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प्रयागराज में तेजी से बढ़ रहा है नदियों का जलस्तर,


  • श्रृंगवेरपुर, देवरख, अरैल, छतनाग व दूसरे घाटों पर हज़ारों की संख्या में शव दफनाए गए थे. गंगा में पिछले दिनों कई बैराज से पानी छोड़ा गया है, यह पानी प्रयागराज में पहुंचकर जलस्तर को और बढ़ाएगा.

प्रयागराज: संगम नगरी प्रयागराज में गंगा और यमुना दोनों ही नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है. नदियों का जलस्तर बढ़ने से जहां कछारी इलाकों में रहने वाले लोग बाढ़ की आशंका से चिंता में डूब गए हैं तो वहीं गंगा के किनारे दफनाए गए शवों के बहने का खतरा भी बढ़ गया है. पानी बढ़ने के बाद फाफामऊ इलाके के श्मशान पर शवों को कब्रों से निकालकर उनका दाह संस्कार किये जाने का काम दोगुनी रफ़्तार से तेज कर दिया गया है. यहां इन दिनों रोज़ाना पंद्रह से पचीस शवों को कब्रों से निकालकर उनका दाह संस्कार किया जा रहा है. हालांकि जिस जगह शवों को दफनाया गया है, उसके टापू बन जाने और चारों तरफ पानी से घिर जाने की वजह से दाह संस्कार के काम में अब दिक्कत आने लगी है.

जलस्तर लगातार बढ़ने की वजह से अब सूरज डूबने के बाद रात के वक़्त शवों का दाह संस्कार नहीं करने का फैसला किया गया है. ख़ास बात यह है कि अप्रैल और मई महीनों में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान गंगा के किनारों पर बड़ी संख्या में जिन शवों को दफनाया गया था, उन्हें गंगा में समाहित होने से बचाने के लिए कब्रों से निकालकर दाह संस्कार किये जाने का काम सिर्फ फाफामऊ घाट पर ही चल रहा है, जबकि श्रृंगवेरपुर, देवरख, अरैल, छतनाग व दूसरे घाटों पर भी हज़ारों की संख्या में शव दफनाए गए थे. ऐसे में अगर फाफामऊ की तरह वक़्त रहते यहां दफ़न शवों को बाहर निकालकर उनका दाह संस्कार नहीं किया जाता तो आने वाले दिनों में इनका गंगा में समाहित होना तय है. मुसीबत सिर पर खड़ी होने के बावजूद सरकारी अमला अभी नींद में सोया हुआ है और वह शवों के गंगा में समाने व फजीहत होने का इंतजार कर रहा है.