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कच्‍चे तेल की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी दे रही खतरनाक संकेत, यदि भारत में बढ़े दाम तो चौतरफा असर..!


नई दिल्‍ली, । कच्‍चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी जारी है। तेल की कीमतों में सोमवार को 1 फीसद की वृद्धि हुई। यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड वायदा 45 सेंट यानी 0.48 फीसद बढ़कर 93.51 डॉलर प्रति बैरल हो गया। पिछले हफ्ते के मुकाबले यह बढ़ोतरी 2.5 फीसद की रही। वहीं ब्रेंट क्रूड वायदा 16 सेंट यानी 0.16 फीसद बढ़कर 101.15 डॉलर प्रति बैरल हो गया। पिछले हफ्ते के मुकाबले यह बढ़ोतरी 4.4 फीसद की रही। 

वहीं यदि भारत के संदर्भ में देखें तो मजबूत हाजिर मांग के कारण कारोबारियों ने अपने सौदों के आकार बढ़ाए जिससे वायदा कारोबार में सोमवार को कच्चा तेल की कीमतें 126 रुपये की तेजी के साथ 7,540 रुपये प्रति बैरल हो गईं। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में कच्चा तेल सितंबर महीने की डिलीवरी के लिए 126 रुपये यानी 1.7 प्रतिशत की तेजी के साथ 7,540 रुपये प्रति बैरल पर कारोबार करता देखा गया।

बाजार विश्लेषकों ने कहा कि कारोबारियों के सौदे बढ़ाने से वायदा कारोबार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी देखी गई। यदि वैश्विक स्तर पर कच्‍चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की बात करें तो न्यूयॉर्क में वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड आयल की कीमत 1.09 प्रतिशत बढ़कर 94.07 डॉलर प्रति बैरल हो गई जबकि ब्रेंट क्रूड 0.85 प्रतिशत बढ़कर 101.85 डॉलर प्रति बैरल हो गया।

रेलिगेयर ब्रोकिंग में कमोडिटी रिसर्च की उपाध्यक्ष सुगंधा सचदेवा का कहना है कि ओपेक और उसके सहयोगियों की ओर से उत्पादन में कटौती किए जाने की आशंकाओं के चलते तेल की कीमतें बढ़ रही हैं। तेल उत्‍पादक ओपेक और उसके सहयोगियों की ओर से मिले संकेत बताते हैं कि वे ईरानी तेल की आमद के आसार को देखकर बाजार को संतुलित करने के लिए तेल उत्पादन में कटौती कर सकते हैं।

यही नहीं फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल की टिप्पणियों के बाद डॉलर की वैल्‍यू में बढ़ोतरी के कारण भी बाजार पर असर पड़ा है। सोमवार को रुपया शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गया। भारतीय तेल कंपनियों पर इसका प्रतिकूल असर पड़ना तय है। डालर के मुकाबले रुपये की वैल्‍यू गिरने से तेल कंपनियों को कच्‍चे तेल की ज्‍यादा कीमत चुकानी होगी क्‍योंकि क्रूड की खरीद डालर में होती है।

अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में कच्‍चे तेल की कीमतें बढ़ने से भारतीय तेल कंपनियों को नुकसान हो रहा है। यदि अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में तेल के दाम में बढ़ोतरी का यह सिलसिला जारी रहा तो भारतीय तेल कंपनियों पर दबाव बढ़ेगा। ऐसे में देश में यदि तेल की कीमतें बढ़ेंगी तो इसका चौतरफा असर पड़ना तय है। हालांकि राहत की बात यह है कि मौजूदा वक्‍त में भारत में तेल की कीमतें स्थिर हैं। राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्ली में सोमवार को पेट्रोल की कीमत 96.72 रुपये जबकि डीजल की कीमत 89.62 रुपये प्रति लीटर पर बनी हुई है।