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ताइवान तनाव ने अमेरिका और चीन के बीच बढ़ाई टकराव की आशंका,


  • चीन के राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर ताइवान को परेशान करने के लिए रिकॉर्ड संख्या में सैन्य विमान भेजने के बाद बीजिंग ने धमकाने वाली अपनी कार्रवाइयों में कमी की है, लेकिन तनाव अब भी कम नहीं हुआ है और इन सैन्य अभ्यासों को उचित ठहराने की चीन की कोशिश और बयानबाजी जारी है। विशेषज्ञ इस बात को लेकर सहमत है कि सीधे संघर्ष होने की आशंका इस समय नहीं है, लेकिन स्वशासित ताइवान के भविष्य को लेकर स्थिति कभी भी खतरनाक बन सकती है।

किसी भी एक हादसे या गलत अनुमान के कारण ऐसे समय में संघर्ष की स्थिति बन सकती है

उनका कहना है कि किसी भी एक हादसे या गलत अनुमान के कारण ऐसे समय में संघर्ष की स्थिति बन सकती है, जब चीनी और अमेरिकी महत्वाकांक्षाएं एक दूसरे से विपरीत हैं। चीन रणनीतिक और प्रतीकात्मक रूप से महत्वपूर्ण द्वीप को फिर से अपने नियंत्रण में लेना चाहता है और अमेरिका ताइवान के मामले को चीन की ओर से बढ़ती चुनौतियों के संदर्भ में देखता है। ‘इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज’ में ब्रितानी रक्षा विश्लेषक हेनरी बॉयड ने कहा कि अमेरिका के दृष्टिकोण से चीन के साथ शक्ति को लेकर प्रतिद्वंद्विता की अवधारणा इस आशंका को बल दे रही है।

चीन के खिलाफ खड़े होने की आवश्यकता पर्याप्त

उन्होंने कहा, ”इस संदर्भ में प्रेरित करने के लिए चीन के खिलाफ खड़े होने की आवश्यकता पर्याप्त है और इस संघर्ष में शामिल नहीं होने को अमेरिकी राष्ट्रीय हितों के साथ विश्वासघात की तरह देखा जाएगा।” ताइवान खुद को एक संप्रभु राष्ट्र मानता है लेकिन चीन इस पर अपना दावा करता है। द्वीप पर कब्जा करना बीजिंग की राजनीतिक और सैन्य सोच का हिस्सा है। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने ताइवान और चीन के पुन: एकीकरण की जोरदार वकालत करते हुए पिछले सप्ताह कहा था कि ‘ताइवान का मुद्दा’ सुलझाया जाएगा और ‘शांतिपूर्ण एकीकरण’ दोनों पक्षों के हितों में है।