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- करायपरशुराय में दो तथा रहुई में एक स्थानों पर नदी के तटबंध में कटाव
- लाधिकारी ने बताया नदियों के उद्गम स्थल में बारिश नहीं होने से आगे राहत की उम्मीद
- करायपरशुराय में तटबंधों का मरम्मती के लिए लगाया गया टीम तो रहुई के पंचाने में मरम्मती छोड़कर भागे अभियंता
- उदेरा स्थान बराज में सुबह की अपेक्षा शाम में 30 हजार क्यूसेक वाटर डिस्चार्ज घटा जिसके बाद बंद किया गया चार गेट
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बिहारशरीफ (आससे)। पिछले 24 घंटे में जिले में तथा जिले के उद्गम स्थल झारखंड में बारिश कम या नहीं होने से फल्गु के जलस्तर में वृद्धि नहीं हुई है, वहीं पंचाने और गोइठवा नदी के जलस्तर में वृद्धि होने के साथ रहुई प्रखंड के हवनपुरा मौजा में तटबंध टूटने से कुछ इलाकों में फसलें डूबी है। हालांकि हिलसा एवं करायपरशुराय में जहां कल तक बाढ़ की संभावना प्रबल थी वहां तटबंधों की मरम्मती और देखरेख होने से कटाव नहीं हुआ है। लेकिन नदियों से निकलने वाले जलस्रोतों के जरिये खेतों में पानी भर गया है। लेकिन जिले के प्रमुख नदियों में रविवार की शाम तक कमोबेश जलस्तर में वृद्धि जारी थी।
जिला प्रशासन और बाढ़ निःस्सरण प्रमंडल लगातार नदी और तटबंधों पर निगाह रख रही है। पंचाने नदी में उसी स्थान पर कटाव हुआ था जहां 20 दिन पूर्व कटाव के बाद तटबंध बनाया गया था। हालांकि सुबह से हीं तटबंध को बांधने का काम शुरू कर दिया गया था, लेकिन तब तक कई गांवों की फसलें डूब चुकी है। करायपरशुराय इलाके में सघन आबादी भी नदियों के पानी से प्रभावित हुआ है।
फल्गु, लोकाइन जैसी नदियों में बीते कल से हीं जलस्तर में काफी वृद्धि हो गयी थी, जिससे एनएच 110 पर यातायात अवरूद्ध हो चुका था। लेकिन नदी के जलस्तर कम होने से बाढ़ की स्थिति नहीं पैदा हुई है। जिलाधिकारी योगेंद्र सिंह ने बताया कि हिलसा एवं करायपरशुराय के वैसे चार स्थलों पर बांध की मरम्मती और सुरक्षात्मक कार्य जारी है, जहां से कटाव की आशंका थी या कआव हुआ था। उन्होंने बताया कि रहुई में पंचाने नदी के तटबंध में पुराने स्थान पर कटाव की सूचना के बाद तटबंध को बांधने का काम शुरू कर दिया गया है।
हालांकि पंचाने के बहाव के बीच बाढ़ निःस्सरण प्रमंडल बिहारशरीफ द्वारा रहुई में तटबंध में आयी दरार को पाटने की पहल नाकाम रही। देर शाम तक तटबंध दुरूस्त करने का काम शुरू नहीं हो सका। हालांकि अभी भी वहां नदी का बहाव खेतों की ओर है और सैकड़ों एकड़ में लगी धान की फसलें डूब चुकी है। कई गांवों में धान की फसल बचा नहीं रह सका है।
01 अगस्त को सुबह 06 बजे तक जिले के सात प्रमुख नदियों की जलस्तर पर नजर डाली जाय तो सकरी छोड़कर प्रायः नदियों में जलस्तर में वृद्धि जारी थी। जबकि बीते कल शाम तक सकरी में भी जलस्तर में वृद्धि हो रही थी। रविवार की शाम 03 बजे भी सकरी छोड़ सभी नदियों में जलस्तर बढ़ना जारी था, लेकिन प्रायः नदियां खतरे के निशान से या तो उपर या करीब थी।
