Post Views: 529 ऋतुपर्ण दवे इसमें कोई दो मत नहीं कि दुनियाका सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत है जहां लोक यानी जनता अपने भरोसेमंदों नुमाइंदे बनाकर जन उत्तरदायी व्यवस्थाओंकी संचालित प्रणालियोंकी अगुवाई और सुधारकी गुंजाइशोंकी जिम्मेदारी देती है। लोकतंत्रके यह पहरु, आम चुनावोंके जरिये चुने जाकर देश-प्रदेशकी सरकारोंसे लेकर गांवकी पंचायतोंतकमें पक्ष-विपक्षमें बैठकर आमजनके हितके […]
Post Views: 369 आर.डी. सत्येन्द्र कुमार विनिर्माण उद्योग संकटमें रहा है। मार्चमें यह संकट गहनतर हो गया है। इतना ही नहीं, उसमें सुधारके भी फिलहाल कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। इसके लिए एक हदतक कोविड केसमें उभारको मुख्य रूपसे जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। हालांकि विनिर्माण उद्योगकी विसंगतियोंकी भी भूमिका स्वीकार की जा […]
Post Views: 603 अनिल जैन पानीके संकटको स्पष्ट तौरपर दुनियाभरमें महसूस किया जा रहा है और विशेषज्ञ चेतावनी दे चुके हैं कि अगला विश्व युद्ध यदि हुआ तो वह पानीको लेकर ही होगा। जिस तेजीसे पानीका संकट विकराल रूप लेता जा रहा है, कमोबेश उसी तेजीसे जंगलोंका दायरा भी सिकुड़ता जा रहा है। जब मनुष्यने […]