नयी दिल्ली (संजय राय)। नये कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हिंसा का जो नजारा पेश किया, उसके बाद आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसानों के प्रति देश में आक्रोश का माहौल देखने को मिल रहा है। किसान आंदोलन का शुरू से समर्थन करने वाले भी किसानों के इस तांडव से हैरान-परेशान हैं और पुरजोर तरीके से इसकी निंदा भत्र्सना कर रहे हैं। लगभग दो महीनों से दिल्ली प्रदर्शन कर रहे किसान संगठन भी कल के वाकये से खुद अलग करने का प्रयास कर रहे हैं और हिंसा से पल्ला झाडऩे की कोशिश कर रहे हैं। आइये एक नजर डालते हैं गणतंत्र दिवस समाप्त होने के बाद किसानों ने ट्रक्टर मार्च के दौरान किस तरह देश की राजधानी में हिंसा का तांडव किया। सुबह जब सिंघु और टीकरी बॉर्डर से किसानों के बैरिकेड तोड़ते हुए आगे बढऩे की खबर आई, तब तक गाजीपुर बॉर्डर पर माहौल शांतिपूर्ण था। ट्रैक्टर रैली के लिए तय किये गएये रूट पर बड़ी संख्या में फोर्स तैनात की जा चुकी थी। पूर्वी क्षेत्र के जॉइंट कमिश्नर आलोक कुमार खुद मौके पर मौजूद थे और पुलिसकर्मियों को जरूरी निर्देश दे रहे थे। बॉर्डर पर मौजूद किसान भी किसी जल्दबाजी में नहीं दिख रहे थे। चूंकि परेड के तय रूट पर जाने के लिए किसानों को गाजीपुर बॉर्डर से दिल्ली की तरफ आकर फ्लाईओवर के नीचे से होते हुए आनंद विहार की तरफ जाना था, इसलिए ज्यादातर फोर्स नीचे की तरफ लगी हुई थी, जबकि फ्लाईओवर के ऊपर कंक्रीट के बड़े-बड़े बोल्डर रखकर और बैरिकेड आदि लगाकर दिल्ली की तरफ आने का रास्ता बंद किया गया था और नीचे भी कंटेनर रखकर अक्षरधाम की तरफ आगे आने का रूट बंद कर दिया गया था, लेकिन 10 मिनट के अंदर ही अचानक तस्वीर बदल गई। फ्लाईओवर के ऊपर किसानों के एक जत्थे ने ट्रैक्टर से टक्कर मारते हुए बैरिकेड तोड़कर और बोल्डों को एक तरफ खिसकाकर रास्ता बनाते हुए दिल्ली की तरफ आगे बढऩा शुरू कर दिया। यह देखते हुई पुलिस अधिकारी भी सकते में आ गये। लगभग 8-10 ट्रैक्टरों के साथ 100 से ज्यादा किसान फ्लाईओवर पार करते हुए रोड नंबर आईपी एक्सटेंशन की तरफ जाने वाली रोड के सामने तक आ गये। उनके पीछे-पीछे पुलिसवाले दौड़ते हुए आये और किसी तरह उन्हें रोका। इस बीच पूर्वी जिला के डीसीपी दीपक यादव भी दलबल के साथ वहां पहंच गये और लाउडस्पीकर के जरिये किसानों से शांति बनाये रखने और तय रूट पर जाने की अपील करने लगे। 15-20 बाद पीछे से किसानों के कुछ और जत्थे भी यहां पहुंच गए और फिर तेज रफ्तार में ट्रैक्टरों को दौड़ाते हुए किसान एनएच-24 से होते हुए देखते ही देखते अक्षरधाम के पास नोएडा मोड़ तक पहुंच गये। अक्षरधाम फ्लाईओवर के पास भी तगड़े इंतजाम किये गये थे। यहां सड़क के बीचो बीच सैकड़ों बैरिकेड एक के पीछे एक खड़े करके रास्ता अवरुद्ध किया गया था। उनके पीछे टाटा-407 टेंपो और डीटीसी की बसें खड़ी कर दी गई थीं। पुलिस को उम्मीद थी कि किसान इस पॉइंट से आगे नहीं बढ़ पायेंगे, लेकिन दिल्ली में घुस कर चुके किसान रुकने के लिए तैयार नहीं थे। जैसे ही उन्होंने आगे बढऩे की कोशिश की, तो फुट ओवरब्रिज पर खड़े दिल्ली पुलिस और सिविल डिफेंस के जवानों ने आंसू गैस के गोले दागने शुरू कर दिये। कुछ प्रदर्शनकारियों छोड़े आंसू गैस के गोले उठाकर पुलिसवालों पर ही फेंकने शुरू कर दिये, जिसकी वजह से पुलिसवाले भी तितर-बितर हो गये। इस पॉइंट पर काफी देर तक पुलिस और किसानों के बीच मुठभेड़ चलती रही। कभी किसान एकदम से ट्रैक्टर दौड़ाते हुए बैरिकेड की तरफ आते, तो कभी पुलिस लाठीचार्ज करके उन्हें पीछे खदेड़ देती। यहां कुछ निहंग तलवारें लहराते हुए पुलिसवालों को डराते भी नजर आये। इस दौरान कुछ पुलिसवालों और प्रदर्शनकारियों को चोटें भी लगीं। इसके बाद कुछ देर के लिए माहौल शांत हो गया, लेकिन कुछ देर बाद जैसे ही पीछे से बड़ी तादाद में किसान यहां पहुंचे, वैसे ही किसानों ने अपने ट्रैक्टर पुलिस की तरफ दौड़ा दिये। पुलिसवालों को अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागना पड़ा। बाइक, कार और ट्रैक्टर में सवाल किसानों के जत्थे अक्षरधाम की तरफ आगे बढ़ गए और पुलिस देखती रह गई। गाजीपुर बॉर्डर से निजामुद्दीन फ्लाईओवर होते हुए यूपी और उत्तराखंड से आये किसान आंदोलनकारी मिलेनियम पार्क होते हुए विकास मीनार से बाएं तरफ मुड़कर लाला रामचरण चौक को पार कर तिलक ब्रिज और आंध्रा स्कूल तक पहुंच गये। दिल्ली पुलिस ने दोनों तरफ बैरिकेड लगा रखे थे।