वकीलों ने कहा है कि चीफ जस्टिस (CJI) नाथुलापति वेंकट रमन्ना (एनवी रमन्ना) इस मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लें. महिलाओं, बच्चों, एससी और एसटी समुदाय के खिलाफ बुनियादी मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए. चिट्ठी में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुए हिंसक संघर्ष में पड़ोसी राज्यों में लोगों का पलायन हुआ है.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस विनीत सरन की अध्यक्षता वाली और जस्टिस बीआर गवई की दो जजों की हॉलीडे बेंच अरुण मुखर्जी, देबजानी हलदर, भूपेन हलदर, प्रोसंता दास और परमिता डे द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. शीर्ष अदालत इन आरोपों पर भी गौर करेगी कि हिंसा में क्या राज्य सरकार की मिलीभगत है और इन घटनाओं की अनदेखी की गई है? अदालत ने पिछले सप्ताह इसी विषय पर पश्चिम बंगाल और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था
दरअसल, बीजेपी ने उत्तर 24 परगना जिले के अमदंगा विधानसभा क्षेत्र, बांकुरा जिले के कोतुलपुर और मालदा जिले के मोथाबाड़ी इलाके में पार्टी कार्यकर्ताओं के शवों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की और टीएमसी पर उन्हें मारने का आरोप लगाया है. घटनाओं की पुलिस जांच में निष्कर्ष निकला कि ये मौतें या तो आत्महत्या से हुई थीं या दुर्घटनावश डूबने से हुई थीं. वहीं, ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी ने कहा कि बीजेपी सोशल मीडिया पर फर्जी खबरें फैला रही है.