पुष्परंजन
पाकिस्तानके हृदय परिवर्तनसे हैरान होनेकी जरूरत नहीं है। सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवाने इस्लामाबाद सिक्योरिटी डॉयलागमें कहा कि जो कुछ भारत-पाकिस्तानके बीच हुआ, उसे दफन कीजिए और अब आगेकी सुध लेते हैं। पाकिस्तानी जनरलने कहा कि कश्मीरमें अनुकूल परिस्थितियां बनने लगी हैं। जनरल बाजवाका बयान था कि भारत-पाकिस्तानके संबंध स्थिर होते हैं तो दक्षिण-पश्चिम और सेंट्रल एशियासे हमारी खुशहालीके द्वार खुलेंगे। पाकिस्तानने यह स्पष्ट नहीं किया कि कश्मीरको दिये विशेषाधिकारको निरस्त किये जानेके विरुद्ध जिस तरह वह संयुक्त राष्ट्रमें प्रस्ताव रख गया था, उसे वापस लेना है या नहीं। ५ अगस्त, २०१९ को वह काले दिवसके रूपमें मनाने लगा है। पाकिस्तानकी मांग है कि जम्मू-कश्मीरका स्पेशल स्टेटस दोबारासे बहाल किया जाय। ९ अगस्त, २०१९ को पाकिस्तानने भारतसे व्यापारिक संबंध सस्पेंड किये थे। अब भारतसे संबंध पटरीपर लानेके वास्ते उसे दोबारासे व्यापारिक संबंध बहाल करने होंगे। कश्मीरपर संयुक्त राष्ट्रमें दिये प्रस्तावकी वापसी और उभयपक्षीय व्यापारकी बहाली, यह दोनों आरंभिक कदम पाकिस्तानको ही उठाने होंगे। इनके बिना मिनिंगफुल डॉयलाग मानीखेज नहीं रह जाते हैं। उससे एक दिन पहले, बुधवारको प्रधान मंत्री इमरान खानने इसी मंचपर बयान दिया कि भारतको शांतिके वास्ते आगे बढऩा चाहिए, वह एक कदम आगे बढ़ेंगे, हम दो कदम बढ़ेंगे। इमरान खानने ताशकंदसे पेशावर वाया काबुल ५७३ किलोमीटर रेल परियोजनाको रेखांकित किया। उनका कहना था कि भारतसे संबंध सामान्य होते हैं तो सेंट्रल एशियासे दोनों देश जमीनी स्तरपर जुड़ेंगे।
पाकिस्तानने बर्फ पिघलानेकी शुरुआत पिछले महीने डीजीसीएमओकी बैठकसे की है। आम तौरपर ऐसी बैठकें ब्रिगेडियर रैंकके अफसरोंके जरिये निबट जाया करती थीं। परन्तु २४-२५ फरवरी, २०२१ को हुई बैठकमें भारतकी ओरसे लेफ्टिनेंट जनरल परमजीत सिंह सांधा और पाकिस्तानकी तरफसे मेजर जनरल नौमान जकारियाने हिस्सा लिया था। इससे पहले संसदमें प्रतिरक्षा मंत्री राजनाथ सिंहने बयान दिया था कि २०२० में पाकिस्तानने पांच हजार १३३ बार सीजफायरका उल्लंघन किया था, जिसमें हमारे ४६ लोग मारे गये थे। २८ जनवरी, २०२१ तक पाकिस्तानने युद्धविरामका उल्लंघन किया था, जिसमें एककी मौत हुई थी। डीजीसीएमओकी बैठकमें यही प्रमुख विषय होता है। बल्कि यूं कहें कि शांतिबहालीकी शुरुआत यहींसे होती है। इस बैठककी वजहसे दोनों तरफ सकारात्मक संदेश गये।
परन्तु जो कुछ प्रगति हो रही है, उसके पीछे सिर्फ डीजीसीएमओ बैठक है या फिर भारत-पाकिस्तानके बीच ट्रैक-टू डिप्लोमेसीकी शुरुआत फिरसे हुई है। करतारपुर साहब कूटनीतिको कुछ समयके लिए लोगोंने माना था कि दोनों तरफ संवादका सिलसिला शुरू है। नवंबर, २०१९ में गुरुनानक देवजीकी ५५०वीं जयंती थी। पाकिस्तानकी कैबिनेटने इस जयंतीके वास्ते प्रस्ताव पास किया, इधर २२ नवंबर, २०१८ को मोदी कैबिनेटने भी इस जयंतीको ग्लोबल लेवलपर मनानेका प्रस्ताव पास किया था। उस समय क्या दोनों तरफ इसकी कोशिश हो रही थी कि देव नीतिके बहाने कूटनीतिकी बर्फ को पिघलाया जाये। तब कुछ लोगोंको शक था कि पाकिस्तान करतारपुरमें दुनियाभरसे सिखोंका जुटा कर खालिस्तानके वास्ते जनमत संग्रह प्रस्ताव पास करा सकता है। परन्तु