डा. गौरीशंकर राजहंसे
अभी हालमें प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीने बंगलादेशका दौरा वहांकी प्रधान मंत्री शेख हसीनाके निमंत्रणपर किया था। यह एक ऐतिहासिक यात्रा थी। साधारणत: कोरोना महामारीके दौरान प्रधान मंत्री विदेशमें कहीं नहीं जा रहे हैं। उन्होंने शेख हसीनाके साथ मिलकर कई महत्वपूर्ण समझौते किये। पांच सहमति पत्रोंपर दोनों पक्षोंकी ओरसे हस्ताक्षर किये गये। कारोबार, स्वास्थ तथा विकासात्मक सहयोग जैसे क्षेत्रोंमें दोनों तरफसे चर्चा हुई। इसके बाद पांच सहमति पत्रोंपर दोनों ओरसे हस्ताक्षर किये गये। कोरोना महामारी फैलनेके बाद प्रधान मंत्री मोदीकी यह पहली विदेश यात्रा थी। प्रधान मंत्री मोदीने पहले बंगलादेशकी प्रधान मंत्री शेख हसीनासे अलगसे विस्तारसे बात की। उसके बाद प्रतिनिधि स्तरपर करीब एक घंटेकी वार्ता चली। भारतीय परराष्टï्र मंत्रालयके प्रवक्ता अरिदम बागचीने इस वार्ताको अत्यन्त ही सुखद और सफल बताया। दोनों देशोंने संपर्क, वाणिज्य, सूचना प्रोद्योगिकी और खेल जैसे क्षेत्रोंमें महत्वपूर्ण समझौते किये। इस बैठकको यादगार बनानेके लिए प्रधान मंत्री मोदीने बंगलादेशकी प्रधान मंत्री शेख हसीनाको १०९वीं एम्बुलेंसकी प्रतिकात्मक चाबी भेंट की। मोदीने शेख हसीनाको १२ लाख कोरोना वैक्सीनोंका एक प्रतिकात्मक डिब्बा भी भेंट किया जो भारत द्वारा बंगलादेशको कोरोनाकी रोकथामके लिए भेंट किया गया था।
मोदी द्वारा बंगलादेशकी यात्रा ऐसे मौकेपर की गयी थी जब बंगलादेशकी स्वतत्रतासंग्रामकी ५०वीं वर्षगांठ मनायी जा रही थी। यह मौका बंग-बंधु मुजिबुर्रहमानकी सौवीं जयन्तीका था। मोदीने बंग-बन्धुकी मजारपर जाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किये। उन्होंने बंगलादेशकी प्रसिद्ध जे. जोगेश्वरी काली मंदिरमें पूजा-अर्चना की और कालीजीकी मूर्तिके सामने साष्टांग प्रणाम कर मां कालीसे प्रार्थना की कि वह शीघ्रातिशीघ्र पूूरे विश्वको कोरोना महामारीसे मुक्त करा दें। विभिन्न मंदिरोंमें पूजा-अर्चना करनेके बाद प्रधान मंत्री मोदीने कहा कि भारत और बंगलादेश दोनों ही अपने विकास और प्रगतिमें पूरे विश्वकी प्रगति देखना चाहते हैं। दोनों ही देश दुनियामें अस्थिरता, आतंक और अशांतिकी जगह स्थिरता, प्रेम और शांति चाहते हैं। उन्होंने बंगलादेशके मतुआ समाजके अनेक लोगोंसे बात करते हुए कहा कि आज उनकी वर्षोंसे लंबित मनोकामना पूरी हुई है।
प्रधान मंत्रीने शेख हसीनाको आश्वस्त किया कि तिश्ता नदीके मामलेमें जो विवाद है उसे भारत शीघ्रातिशीघ्र निबटा लेगा। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीकी ढाका यात्रा कई मामलेमें महत्वपूर्ण है। यह तो सर्वविदित है कि जी-जान लगाकर भारतने सैनिकोंकी मदद करके आजसे ५० साल पहले बंगलादेशको पूर्वी पाकिस्तानके क्रूर सैनिक आकाओंसे मुक्त कराया था। उस समय ऐसा लगता था कि जिस तरह ऐशियाके छोटे-छोटे देश वक्तके अंधेरेमें गुम हो गये उसी तरह बंगलादेश भी गुम हो जायगा। परन्तु शेख हसीनाने सारी भविष्यवाणियोंको शून्य कर दिया। कठोर परिश्रम करके उन्होंने बंगलादेशकी जीडीपीको २०२०-२१ में भारतसे आगे कर लिया और कई मामलोंमें बंगलादेश भारतसे आगे बढ़ गया। बंगलादेशका सूती वस्त्र उद्योग भारतसे आगे है और वहांके सिले-सिलाये वस्त्र संसारके अन्य देशोंसे सस्ते और आकर्षक हैं। शेख हसीनाने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और यह जता दिया कि यदि कठिन पश्रिम किया जाय और दृढ़ विश्वास हो तो कुछ भी असंभव नहीं है। बंगलादेशमें हिन्दू और मुसलमानोंके बीच पूरी तरह सौहार्द और समन्वय है और जिस तरह पाकिस्तानके आका भारतके खिलाफ जहर उगलते हैं वैसा बंगलादेशमें नहीं है। नरेन्द्र मोदीने शुरूसे ही प्रयास किये कि बंगलादेशके साथ मधुरतम संबंध हों जो और देशोंके लिए एक उदाहरण बन सकें। शुरूसे ही शेख हसीना सरकारका यह लक्ष्य रहा कि बंगलादेशके साथ भारतके संबंध मधुरतम रहें और बंगलादेशके आर्थिक उत्थानके लिये भारत का सहयोग मिलता रहे।
आज नतीजा यह है कि कई मामलों में बांग्लादेश की आर्थिक स्थिति भारतसे बेहतर है और इसमें कोई संदेह नहीं कि यदि दोनों देशोंकी मित्रता इसी तरह कायम रही तो वह एशियामें अन्य देशोंके लिए एक आदर्श उदाहरण बन जायगा। सबसे बड़ी बात यह है कि बंगलादेश भारतके दुश्मन चीनके बहकावेमें नहीं आया और उसने हर हालतमें अपना स्वतंत्र अस्तित्व कायम रखा। कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि नरेन्द्र मोदीने महामारीके इस संकटकालमें बंगलादेश जाकर बहुत ही उदारता दिखाई है और हर हालतमें भारत और बंगलादेशकी मित्रताको मजबूती प्रदान की है। भारतने बंगलादेशको कोरोना वैक्सीनके जो हजारे टीके दिये है उसका बंगलादेशमें हृदयसे स्वागत हुआ है और लगता है कि यह अन्य पड़ोसी देशोंके लिए उदाहरण साबित होगा। आजकी तारीखमें एशियाके अन्य देशोंकी नजरें भारत और बंगलादेशके मजबूत होते संबंधोंपर टिकी हैं। हालके वर्षोंकी राजनीतिक और आर्थिक घटनाओंको देखकर ऐसा लगता है कि भारत और बंगलादेश आगामी वर्षोंमें सच्चे मित्र बनकर रहेंगे और दोनों देशोंके आािर्थक विकासको गति मिलेगी।