-
-
- यह प्लांट हवा को खींचकर नाइट्रोजन एवं अन्य अवयवों को छांट कर ऑक्सीजन का करेगी बेड तक आपूर्ति
- अभी तक लिक्विड ऑक्सीजन से चलता था अस्पतालों में प्लांट और भरा जाता था सिलिंडर में
- 93 से 96 फीसदी शुद्धता के साथ एक मिनट में 960 लीटर ऑक्सीजन की करेगी आपूर्ति
-
बिहारशरीफ (आससे)। सदर अस्पताल बिहारशरीफ में लगाये गये ऑक्सीजन प्लांट को लिक्विड ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं होगी। यह अपने बूते ऑक्सीजन बनायेगी। सामान्यतः सिलिंडर में भरा जाने वाला ऑक्सीजन तथा अस्पतालों में आपूर्ति की जाने वाली ऑक्सीजन लिक्विड से बनाया जाता है, लेकिन सदर अस्पताल में डीआरडीओ द्वारा लगाया गया ऑक्सीजन प्लांट में कोई रिफिलिंग की आवश्यकता नहीं होगी। यह सेल्फ ऑक्सीजन बनायेगी। इसे सेट में लगाया गया है, जहां ऐयर लेने के लिए पर्याप्त खुला स्थान रखा गया है। अच्छी बात यह है कि जहां पर शेड बना है वह पेड़ों से आच्छादित है।
इंस्टॉलेशन में शामिल एल एंड टी के इंजीनियरों ने बताया कि प्लांट में एयर कंप्रेशर लगा है जो खुले वातावरण से हवा को खीचेंगा और यहां के बाद हवा एयर ड्रायर में जायेगा, जहां हवा की नमी को समाप्त कर दी जायेगी, जिसके बाद हवा को टावर 1 और टावर 2 में भेजा जायेगा। इस टावर में काम होगा कि हवा से ऑक्सीजन को अलग कर अन्य अवयव यथा नाइट्रोजन आदि को बाहर निकाल देगी और ऑक्सीजन को ऑक्सीजन टैंक में भेज देगी।
ऑक्सीजन टैंक से 93 से 96 प्रतिशत शुद्धता के साथ चार से पांच किलोग्राम प्रति स्क्वायर सेंटीमेटर के प्रेशर से अॅक्सीजन को पाइपलाइन के जरिये बेडों तक पहुंचाया जायेगा। यह प्लांट फुल्ली ऑटोमेटिक है। यानी कि जितनी आवश्यकता अस्पताल में ऑक्सीजन की होगी उसी हिसाब से यह उसका निर्माण करेगी।
खास बात यह है कि इसके लिए विशेष ट्रांसफार्मर लगाया गया है और स्पेशल फीडर से जोड़ा गया है। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत 250 केवीए का बड़ा जेनरेटर भी इंस्टॉल किया गया है, जो लाइन कट होते ही ऑटो मोड में स्टार्ट होगा। यानी कि प्लांट में बिजली आपूर्ति कभी ठप नहीं होगी।