भुगतान के अतिरिक्त अतिथि शिक्षकों के भुगतान किये जाते हैं एवं आउटसोर्सिंग मद में भी इसका उपयोग किया जाता है।

राज्य सरकार द्वारा योजना मद से स्वीकृत की गयी राशि एवं विश्वविद्यालय के आंतरिक स्रोत से उपार्जित की गयी राशि से किये जाने वाले कार्यों में विकासात्मक कार्य (जिसमें आधारभूत सुविधाओं के विकास के साथ विश्वविद्यालय में आईटी संबन्धी कार्य भी शामिल हैं), विद्युत विपत्र, टेलीफोन बिल, होल्डिंग टैक्स, वाहनों पर व्यय एवं अन्य आकस्मिक कार्यालय व्यय, पुस्तकालय में पुस्तकों का क्रय एवं प्रयोगशालाओं में उपकरणों एवं कम्प्यूटर आदि का क्रय, विश्वविद्यालयों के सुरक्षा व सफाई आदि हेतु आउटसोर्सिंग मद में भुगतान, परीक्षा हेतु उत्तरपुस्तिकाओं का कार्य व छपाई, प्रश्नपत्रों की छपाई एवं परीक्षा संबन्धी अन्य व्यय शामिल हैं।

विश्वविद्यालयों को इन मदों पर राशि व्यय करने में बिहार वित्तीय नियमावली का पालन किया जाना आवश्यक होता है। बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1976 एवं पटना विश्वविद्यालय अधिनियम, 1976 की धारा 54 और आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय अधिनियम, 2008 की धारा 34 में विश्वविद्यालय-महाविद्यालय के लेखा का अंकेक्षण किये जाने का प्रावधान है। पर, पिछले कई वर्षोँ से विश्वविद्यालयों के आय एवं व्यय का आंकेक्षण नहीं हुआ है।

इसके मद्देनजर महालेखाकार को दिये गये पत्र में अपर मुख्यसचिव ने कहा है कि राज्य के सभी विश्वविद्यालयों की परफॉर्मेंस ऑडिट करायी जाय। इसकी प्रति सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति, कुलसचिव एवं वित्त पदाधिकारी को भी दी गयी है।