Post Views: 469 श्रीराम शर्मा असुरता इन दिनों अपने चरम उत्कर्षपर हैं। दीपककी लौ जब बुझनेको होती है तो अधिक तीव्र प्रकाश फेंकती और बुझ जाती है। असुरता भी जब मिटनेको होती है तो जाते-जाते कुछ न कुछ करके जानेकी ठान लेती है। इन दिनों भी यही सब हो रहा है। असुर तो अपने नये […]
Post Views: 479 श्रीराम शर्मा किसीकी यह धारणा सर्वथा मिथ्या है कि सुखका निवास किन्हीं पदार्थोंमें है। यदि ऐसा रहा होता तो वह सारे पदार्थ जिन्हें सुखदायक माना जाता है, सबको समान रूपसे सुखी और संतुष्ट रखते अथवा उन पदार्थोंके मिल जानेपर मनुष्य सहज ही सुख संपन्न हो जाता। संसारमें ऐसे लोगोंकी कमी नहीं है, […]
Post Views: 898 अजीत रानाडे यह वर्षमें प्रवेशके इस अवसरपर व्यापक आर्थिक स्तरपर हवाएं हमारे पक्षमें बहती दिख रही हैं। स्टॉक मार्केट पहलेकी तुलनामें उच्च स्तरपर है। शेयर मूल्य सूचकांक मार्चकी गिरावटके बरक्स लगभग ६० प्रतिशत ऊपर हैं। स्टॉक मार्केटको आगेकी आर्थिक स्थितियोंका सूचक माना जाता है तो यह स्पष्ट रूपसे ठोस आर्थिक पुनरुत्थानको इंगित […]