Post Views: 817 बीके शिवानी हम जो कर्म करते हैं, वह हमें नहीं दिखता, भाग्य दिखता है। हम सोचते हैं कि जो भी होता है, भगवानकी मर्जीसे होता है। ठीक भी है। इसलिए हम रोज उनसे कहते हैं- हे, भगवान मेरी समस्या ठीक कर दो। क्या भगवान हमारी समस्या ठीक कर सकते हैं। मान लो […]
Post Views: 556 प्रवीण गुगनानी भारतीय दलित राजनीति वर्तमान समयमें सर्वाधिक दिग्भ्रमित दौरमें है। दुर्भाग्यसे वर्तमान समय ही इतिहासका वह संधिकाल या संक्रमणकाल है जबकि दलित राजनीतिको एक दिशाकी सर्वाधिक आवश्यकता है। भीम मीमके नामका सामाजिक जहर बाबासाहेब अम्बेडकरके समूचे चिंतनको लील रहा है। भीम मीमके इतिहासको देखना, पढऩा एवं समझना आजके अनसुचित जाति समाजकी […]
Post Views: 913 राजेश माहेश्वरी नये कृषि कानूनोंके खिलाफ किसानोंमें काफी गुस्सा है। किसान नेताओं और संघटनोंका मत है कि यह बिल उन अन्नदाताओंकी परेशानी बढ़ायंगे, जिन्होंने अर्थव्यवस्थाको संभाल रखा है। कुछ विशेषज्ञोंका कहना है कि इस कानूनसे किसान अपने ही खेतमें सिर्फ मजदूर बनकर रह जायगा। हमें अपने देशकी स्थिति और किसानके हालातके मुताबिक […]