दूसरी लहरमें कोरोनाकी तेज गतिमें कुछ कमी राहतकी बात है। पिछले कई दिनोंसे लगातार चार लाखसे अधिक संक्रमणके नये मामले आ रहे थे लेकिन सोमवारको केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालयने पिछले २४ घण्टेके दौरान संक्रमणका जो आंकड़ा दिया है, वह लगभग तीन लाख ६६ हजार है। अब देशमें कुल संक्रमितोंकी संख्या दो करोड़ २६ लाख ६२ हजार ५७५ हो गयी हैं। राहतकी बात यह है कि पिछले २४ घण्टोंमें ठीक होनेवाले मरीजोंकी संख्या भी तीन लाख ५३ हजार ८१८ हो गयी। अबतक कुल एक करोड़ ८६ लाख ७१ हजार २२२ लोग कोरोनाको परास्त करनेमें सफल रहे हैं। सक्रिय मरीजोंकी संख्या ३७ लाख ४५ हजार २३७ होना अवश्य ही चिन्ताजनक है। पिछले २४ घण्टोंमें ३७५४ मरीजोंकी मृत्यु भी हुई। कोरोनाके मामलोंमें मईका महीना अत्यन्त गम्भीर रहा है। मईमें अबतक ३९ लाख मामले दर्ज हुए हैं जबकि पूरे अप्रैलमें सर्वाधिक ६३ लाखसे अधिक मामले आये थे। देशमें कोरोनाकी स्थिति अवश्य भयावह है लेकिन १८० जिलोंमें एक सप्ताहके दौरान नये मामलोंका नहीं आना काफी सुखद है। १८ जिलोंमें पिछले १४ दिनोंमें कोरोनाका कोई नया मामला नहीं आया। यह राहतकी बात है। कोरोनाके खिलाफ जारी जंगमें टीकाकरणके बाद एक बड़ा हथियार डीआरडीओकी कोरोनारोधी दवा २-डीजी है। डीआरडीओके वरिष्ठï वैज्ञानिक सुधीर चांदनाने आश्वस्त किया है यह दवा सातसे दस दिनमें बाजारमें उपलब्ध हो जायगी और हर राज्यमें इसकी आपूर्ति की जायगी जिससे कि जरूरतमंद मरीजोंको यह दवा मिल सके। डाक्टर रेड्डïी लैबने इस दवाका उत्पादन भी शुरू कर दिया है। कोरोना संक्रमणकी रफ्तारमें भले ही कुछ कमी आयी है लेकिन इसका खतरा पूर्ववत बना हुआ है। आनेवाले दिनोंमें इसके कहरमें और तेजी आ सकती है। इसलिए लोगोंको काफी सतर्क और सावधानी बरतनेकी जरूरत है। अभी चरमबिन्दु (पीक) के सन्दर्भमें स्थिति स्पष्टï नहीं हो पायी है। इसके बारेमें वैज्ञानिकोंके दावे अलग-अलग हैं। इसलिए कोरोना प्रोटोकालका पूरा अनुपालन अत्यन्त आवश्यक है। अमेरिकाके शीर्ष स्वास्थ्य विशेषज्ञ डाक्टर एंथनी फाउचीका कहना है कि भारत और अमेरिकाके मौजूदा हालातको देखते हुए टीकाकरण ही एकमात्र स्थायी समाधान है। वैश्विक स्तरपर टीकेके उत्पादनमें तेजी लाना बहुत जरूरी है। वैसे भारतमें टीकाकरणका अभियान चल रहा है। अबतक १७ करोड़ लोगोंको टीका लगाया जा चुका है लेकिन टीकाकरणकी गतिमें तेजी लानेकी जरूरत है।
चीनकी साजिशका खुलासा
चीनी वैज्ञानिकोंके लीक दस्तावेजसे चौंकानेवाली बात सामने आयी है। अमेरिकी विदेश मंत्रालयके हाथ लगे चीनके खुफिया दस्तावेजके आधारपर आस्ट्रेलियाई अखबारने चीनकी जैविक हथियारोंसे कहर बरपानेकी साजिशका खुलासा किया है। मीडिया रिपोर्टमें दावा किया गया है कि छह साल पहले ही चीनी सेनाने जैविक हथियारोंसे तीसरा विश्वयुद्ध लडऩेकी रणनीति बना ली थी। रिपोर्टके अनुसार चीनी सेनाके वैज्ञानिक वायरसकी मददसे जैविक हथियार बनानेपर काम कर रहे थे। चीनकी पीपुल्स लिबरेशन आर्मीके वैज्ञानिक और स्वास्थ्य अधिकारियोंकी साल २०१५ में तैयार की गयी रिपोर्टमें नये युगमें कोरोना वायरसको जैविक हथियारके तौरपर इस्तेमाल करनेकी बात कही गयी है। इसमें अमेरिकी वायु सेनाके कर्नल माइकल जे.एन्सकफका भी सन्दर्भ दिया गया है, जिन्होंने कहा था कि तीसरा विश्वयुद्ध जैविक हथियारोंसे लड़ा जायगा। चीनने एक सोची-समझी रणनीतिके तहत वायरसके सैन्य इस्तेमालकी सम्भावनाओंपर शोध शुरू किया था। शोध पत्रमें कहा गया है कि यदि वायरसका ‘प्रसारÓ होता है तो इससे चीनको मदद मिलेगी। शोध पत्रके १८ लेखकोंमें पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के समर्थक और हथियार विशेषज्ञ शामिल हैं। इस दस्तावेजको साइबर सत्यापन विशेषज्ञ राबर्ट पाटरने सत्यापित किया था। कई देश अब भी मान रहे कि कोरोना वायरस चीनकी लैबसे ही निकला। दरअसल कोरोनाकी शुरुआतके साथ ही इस चर्चाने जोर पकड़ लिया था कि यह वायरस नहीं, बल्कि जैविक हथियार है जिसपर चीन काम कर रहा है। अमेरिका और ब्राजील साफ तौरपर कह रहे कि चीनने कोरोनाको जैविक हथियारके तौरपर तैयार किया है। चीन भले ही इससे इनकार कर रहा हो लेकिन स्वतंत्र जांचसे पीछे हटना उसकी भूमिकापर सवाल खड़ा करता है। कोरोनाकी शुरुआत चीनके वुहानसे हुई थी और बड़ी संख्यामें लोगोंकी मौते हुई थी। कितने ही संक्रमित चीनी सेनाके शिकार बने जिससे मानवीय संवेदना तार-तार हुई। राष्टï्रपति शी जिनिपिंगकी चीनको विश्व शक्ति बनानेकी महत्वाकांक्षाको नेस्तनाबूद करनेके लिए विश्वके सभी देशोंको एकजुट आगे आना होगा।