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ब्रिटेन: रिसर्च में दावा- कोविड-19 वैक्सीन की पहली डोज़ के बाद 96% लोगों में बनी एंटीबॉडी


  • इंग्लैंड और वेल्स के 8,500 से ज्यादा लोगों को कोविड-19 वैक्सीन के सिंगल डोज से पहले एंटीबॉडीज नहीं थी. शोधकर्ताओं ने रिसर्च के लिए 13,232 एंटीबॉडी सैंपल इकट्ठा किया. नतीजे से पता चला कि पहला डोज लगवाने के 28-34 दिनों बाद 96 फीसद लोगों में एंटीबॉडीज विकसित हुई.

दुनिया में आबादी का जल्द से जल्द टीकाकरण अभियान पूरा करने की कवायद जारी है. हालांकि, वैक्सीन के बारे में कई सवाल बरकरार हैं, लेकिन एक बात निश्चित है कि ये काम करती है. अब, एक ताजा रिसर्च से पता चला है कि कोविड-19 वैक्सीन का एक सिंगल डोज भी शरीर में एंटीबॉडीज पैदा करने में मदद कर सकता है. इंग्लैंड और वेल्स में किए गए रिसर्च के मुताबिक, एस्ट्राजेनेका या फाइजर की वैक्सीन का पहला डोज लेनेवाले 90 फीसद से ज्यादा लोगों में एंटीबॉडीज पैदा हो सकी. नतीजा 8,517 लोगों को मद्देनजर रखते हुए निकाला गया है. उन्होंने इंग्लैंड या वेल्स में वैक्सीन का डोज लिया था.

कोविड वैक्सीन के पहले डोज से 96 फीसद लोगों में एंटीबॉडीज

एस्ट्राजेनेका की कोविड-19 वैक्सीन इस्तेमाल करनेवाले 96.42 फीसद लोगों में एंटीबॉडीज विकसित हुई और फाइजर की वैक्सीन के पहले डोज से 28-34 दिनों के अंदर एंटीबॉडीज बन सकी. संख्या दूसरा डोज लेने से और भी बढ़ गई. दूसरा डोज लगवाने वाले 99.08 फीसद में एंटीबॉडीज 7- 14 दिनों के अंदर विकसित हुई.

फाइजर और एस्ट्राजेनेका की दोनों वैक्सीन का प्रभाव साबित

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने बताया कि दोनों वैक्सीन का एंटीबॉडीज बनाने में प्रभाव साबित हुआ. रिसर्च में 13,232 एंटीबॉडी सैंपल का मूल्यांकन किया गया जिसे परीक्षण में शामिल 8,517 लोगों ने दिया था. उनमें से किसी में भी वैक्सीन लगवाने से पहले एंटीबॉडीज नहीं थी और जिनको एंटीबॉडीज थी, उन्हें परीक्षण से बाहर कर दिया गया.