(आज समाचार सेवा)
पटना। विधानसभा उस वक्त सन्न हो गया जब रामबलि सिंह यादव के अल्पसूचित सवाल के जवाब के क्रम में स्पीकर विजय कुमार सिन्हा ने विधानसभा में अलग से प्रोटोकॉल समिति के गठन की घोषणा कर दी। घोषणा होते ही सत्ता पक्ष खासकर ट्रेजरी बेंच सकते में आ गया। मामला विधायकों के द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों से किसी मुद्दों पर शिकायत करने पर कृत कार्रवाई से अवगत नहीं कराया जाता। इस मुद्दे को लेकर पक्ष व विपक्ष के सदस्यों ने र्कार्यपालिका मे बैठे अधिकारियों के रवैये की आलोचना की।
हालांकि संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने अपने जवाब के क्रम में सदन को बताया कि मुख्य सचिव, मंत्रिमंडल सचिवालय एवं संसदीय विभाग की ओर से समय-समय पर विधायकों के पत्रों को संज्ञान में लेने, पत्र की पावती १५ दिन के अंदर देने तथा पत्र के आलोक में कृत कार्रवाई से अगले १५ दिन के अंदर अवगत कराने को लेकर हिदायत दिया जाता रहा है।
राजद व भाजपा के सदस्यों का कहना था कि यह बात सही है कि सरकार से समय-समय पर निर्देश जारी किये गये, इसकी प्रति सदस्यों को मिली है। कतिपय मामलों में पत्र की पावती भी मिली है, लेकिन कृत कार्रवाई से नहीं अवगत कराया जाता है, यह विधायकों के साथ अपमान है। सरकार को अपने द्वारा दिये गये निर्देश का सख्ती से अनुपालन कराना चाहिए। ऐसे अधिकारियों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कार्रवाई भी होनी चाहिए।
राजद के आलोक कुमार मेहता ने कहा कि अच्छा होगा ऐसे मामलो की मॉनीटरिंग के लिए विधानसभा की अलग से कमेटी बना दी जाये। भाजपा के नीतीश मिश्रा का कहना था कि मैने १०६ पत्र जिलास्तरीय अधिकारियों को दिया, पावती तो मिला, लेकिन कृत कार्रवाइ के बारे में जानकारी नहीं मिली। संजय सरावगी ने भी कहा कि हमने १०० पत्र लिखे, लेकिन क्या हुआ इसकी सूचना नहीं दी गयी। सदस्यों के हंगामे के बीच स्पीकर विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि विधायिका जब मजबूत होती है तो प्रशासन भी मजबूती से काम करता है। विधानसभा में अलग से स्थायी प्रोटोकॉल कमेटी का गठन किया जायेगा। पत्रों के आलोक में कृत अनुपालन की मॉनीटरिंग करेगा और उसकी रिपोर्ट सदन के पटल पर रखेगा।
राजद के चंद्रहास चौपाल के अल्पसूचित प्रश्न के जवाब में प्रभारी समान्य प्रशासन मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने बताया कि राज्य के अंदर प्रतियोगिता परीक्षाओं में अवसर बढ़ाने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।