मुंबई में मानसून का समय अपने साथ स्थानीय लोगों के लिए बड़ी ही मुसीबत लेकर आता है. बारिश होते ही सड़कें ग़ायब हो जाती हैं और नदी-नालों में सैलाब आने लगता है. जिसके चलते बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) हर साल नदी-नाले साफ़ करवाती है.
मुंबई में मॉनसून जून के शुरुआती हफ़्ते में आता है. ऐसे में नगर निगम ने कमर कस ली है. फरवरी के आखिर में शहर के नालों और मीठी नदी की सफ़ाई का काम शुरू कर दिया जाएगा. इस साफ़-सफ़ाई के लिए बीएमसी 132.40 करोड़ रुपये ख़र्च कर रही है.
पूरे मुंबई में 263.91 किमी का नालों का जाल बिछा हुआ है. बीएमसी हर साल बारिश के पहले तक़रीबन 75% नालों की सफ़ाई करती है. जबकि मानसून के दौरान 15% नालों की सफाई और मानसून के बाद 10% नालों की सफ़ाई की जाती है.
मीठी नदी मुंबई में 18 किमी तक फैली है. इसकी सफ़ाई के लिए नगर निगम 89 करोड़ रुपये ख़र्च कर रही है.
हर साल नगर निगम का यही उद्देश्य रहता है कि बारिश के दिनों में शहर उफ़नती नदी में न तब्दील हो जाए. कोरोना की वजह से यह काम काफ़ी टल गया है मगर कॉन्ट्रैक्टर्स को उम्मीद है कि वो समय से पहले यह काम ख़त्म कर देंगे.