नई दिल्ली, । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को जमाखोरी, मुनाफाखोरी, मिलावट और कालाबाजारी में शामिल व्यक्ति के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) लागू करने और उसकी 100 प्रतिशत बेनामीऔर आय से अधिक संपत्तियों को जब्त करने के लिए दायर जनहित याचिका पर केंद्र और राज्य सरकारों से जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर (Justice S Abdul Nazeer) और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम (Justice V Ramasubramaniyam) की खंडपीठ ने सोमवार को प्रतिवादियों से चार सप्ताह में जवाब मांगा।
याचिका में केंद्र को निर्देश देने की मांग
अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर याचिका में जमाखोरी, मुनाफाखोरी, मिलावट और कालाबाजारी से संबंधित अंतरराष्ट्रीय कानूनों की जांच करने और भारतीय दंड संहिता में इन अपराधों के लिए एक अध्याय शामिल करने के लिए उचित कदम उठाने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की गई थी।
इसने आगे निर्देश मांगा कि जमाखोरी, मुनाफाखोरी, मिलावट और कालाबाजारी से संबंधित कानूनों पर सीआरपीसी की धारा 31 लागू नहीं होगी और सजा लगातार होगी, समवर्ती नहीं। याचिका में यह भी प्रार्थना की गई है कि न्यायालय भारत के विधि आयोग को जमाखोरी, मिलावट, मुनाफाखोरी और कालाबाजारी से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय कानूनों की जांच करने और तीन महीने के भीतर एक रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दे।
‘नागरिकों की रक्षा करना राज्य का कर्तव्य है’
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता को समाचार पत्रों के माध्यम से पता चला कि कई ईडब्ल्यूएस और बीपीएल नागरिकों की अस्पताल के बाहर मौत हो गई, हालांकि बेड उपलब्ध थे। याचिका में कहा गया है, ‘नागरिकों के जीवन की रक्षा करना राज्य का कर्तव्य है, लेकिन यह संकट के समय में अपने दायित्व का निर्वहन करने में पूरी तरह से विफल रहा।’
‘मुनाफाखोरी के कारण लोगों की हुई मौत’
याचिका में कहा गया है, ‘हजारों ईडब्ल्यूएस और बीपीएल नागरिक सड़कों पर, वाहनों में, अस्पतालों के परिसर में और अपने घरों में अस्पताल के बिस्तरों की जमाखोरी, मिलावटी कोविड दवाओं, आक्सीजन सिलेंडर जैसे चिकित्सा उपकरणों की कालाबाजारी और रेमडेसिविर, टोसीलिज़ुमैब आदि जैसे जीवन रक्षक इंजेक्शन की बिक्री में भारी मुनाफाखोरी के कारण मारे गए।’
याचिका में कहा गया है कि ड्रग्स एंड कास्मेटिक्स एक्ट, नकली दवाओं की बिक्री से मौत या गंभीर चोट लगने की संभावना 10 साल की सजा है, इसके अलावा 10 लाख रुपये या जब्त दवाओं के मूल्य का तीन गुना जुर्माना है। पीड़ितों को प्रतिपूर्ति और मुआवजे के भुगतान के लिए वित्तीय दंड पर्याप्त कठोर होना चाहिए।
पीड़ित परिवार को मिले मुआवजा
याचिका में कहा गया है कि अगर जानमाल की हानि और जमाखोरी, मुनाफाखोरी, मिलावट और कालाबाजारी के बीच सीधा संबंध है तो वित्तीय दंड में पीड़ित परिवार को मुआवजा देना होगा।
‘बेनामी और आय से अधिक संपत्ति की हो जांच’
याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि जमाखोरी में मिलावटखोरी और कालाबाजारी नकद के माध्यम से की जाती है, इसलिए संबंधित एजेंसियों को काले धन, बेनामी संपत्ति और आय से अधिक संपत्ति की जांच करनी चाहिए। याचिका में कहा गया है कि भारत में कोविड के मामलों में वृद्धि के बीच, देश भर के अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति की मांग बढ़ गई है।
‘मुनाफाखोरी के खिलाफ हो कड़े प्रावधान’
याचिका में कहा गया है, ‘कई अस्पतालों में मेडिकल आक्सीजन की भारी कमी देखने को मिली, जो कोरोनो वायरस रोगियों के इलाज के लिए एक आवश्यक संसाधन है। जैसे-जैसे आक्सीजन की मांग बढ़ी, इसके सिलेंडर की कालाबाजारी तेजी से बढ़ी। एक न्यूज चैनल ने दिल्ली में जांच की और पाया कि एक आक्सीजन विक्रेता गैस सिलेंडर को 50 गुना अधिक कीमत पर बेच रहा था। इसलिए केंद्र को मुनाफाखोरी के खिलाफ कड़े प्रावधान करने चाहिए।’
याचिकाकर्ता ने मांग की जमाखोरी में मिलावटखोरी की कालाबाजारी के अपराध गैर-जमानती, भारी जुर्माने के साथ गैर-यौगिक होना चाहिए। विशेष रूप से नामित फास्ट कोर्ट और नियामक बुनियादी ढांचा होना चाहिए।