सम्पादकीय

धमाकोंकी विस्तृत जांच जरूरी


राजेश माहेश्वरी

गणतंत्र दिवससे जुड़े कार्यक्रमों और किसान आन्दोलनके मद्देनजर राजधानीमें सुरक्षाके सख्त बंदोबस्तके बीच इसरायली दूतावासके पास २९ जनवरीको हुए बम धमाके सुरक्षा व्यवस्थाकी पोल खोलनेके लिए काफी हैं। ये ब्लास्ट भारत और इसरायल राजनयिक संबंधकी २९वीं वर्षगांठपर हुआ है। ऐसेमें इस धमाकेका संबंध अंतरराष्टï्रीय राजनीति और हमारी विदेश नीतिसे सीधे तौरपर जुड़ जाता है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि सर्तकता और व्यवस्थाके बावजूद वीआईपी क्षेत्रमें बम धमाका कई गंभीर पश्न खड़े करता है। जिस समय ये विस्फोट हुआ उस समय राजपथपर गणतंत्र दिवसका समापन समारोह बीटिंग दि रिट्रीट चल रहा था जिसमें राष्टï्रपति, उपराष्टï्रपति और प्रधान मन्त्री सहित तमाम अति विशिष्टïजन मौजूद थे। दूतावासवाले इलाकेमें हर समय कड़ी सुरक्षा रहती है इसलिए इस धमाकेसे चारों तरफ हड़कम्प मच गया। जांच दलको वहां इसरायली दूतावासको संबोधित एक चि_ी भी मिली जिसमें इसे ट्रेलर बताया गया है। चि_ीमें ईरानके उस जनरल कासिम सुलेमानीका भी जिक्र है, जिनकी ३ जनवरी, २०२० को इराकमें बगदाद एयरपोर्टके पास ड्रोन हमलेमें हत्या कर दी गयी थी। इस लिहाजसे जांच एजेंसियां इस धमाकेमें ईरान कनेक्शनकी भी तलाश कर रही है।

रिपोट्र्सके मुताबिक मैसेजिंग एप्लीकेशन टेलीग्रामपर प्राप्त हुए संदेश (मैसेज) से इसका दावा किया गया है। इसमें लिखा है, सबसे ताकतवर अल्लाहकी रहमत और मददसे, जैश उल हिन्दके सैनिकोंने दिल्लीके अति सुरक्षित क्षेत्रमें घुसपैठ की और हमलेको अंजाम दिया। इसके बाद कई प्रमुख शहर निशानेपर होंगे। यह तो बस एक शुरुआत है। ऐसेमें इस ब्लास्टके पीछे कई सवाल भी खड़े होते हैं। जिनके जवाब जांचके बाद ही सामने आयंगे। इस धमाकेसे पूर्व इसरायली दूतावासकी कारमें वर्ष २०१२ की फरवरीमें बम धमाका हुआ था। बदमाशोंने दोपहर करीब साढ़े तीन बजे इस घटनाको अंजाम दिया था। दिल्ली पुलिसके मुताबिक सफदरजंग रोडपर बाइकपर सवार होकर दो हमलावर दूतावासके पास आये थे। दूतावासकी इनोवा गाड़ीकी खिड़कीपर कुछ चिपकाकर फरार हो गये। इसके कुछ मिनटों बाद ही धमाका हो गया। जिसमें कारमें सवार एक इसरायली राजनयिककी पत्नी येहोशुआ कोरेन गम्भीर रूपसे घायल हो गयी थीं। इसी दिन जॉर्जियाकी राजधानी तिब्लिसीमें भी इसरायली दूतावासके बाहर विस्फोटक बरामद हुआ था। जिसे सुरक्षाबलोंने निष्क्रिय कर दिया था। कुछ दिनों पहले थाईलैंड और अजरबैजानमें भी इसरायली दूतावासको निशाना बनाया गया था। थाईलैंड पुलिसने तो धमाकेको लेकर ईरानके एक नागरिकको गिरफ्तार भी किया था। दिल्ली पुलिसने ७ मार्च २०१२ को इस मामलेमें जर्नलिस्ट मोहम्मद अहमद काजमीको गिरफ्तार किया था। वह ईरानी मीडिया समूहके लिए काम करते था। दिल्ली पुलिसने दावा किया था कि उसने तीन ईरानी नागरिकोंके साथ मिल धमाकेको अंजाम दिया था। जुलाई २०१२ में दिल्ली पुलिस इस नतीजेपर पहुंची थी कि आतंकी ईरानकी मिलिट्री और ईरानी रिवोल्यूशनरी गाड्र्ससे जुए हुए थे।