सकरी नदी का जलस्तर रविवार की शाम 03 बजे खतरे के निशान से नीचे है। हालांकि सुबह की अपेक्षा नदी के जलस्तर में कमी आयी है। जबकि पैमार मालीसाढ़ के पास खतरे के निशान के करीब है। यहां भी सुबह की अपेक्षा शाम में जलस्तर में वृद्धि हुई है। पंचाने नदी साठोपुर ब्रिज के पास खतरे के निशान से लगभग एक मीटर नीचे बह रही है, लेकिन सुबह की अपेक्षा शाम में नदी के जलस्तर में 0.3 मीटर की वृद्धि हुई है। गोईठवा नदी बकरा-चोरसुआ के पास खतरे के निशान से 15 सेमी नीचे बह रही है, लेकिन सुबह की अपेक्षा शाम में रविवार को इसके जलस्तर में 0.89 मीटर वृद्धि दर्ज की गयी है।
जिराईन नदी कुलती के पास खतरे के निशान से 12 सेमी उपर बह रही है। यहां भी सुबह की अपेक्षा शाम में 0.30 मीटर जलस्तर में वृद्धि दर्ज की गयी है। सोयवा नदी सोयवा ब्रिज के पास खतरे के निशान से लगभग 1 मीटर उपर बह रही है। सुबह की अपेक्षा शाम में इसके जलस्तर में 0.06 मीटर की वृद्धि हुई है। जबकि कुम्हरी नदी बेलदरियापर में खतरे के निशान से लगभग 2 मीटर नीचे बह रही है, लेकिन सुबह की अपेक्षा शाम में 0.15 मीटर इसमें वृद्धि दर्ज की गयी है।
जिले के प्रायः नदियाें का उद्गम स्थल झारखंड का गुमला, लोहरदग्गा, लातेहार, गढ़वा, पलामू, चतरा, हजारीबाग, कोडरमा, गिरिडीह रहा है। पुनपुन और मोरहर नदी जिसका कुछ अंश नालंदा जिले के पश्चिमी इलाके को टच करती है का उद्गम स्थल पलामू एवं छपरा है जहां 31 जुलाई को 66 से 68 मिमि बारिश हुई है। जबकि फल्गु नदी जिसका उद्गम स्थल चतरा और हजारीबाग जिला है, वहां भी 31 जुलाई को 68.70 और 150.30 मिमि बारिश दर्ज की गयी है। जबकि सकरी और पंचाने नदी का उद्गम स्थल हजारीबाग, कोडरमा और गिरिडीह है। इन तीनों जिलों में क्रमशः 150.30, 71.50 तथा 71.40 मिमि बारिश दर्ज की गयी है। यही वजह है कि इन नदियों के जलस्तर में थोड़ी बहुत वृद्धि जारी है। हालांकि 01 अगस्त को इन स्थानों पर बारिश की सूचना नहीं है।
जिले के सकरी, पंचाने सहित विभिन्न नदियों का आगमन झारखंड से नवादा के रास्ते होता है। ऐसे में 31 जुलाई को सकरी नदी के जलस्तर में नवादा में जहां 5 फीट 6 इंच था वहीं खुरी नदी में जलस्तर 4 फीट के करीब था। धानारजय नदी में 4 फीट 6 इंच, तिलैया नदी में 4 फीट तथा घाघर नदी में 3 फीट 6 इंच जलस्तर दर्ज किया गया है।
कुल मिलाकर जिले के अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग नदियों से ना केवल फसलें क्षति हुई है बल्कि कृषि कार्य भी प्रभावित हुआ है। कई इलाके में धान की लगी फसलें डूब चुकी है। भले ही जल एवं निःस्सरण प्रमंडल यह दावा कर रही हो कि सभी तटबंधे सुरक्षित है, लेकिन रहुई एवं करायपरशुराय में नदी के तटबंधों में कटाव हुआ है, जिससे दर्जनों गांव की फसलें बर्बाद हुई है।
उदेरा स्थान बराज में पानी के जलस्तर पर नजर डाली जाय तो 31 जुलाई को जहां सभी 30 गेट वाटर डिस्चार्ज के लिए खोल दिया गया था और 159000 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज हुआ था, वहीं 01 अगस्त को बराज का सभी 30 गेट खुला रहा और 95092 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज हुआ है। सुबह 08 बजे यहां कुल 55773 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज हुआ था। जबकि शाम 06 बजे तक 30 गेट में 26 गेट को खोला गया और 04 को बंद किया गया, जिसके बाद वाटर लेवल में कमी आयी है। 29909 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज हो रहा है। सुबह से शाम के बीच यहां वाटर डिस्चार्ज 30 हजार क्यूसेक कमा है। यानी कि नदी के बहाव में कमी आयी है, जिससे लोगों को राहत की उम्मीद है।