पटना (आससे)। सुहागन महिलाओं के बीच अखण्ड सौभाग्य प्राप्ति की कामना से किया जाने वाला हरितालिका व्रत तीज, भाद्र पद शुक्ल तृतीया ९ सितम्बर को मनाया जायेगा। इस वर्ष हस्त्र नक्षत्र युक्त तृतीया के शुक्ल योग में व्रत अनुष्ठान का अवसर प्राप्त होगा। इस भाद्रपद की शुक्ल पक्ष में प्रतिपदा तिथि के क्षय होने से शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन ही तीज व्रत होगा। इस आशय का निर्णय देते हुए ज्योतिषाचार्य पं. राकेश झा ने बताया कि तीज में उमा महेश्वर की पूजा करती है व्रती स्त्रियां।
उन्होंने बताया कि इस हरितालिका व्रत में गुरुवार के दिन तैतिलकरण के होने से पुण्यप्रद संयोग बन रहा है। इस पुण्ययोग में व्रत करने से अखण्ड सौभाग्य, सुख समृद्धि निरोगी काया एवं दीर्घायु पति, यश वैभव आदि का सौभाग्य प्राप्त होता है।
पौराणिक आख्यान के अनुसार माता पार्वती ने वन में जाकर भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए अन्न, जल त्यागकर वर्षों तप की। इसलिए यह व्रत-व्रती स्त्रियों को निष्ठापूर्वक तप करने की प्रेरणा देती हे। हरितालिका व्रत की परंपरा इस पृथ्वी लोक में त्रेतायुग से प्रचलित है। इस व्रत में व्रती स्त्रियां मिट्टी से उमा महेश्वर की मूर्ति बनाकर निराहार रहकर पूजन करती है।
मिथिलांचल मं भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को विशेष रू से प्रचलित चौठ चन्द्र व्रत त्योहार १० सितम्बर को होगा। इस आशय का निर्णय देते हुए पं. गजाधर झा ने कहा-संतान के दीर्घायु, आरोग्य और निष्कलंक होने के लिए रौहिणी सहित चतुर्थी चन्द्र का पूजनपूर्वक हाथ में ऋतुफल, दही तथा पकवान लेकर चतुर्थी चन्द्रदर्शन का विधान है।