वास्तवमें खुफिया एजेंसियोंने गणतंत्र दिवसपर दिल्लीमें किसी बड़ी वारदातकी आशंका जतायी थी। इसके चलते सुरक्षा प्रबंध काफी चाक-चौबंद कर दिये गये थे। यूं भी ऐसे अवसरोंपर अव्वल दर्जेकी सतर्कता रखी जाती है। प्राथमिक संकेतमें इस विस्फोटके पीछे ईरान और अमेरिकाके बीच चल रही तनातनीको कारण माना जा रहा है। चूंकि इसरायल पश्चिम एशियामें अमेरिकाका सबसे बड़ा समर्थक है इसलिए उसके दूतावासको निशाना बनाया गया। इसके साथ ही ईरान द्वारा भारतको ये आगाह करना भी हो सकता है कि वह उसकी कीमतपर यदि इसरायल और अमेरिकासे नजदीकी बढ़ायगा तो उसे नुकसान हो सकता है। काबिलेगौर है कि भारत और ईरानके आपसी रिश्ते बहुत मधुर रहे जिसका उदहारण सस्ता तेल आयात था लेकिन अमेरिकाके दबावमें वह समझौता खटाईमें पडऩेसे ईरानने चीनकी तरफ झुकाव प्रदर्शित किया। हालांकि सीधे-सीधे ईरानपर संदेह करना जल्दबाजी होगी क्योंकि आतंकवादी संघटन अक्सर जांचको भटकानेके लिए भ्रम पैदा करते हैं।

इसरायलके प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहूने नयी दिल्ली स्थित इसरायली दूतावासके बाहर २९ जनवरीको हुई विस्फोटकी घटनाको लेकर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदीसे बात की और अपने देशके प्रतिनिधियोंकी सुरक्षाके लिए किये गये उपायोंके लिए उन्हें धन्यवाद भी कहा है। प्रधान मंत्री मोदीने इसरायलके प्रधान मंत्रीको आश्वस्त किया है कि भारत दिल्लीमें आतंकी हमलेके दोषियोंको तलाशने और दंडित करनेके लिए अपने सभी संसाधनोंका इस्तेमाल करेगा। इस धमाकेके पीछे पाकिस्तानकी भूमिकासे भी इनकार नहीं किया जा सकता, जो कश्मीरके रास्ते अब भी आतंकवादको बढ़ा रहा है। वेस्ट एशियामें इसरायल द्वारा हालमें संयुक्त अरब अमीरातके साथ दोस्ताना समझौतेसे काफी गहमागहमीका वातावरण है। भारत और इसरायलकी दोस्ती भी तमाम देशोंको खटकती है। इस बातकी बड़ी संभावना है कि यह ईरानको बर्दाश्त न हो लेकिन वह भविष्यमें अपने हितोंके दृष्टिïगत भारतसे सीधे तौरपर उलझना नहीं चाहेगा। ऐसेमें इस धमाकेकी सूक्ष्म जांच जरूरी है क्योंकि धमाका करनेवालोंने ट्रेलरकी बात कहकर चेतावनी भी दी है। इस्लामी जगतमें आतंकवादके इतने चेहरे हैं कि उनकी स्पष्टï पहचान कर पाना आसान नहीं है। दिल्लीमें चल रहे आन्दोलनके कारण यूं भी लाखोंकी भीड़ है जिससे पुलिस और प्रशासन दोनों अतिरिक्त दबावमें हैं। आन्दोलनकी आड़में पाकिस्तान प्रायोजित आंतकी संघटन देशमें गड़बड़ीका माहौल कायम करना चाहेंगे। ऐसेमें इस तरहकी वारदातके पीछे छिपे बड़े खतरेको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। दरअसर आतंकी संघटन देशकी शांति-व्यवस्थाको भंग करनेके मंसूबे काफी समयसे बांध रहे हैं। लेकिन सुरक्षाबलोंकी चौकसीके चलते वह उनमें कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। ऐसेमें इसरायली दूतावासके बाहर हुए धमाकोंकी गंभीर और विस्तृत जांच जरूरी है।