मंत्री ने कहा कि सहकारी बैंकों के संतुलित विकास से उन्हें भविष्य में प्रतिस्पर्धा में बने रहने में मदद मिलेगी। उन्होंने सहकारी बैंकों को यह भी आश्वासन दिया कि उनके साथ द्वितीय श्रेणी के नागरिक जैसा व्यवहार नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि चूंकि सहकारी बैंक ही एकमात्र बैंक हैं जो समाज के निचले तबके को उधार देते हैं ऐसे में देश के हर शहर में कम से कम एक शहरी सहकारी बैंक स्थापित करने की आवश्यकता है।
उन्होंने नेशनल फेडरेशन आफ अर्बन कोआपरेटिव बैंक्स और क्रेडिट सोसाइटीज (एनएएफसीयूएस) को निर्देश दिया कि वह पूरे देश में शहरी सहकारी बैंकों के संतुलित विकास पर ध्यान केंद्रित करे। सफल बैंकों को भी इस क्षेत्र में आगे आना चाहिए और इसमें योगदान देना चाहिए। सहकारिता मंत्री ने कहा कि देश का 40 प्रतिशत हिस्सा शहरी और वहां पर आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि हुई है, ऐसे में यूसीबी और सहकारी ऋण समितियों के विस्तार की बड़ी गुंजाइश है। सहकारिता मंत्री ने इस दौरान परिचालन के 100 साल पूरा करने वाले कई शहरी सहकारी बैंकों को सम्मानित किया। कार्यक्रम में सहकारिता राज्य मंत्री बीएल वर्मा, एनएएफसीयूबी के प्रेसिडेंट ज्योतिंद्र मेहता और सहकारिता सचिव ज्ञानेश कुमार थे।