सम्पादकीय

  योग और ध्यान


श्रीश्री रविशंकर 

मानसिक स्वास्थ्य आज पृथ्वीपर सबसे बड़े मुद्दोंमेंसे एक बन गया है। वर्तमान समयमें संसारभरमें कोरोना महामारी फैली है और जनता लॉकडाउनमें हैं तथा ऐसेमें लोगोंके दिल और दिमागमें बहुत चिंता है। इससे बच निकलनेका निश्चित रूपसे सबसे अच्छा समाधान योग और ध्यान है। यह अति आवश्यक है और मैं तो कहूंगा कि आज समयकी मांग भी यही है कि संसारके कोने-कोनेमें योग और ध्यान दोनोंकी शुरुआत की जाय, क्योंकि इसके बहुत अधिक लाभ हैं। योग मजबूत प्रतिरक्षा प्रणालीके निर्माणमें मदद करनेके साथ हमें शारीरिक रूपसे फिट और भावनात्मक रूपसे स्थिर रखता है। योगका नियमित अभ्यास ऊर्जाके स्तरको उच्च रखता है और साथ ही व्यक्तिके उत्साहको भी बढ़ाता है। हम अपने स्पंदनोंके माध्यमसे बहुत कुछ प्रकट करते हैं। योग हमारे स्पंदनोंको सकारात्मक और आकर्षक बनाता है। हम सबका यह उत्तरदायित्व है कि हम यह सुनिश्चित करें कि प्रत्येक नागरिकको योग करनेका अवसर उपलब्ध हो। जिन्हें आंतरिक शांति प्राप्त हुई है, उन्हें इसे सबके साथ बांटना चाहिए। मैं योगके प्रत्येक छात्र और शिक्षकसे आग्रह करता हूं कि वे अधिकसे अधिक लोगोंतक पहुंचे और इस अनमोल ज्ञानको सबमें बांट कर, इस संसारको फिरसे पटरीपर लानेमें अपनी भूमिका निभायें। मैं यह जान कर अत्यंत प्रसन्न हूं कि आज संसारकी एक-तिहाई आबादी योगका अभ्यास कर रही है और मैं आशा करता हूं कि शेष दो-तिहाई लोग भी इन अभ्यासोंको अपना लेंगे। जैसे आज सेलफोन संसारके अरबों घरोंतक पहुंच गया है, हमें योगको इस पृथ्वीपर हर घरमें और हर व्यक्तितक पहुंचाना है। आइये हम अपने समर्पणको एक नया आयाम दें और ऐसा ही करनेका संकल्प लें। योगसे ही हम अपने मनकी गहराइयोंमें झांक सकते हैं और ध्यानके माध्यमसे अपनी इंद्रियोंको वशमें कर सकते हैं। सभीमें ध्यानका ज्ञान और पर्यावरणके प्रति जागरूकता लाना। आइये हम आशा करें कि आनेवाले वर्षोंमें हम बड़े पार्कोंमें, बड़े समूहोंको एकत्र कर सबके साथ मिलकर योग करेंगे और एक-दूसरेको प्रेरित करनेमें सक्षम होंगे। बीते वर्ष संसारभरमें लोग ऑनलाइन होनेवाले कार्यक्रमोंसे ही संतुष्ट हुए हैं। वर्तमान दौरमें तो योगको सभीको अपने जीवनमें अपनाना चाहिए। एक स्वस्थ जीवनशैलीमें योगका बहुत अहम योगदान है।