योगेश कुमार गोयल
देशके लगभग सभी राज्योंमें कोरोनाकी नयी लहर कहर बरपा रही है और अब आक्सीजनकी कमीका भयावह संकट समस्याको और विकराल बना रहा है। कोरोना संक्रमणको लेकर स्थिति कितनी विकराल होती जा रही है, यह समझनेके लिए इतना जान लेना पर्याप्त है कि भारतमें जहां १ मार्च २०२१ को कोरोना मरीजोंके कुल १२२८६ नये मामले सामने आये थे, वहीं करीब पौने दो माहके अंतराल बाद कोरोनाकी दूसरी लहर प्रतिदिन नये रिकॉर्ड बना रही है। अब हर २४ घंटेमें कोरोना मरीजोंकी संख्यामें करीब साढ़े तीन लाखसे भी ज्यादाकी वृद्धि हो रही है और ढाई हजारसे भी ज्यादा लोग मौतके मुंहमें समा रहे हैं। कोरोनाकी दूसरी लहरमें भारतमें अब कोरोना वायरसके अलग-अलग तरहके लक्षण सामने आ रहे हैं, जो पिछली लहरसे कुछ अलग हैं। देशमें डबल म्यूटेंट कोरोना वायरसके फैलावको लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ बेहद चिन्तित हैं। विशेषज्ञोंके मुताबिक कोरोनाका नया स्ट्रेन बहुत ज्यादा संक्रामक है, जो लोगोंके शरीरपर अलग-अलग तरीकेसे हमला कर रहा है। यह फेफड़ों और श्वसन तंत्रमें आसानीसे फैल रहा है, जिसके कारण संक्रमित होनेके बाद कुछ लोगोंको निमोनिया हो रहा है, जो कोरोना संक्रमणको ज्यादा खतरनाक बना रहा है। जो लोग कोरोनाके नये वेरिएंटसे संक्रमित पाये जा रहे हैं, उनमें वायरल लोड काफी ज्यादा पाया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि वायरल लोड रक्तमें मौजूद कोरोना वायरसके बारेमें बताता है और जांचके दौरान इसी वायरल लोडके जरिये पता लगाया जाता है कि शरीरमें संक्रमण कितनी तेजीसे फैल रहा है।
दुनियाभरके विशेषज्ञोंका मत है कि कोरोना वायरसके नये रूप ज्यादा संक्रामक और खतरनाक हैं। भारतमें कोरोनाकी दूसरी लहर इतने खतरनाक रूपमें सामने आ रही है कि हर कहीं लाशोंके ढेर नजर आने लगे हैं, अस्पतालोंमें मरीजोंके लिए बेड उपलब्ध नहीं हैं, ऑक्सीजनकी जबरदस्त कमी है, देशभरमें वेंटिलेटरका अभाव साफ दिखाई दे रहा है। भारतमें कोरोनाके मामलोंके रोजाना एक लाखसे बढ़कर दो लाख होनेमें जहां मात्र दस दिनका समय लगा, वहीं पिछले साल अमेरिकामें संक्रमितोंके मामले प्रतिदिन एक लाखसे दो लाख पहुंचनेमें २१ दिन लगे थे। कोरोना वायरसके लगातार सामने आते नये म्यूटेंट्स, स्ट्रेंस और आक्सीजनकी कमीके संकटके चलते स्थिति निरन्तर विस्फोटक हो रही है। दोहरे म्यूटेशनवाले वायरसकी मौजूदगीकी पुष्टि अबतक ११ देशोंमें हो चुकी है, जिसका सबसे पहला मामला ब्रिटेनमें सामने आया था। दोहरे म्यूटेशनवाला कोरोना बी.१.६१७ सबसे पहले महाराष्ट्रमें मिला था और ग्लोबल म्यूटेशन ट्रैकर द्वारा अब देशमें इसकी दस फीसदी मौजूदगीका अनुमान लगाया गया है। दूसरी ओर स्क्रिप्स रिसर्च द्वारा दावा किया गया है कि देशमें मिले कोरोनाके सभी रूपोंमें बी.१.६१७ सबसे आम है। केन्द्र सरकार द्वारा १३६१४ नमूनोंकी जीनोम सीक्वेंसिंगमें मिले नतीजोंके आधारपर दी गयी जानकारियोंके मुताबिक देशमें कोरोनाके तीन नये स्वरूप भी अब कहर बरपाने लगे हैं। इस जीनोम सीक्वेंसिंगमें कुल ११८९ (करीब ८.७७ प्रतिशत) मामलोंमें ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजीलमें मिले वायरसके बेहद घातक स्वरूपको संक्रमणके लिए जिम्मेदार पाया गया है। देशमें कोरोनाके उस घातक रूपका प्रसार सबसे तेजीसे होनेकी बात सामने आयी है, जो ब्रिटेनमें मिला था। १३६१४ नमूनोंकी जीनोम सीक्वेंसिंगमें सामने आये कुल ११८९ मामलोंमेंसे इसके ११०९ मामले सामने आये जबकि दक्षिण अफ्रीकाके ७९ और ब्राजीलियाई स्वरूपसे एक संक्रमणकी पुष्टि हुई।
