पितृपक्ष 20 से, लाखों लोग आते है गया पिंडदान करने
गया। कोरोना महामारी की वजह से बिहार के गया में लगने वाले विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले पर इस साल भी संशय बरकरार है। पिछले साल भी यह मेला कोरोना की वजह से आयोजित नहीं हुआ था और इस साल भी सरकार पितृपक्ष मेला आयोजित करने की मूड में नहीं है। पंडा समुदाय का कहना है कोरोना टेस्ट कराने और कोविड वैक्सीन लगवा लेने वाले श्रद्धालुओं के लिए मेला आयोजित करना चाहिए।
दरअसल गया में पितृपक्ष मेले को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। पितृपक्ष शुरू होने में अभी कुछ दिन शेष रह गए हैं, फिर भी सरकार और जिला प्रशासन की ओर से कोई भी तैयारी ही नहीं शुरू हुई है। यहां तक कि पितृपक्ष में आने वाले तीर्थयात्री अपने पंडों से संपर्क कर रहे हैं, लेकिन पंडे भी उन्हें कुछ बता पाने की स्थिति में नहीं हैं। पितृपक्ष को लेकर अभी तक संशय की स्थिति बनी हुई है।
विष्णुपद मंदिर प्रबंध कारिणी समिति के सदस्य महेश लाल गुप्त ने कहा कि पितृपक्ष में हर तबके के लोग जुड़ते हैं। कई पिंडदानी तो बाहर से भी आते हैं और इसे मेले से गया के व्यवसायियों से जुड़े रहते हैं। इस बार पिंडदान की अनुमति देनी चाहिए। पितृपक्ष मेला से जुड़े व्यवसायियों ने बताया कि पिछले साल भी हम लोगों को काफी घाटा हो चुका था। इस बार भी अगर पितृपक्ष मेला नहीं होता है तो काफी समस्या उत्पन्न हो जाएगी। पितृपक्ष होने से हम लोगों का रोजगार चलता है हम लोग भी सरकार से मांग करते हैं कि पितृपक्ष की अनुमति दी जाए।
आपको बता दें कि पितृपक्ष के दौरान लाखों लोग अपने पितरों की मुक्ति के लिए गयाजी में पिंडदान करने आते हैं। यहां तक कि विदेशी लोग भी गयाजी में पिंडदान करने आते हैं। गयाजी में 20 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत हो रही है। त्रिपाक्षिक श्राद्ध करने वाले पिंडदानी 19 सितंबर से ही पुनपुन नदी से श्राद्ध कर्म शुरू करेंगे, लेकिन क्या इस बार पिंडदान होगा या नही इस पर संशय बरकरार है। सभी लोग सरकार की ओर टकटकी लागये बैठे हुए हैं।
वैसे तो गयाजी मे सालों भर पिंडदान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है लेकिन पितृपक्ष में पिंडदान करने का अलग ही महत्व है। मान्यता है कि यह पक्ष पितरों का होता है। इस पक्ष में पितृ गया में वास करते हैं। इस पक्ष में पिंडदान करने से उन्हें तुरंत मोक्ष की प्राप्ति होती है।