ऐसा कुछ हुआ नहीं। उन दिनों पंजाबके मुख्य मंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह बयान दे चुके थे कि पंजाबमें अतिवादियोंके १९ मॉड्यूल अबतक पकड़े जा चुके हैं। इनमें दो मॉड्यूल ऐसे थे, जिनमें कश्मीरी छात्र थे। एक बात तो ध्यानमें रखनी है, चाहे दोनों तरफ जितना भी प्यार-मुहब्बत झलके, कश्मीर और पंजाब भारत-पाकिस्तान डिप्लोमेसीका जमीनी हिस्सा बना रहेगा। पाकिस्तान कश्मीरसे पंजाबतक अपनी कुटिल चालसे बाज नहीं आनेवाला। पाकिस्तानकी इन कुटिल चालोंकी वजहसे ट्रैक टू डिप्लोमेसीकी बार-बार भ्रूण हत्या होती रही है।
याद कीजिए, जब अटल बिहारी वाजपेयी ऐतिहासिक बस यात्रासे लाहौर गये, उसके कुछ दिन बाद १९९९ में कारगिल युद्ध हो गया। २०११ में भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैचके अवसरपर मोहालीमें तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह और उनके समकक्ष यूसुफ रजा गिलानी बगलगीर हुए और उसके प्रकारांतर सीमा पार आतंकवादमें तेजी आ गयी। २०१५ में प्रधान मंत्री मोदी काबुलसे लौटते हुए लाहौर गये, नवाज शरीफसे निजी रिश्तोंको मजबूत करनेका प्रयास किया। उसके अगले साल सितंबर, २०१६ में उड़ीमें और २०१९ में पुलवामा जैसा भयावह कांड करा दिया। उन्हें जवाबी काररवाईके लिए भारतको विवश करना पड़ा। पाकिस्तानवालोंके अंदर बालाकोट एयर स्ट्राइककी टीस उठती है तो उन्हें उसके कारणकी समीक्षा करनी चाहिए।
पाकिस्तान बीच-बीचमें भारतको चिकोटी काटनेकी बचकानी हरकतोंसे बाढ़ नहीं आ रहा। २४-२५ फरवरी, २०२१ को एक तरफ डीजीसीएमओकी बैठक हो रही है, दूसरी ओर जेनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र कार्यालयमें मानवाधिकार हननकी शिकायतोंका पुलिंदा पड़ा हुआ था। उस दिन भारतीय परमानेंट मिशनकी सेकेंड सेक्रेट्री सीमा पुजानी, पाकिस्तानको तुर्की-बतुर्की जवाब दे रही थीं। यूएन मानवाधिकार परिषदकी ४६वीं बैठकमें पाकिस्तानी डिप्लोमेट शीरीन मजारीने जम्मू-कश्मीरमें मानवाधिकार हननका मुद्दा उठाया था। परन्तु जब शिया, हजारा, अहमदियापर किये अत्याचारके हवालेसे पाकिस्तानकी बखिया उधेड़ी गयी तो मोहतरमा शीरीन मजारी बगलें झांकती मिलीं। मतलब आप भारतसे संबंधको पटरीपर लाना चाहते हो और अपनी दुष्ट चालोंको छोडऩा भी नहीं चाहते।
कूटनीतिकी कुटिल चालोंको एक तरफ करें तो पाकिस्तानी अवाममें बहुसंख्यककी इच्छा संबंधोंको सामान्य करनेकी रही है। एक छोटा-सा उदाहरण इंस्टाग्रामपर मशहूर पाकिस्तानी युवा दानानीर मोबिनका देना चाहूंगा, जिन्होंने १५ फरवरी, २०२१ को पांच सेकेंडका ‘ये हमारी पावरी हो रही हैÓ वीडियो क्लिपको अपलोड किया था। इसे दोनों मुल्कोंके युवाओंने शेयर किया था। नफरतके यदि दर्जनों उदाहरण हैं तो प्यार बांटनेकी सैकड़ों मिसालें दोनों मुल्कोंका सोशल मीडिया दरपेश कर रहा है। वल्र्ड बैंककी सितंबर, २०१८ में रिपोर्ट आयी थी। उसमें बताया गया कि कुछ बाधाएं हटा दी जायं तो इस समय दो अरब डॉलरके व्यापारको भारत-पाकिस्तान ३७ अरब डालरकी ऊंचाईपर ले जा सकते हैं। व्यापारकी बेचैनी नया पाकिस्तानको भी है और इधर भारतीय उद्योग-व्यापार जगत भी ऐसा ही चाहता है। मार्च, २०१९ में गुजरात और महाराष्ट्रका ५२ सदस्यीय व्यापारिक शिष्टमंडल पाकिस्तान गया था। अब यह सिलसिला फिरसे शुरू हो सकता है।