वायरस डीएनए या आरएनए तथा प्रोटीनके बने अणु अथवा कण होते हैं, जो तेजीसे म्यूटेंट (उत्परिवर्तित) होते रहते हैं। म्यूटेंटका अर्थ है लगातार अपना रूप बदलते रहना। वायरसमें चूंकि अपना स्वयंका डीएनए या आरएनए पाया जाता है, जो एक सेल्फ डुप्लीकेटिंग न्यूक्लिक एसिड है अर्थात् यह अपने जैसी बहुत सारी कापियां तैयार कर सकता है और बदलते वातावरणमें यह कापियां स्वयंको समायोजित करनेके लिए म्यूटेंट होती रहती हैं। यही वजह है कि कोरोना वायरसका नया वेरिएंट या स्ट्रेन पहलेके मुकाबले और ज्यादा ताकतवर होता जा रहा है। किसी भी वायरसके स्वरूप तथा गुणधर्म बदलनेकी गतिविधियोंको स्ट्रेन एवं म्यूटेशन कहा जाता है और कई देशोंमें कोरोनाके रूप बदलनेकी प्रक्रिया तथा मारक क्षमताको लेकर लगातार शोध किये जा रहे हैं। कोरोनाके स्ट्रेनको ज्यादा खतरनाक इसलिए माना जाता है क्योंकि इसके कुछ रूप जीनमें प्रोटीन बढ़ानेवाले होते हैं, जिनमेंसे कुछ बहुत खतरनाक होते हैं।
पिछले सवा वर्षके भीतर दुनियाभरमें कोरोनाके कई रूपोंकी पहचान हो चुकी है। कभी कोरोनाके अमेरिकी स्ट्रेनके बारेमें सुननेको मिलता है तो कभी यूके स्ट्रेन, साउथ अफ्रीकी स्ट्रेन, यूएई स्ट्रेन या अन्य किसी देशके नये स्ट्रेनके बारेमें पता लगता रहा है और अब अमेरिका सहित कुछ जगहोंपर भारतीय स्ट्रेन पाये जानेकी खबरें भी आ रही हैं। कोरोना जिस प्रकारसे निरन्तर अपना रूप बदल रहा है, ऐसेमें यह लोगोंको अलग-अलग तरीकेसे प्रभावित कर रहा है। हालांकि इसका किसीके पास कोई निश्चित आंकड़ा नहीं है कि कोरोनाके स्ट्रेनमें पूरी दुनियामें अभीतक कितने बदलाव हुए हैं। कोविड-१९ के लिए बने नेशनल टास्क फोर्सके मुताबिक कोरोना वायरसके करीब सात हजार वेरिएंट हैं, जिनमें चौबीस हजारसे ज्यादा म्यूटेशन हैं। हालांकि यह सभी वेरिएंट या म्यूटेशन व्यक्तिको संक्रमित नहीं करते या संक्रमण नहीं फैलाते लेकिन किस स्ट्रेनका क्या लक्षण है, यह अभीतक स्पष्ट नहीं हुआ है। फिलहाल ऑक्सीजनकी भयानक कमी अस्पतालोंके सारे इंतजामों और मरीजोंकी जिन्दगीपर बहुत भारी पड़ रही है। कोरोना इस दूसरी खतरनाक लहर, जिसे दिल्ली हाईकोर्टने सुनामीकी संज्ञा दी है, उसे देखते हुए देशके विभिन्न हिस्सोंमें फिरसे लॉकडाउन लगाने या कड़े कदम उठानेको मजबूर होना पड़ रहा है। हालांकि ऐसे कदमोंका देशकी अर्थव्यवस्था और श्रमिक वर्गपर कितना बुरा प्रभाव पड़ता है, यह गत वर्ष देखा जा चुका है लेकिन संक्रमणकी चेन तोडऩे और अधिकाधिक लोगोंकी जान बचानेके लिए ऐसे कठोर कदम उठाना अनिवार्य हो जाता है। इसलिए बेहतर यही है कि कोरोनाकी इस सुनामीसे अपनोंकी सुरक्षाके लिए तमाम जरूरी सावधानियोंको अपनाते हुए पूरी तरह सतर्क रहें।