जगह-जगह शुरू हुई दारू-मुर्गाकी पार्टी
आजमगढ़। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही बन्टी-बबली की पूछ होना शुरू हो गयी है। फिलहाल आम लोगों की चहेती लैला गांव से गायब है। इसके साथ ही प्रधान पद के प्रत्याशियों की जेब ढीली होने का सिलसिला शुरू हो गया है। अन्य पदों के प्रत्याशी भी आम मतदाताओं के बीच चाय-नाश्ते पर कुछ धन खर्च कर रहे हैं। सभी पदों के सम्भावित उम्मीदवार आम मतदाताओं से अधिक गांव के मठाधीशों के पास अपना अधिक समय व्यतीत कर रहे हैं और उनकी अनुकम्पा पाने के लिए लालायित हैं। यूपी में पंचायत चुनाव 15 मार्च से 30 मार्च के बीच होना तय हो चुका है। इसके मद्देनजर प्रशासन की ओर से अपने स्तर से जोर-शोर से तैयारियां की जा रही हैं। पंचायत चुनाव में विभिन्न पदों के दावेदार गांवों में अपने स्तर से गोलबन्दी करना शुरू कर दिये हैं। हर प्रत्याशी की ओर से अपने तरीके से सेनाएं सजायी जा रही है और अपने अति करीबी को चुनावी सेनापति की तरह से प्रस्तुत किया जा रहा है। सम्भावित दावेदारों के समर्थक लोगों के दरवाजे पर जाकर बैठकी लगाना शुरू कर दिये हैं और अपने प्रत्याशी की अच्छाइयां गिनाने के साथ ही विपक्षी के सात पुस्त तक की बुराइयां गिनाने का सिलसिला जारी कर दिये हैं। आम मतदाता भी सभी की हां में हां मिला रहा है। यह अलग बात है कि किसी भी सम्भावित उम्मीदवार या उसके समर्थक के सामने आम आदमी अपना कोई मन्तव्य नहीं दे रहा है। इन स्थितियों के बीच सम्भावित उम्मीदवार और उसके समर्थक काफी परेशान भी नजर आ रहे हैं। चुनाव में आम मतदाताओं से अधिक गांव के मठाधीशों व दबंगों की पूछ है। यह सम्भावित उम्मीदवार गांव के मठाधीशों व दबंगों के रहमत का बादल अपने खेमे में बरसाना चाह रहे हैं। यह अलग बात है कि यह मठाधीश व दबंग भी अभी पैरा मीटर लगाकर सभी प्रत्याशियों का पैमाना नाप रहे हैं। सबसे मजे में गांव के परजीवी नागरिक हैं। यह परजीवी नागरिक न तो कभी काम किये हैं और न ही आगे कभी काम करने की इनकी कोई तमन्ना है। सभी प्रत्याशियों के लिए यह सर्व सुलभ भी हैं। जिस भी प्रत्याशी ने दारू-मुर्गा देने के साथ इनकी जेबें गरम कर दी उसका जयकारा लगा दे रहे हैं। अगली गली में जाने के बाद यदि इन परजीवी नागरिकों को दूसरा सम्भावित उम्मीदवार मिल जा रहा है और वह भी पहले वाले सम्भावित उम्मीदवार की तरह उनकी आवभगत कर दे रहा है तो उसकी भी जयकारा लगाने में उन्हें कोई गुरेज नहीं है। सब मिलाकर गांव पूरी तरह से चुनावी रंग में रंग चुका है। इसके साथ ही जगह-जगह मुर्गा दारू का दौर शुरू हो चुका है। कुछ विशेष लोगों के लिए यह सम्भावित उम्मीदवार मुर्गे के साथ अंग्रेजी दारू की व्यवस्था कर रहे हैं। इसके विपरीत आम आदमी की पसन्द बन्टी-बबली मतदाताओं के बीच जमकर बांटी जा रही है। कुछ मतदाता सम्भावित उम्मीदवारों से अपनी चहेती देशी दारू लैला की डिमाण्ड कर रहे हैं। यह अलग बात है कि सरकारी देशी शराब के ठेकों से सबकी चहेती लैला गायब है।