- प्रति वर्ष 50 करोड़ लीटर उत्पादन का लक्ष्य
- राज्य में औद्योगिक क्रांति के साथ बढ़ेगी किसानों की आमदनी
(आज समाचार सेवा)
पटना। राज्य के उद्योगमंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन ने शुक्रवार को स्थानीय होटल में आयोजित एक भीड़ भरे संवाददाता सम्मेलन में राज्य की इथेनॉल उत्पादन प्रोत्साहन नीति २०२१ को जारी किया। तत्काल प्रभाव से यह नीति लागू हो गयी। उन्होंने बताया कि इथेनॉल उत्पादन प्रोत्साहन नीति लागू करने वाला बिहार देश का पहला राज्य बन चुका है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने २००६ में ही इस दिशा में अपनी सोच बनायी थी, लेकिन इस पर आज मुहर लगी। जो औद्योगिक क्रांति श्री बाबू के नेतृत्व में आयी थी, उसी दिशा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
उद्योग मंत्री ने कहा कि इथेनॉल उत्पादन से बिहार में डालर आयेगा जो लोग कहते हैं कि बिहार में उद्योग नहीं लगाया जा सकता वे अपना विचार बदल लें। बिहार सरकार के अधिकारी जितनी तत्परता और तेजी से काम करते हैं, उतनी तेजी से केन्द्र के अधिकारी नहीं करते हैं।
इन्वेस्टरों को उन्होंने भरोसा दिलाया कि रेड कापोट बिछा कर उनका स्वागत किया जायेगा। सात कार्य दिवसों में उनका सारा काम क्लियर मिलेगा। सभी डिपार्टमेंट मिलकर एक साथ क्लिचरिंग मिलेगा। कार्यक्रम में उद्योग विभाग बिहार के अपर मुख्य सचिव ब्रजेश महरोत्रा, कमिश्नर रविशंकर श्रीवास्तव, डारेक्टर इंडस्ट्रीज पंकज कुमार, इन्वेस्टमेंट कमिश्नर आर.एन. श्रीवास्तव, सचिव नर्मदेश्वर लाल, चैम्बर अध्यक्ष पी.के. अग्रवाल, बीआईए अध्यक्ष, राजेश कुमार, सच्चिदानंद, राकेश गुप्ता, अजय मंगल आदि निवेशक मौजूद थे।
श्री शाहनवाज ने कहा कि बिहार सरकार निवेश अनुकूल वातावरण निर्माण के लिए सतत् प्रयत्नशील है। राज्य में निवेश को सुगम बनाने, रोजगार उत्पन्न करने एवं जन कल्याण के लिए राज्य ने सर्वोत्तम प्रक्रियाओं को अपनाया है। इस दिशा में विभिन्न प्रकार की पहल जैसे- राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद, सिंगल विण्डो क्लियरेंस एवं विभिन्न विभागों एवं सरकारी एजेन्सियों द्वारा अपनाये गये ऑनलाइन भुगतान, ऑनलाइन सत्यापन, स्वप्रमाणन, अनुज्ञप्तियों एवं स्वीकृतियों का समयबद्ध अनुमोदन, ऑनलाइन सूचनाओं की उपलब्धता, अनुमोदन हेतु मानक संचालन प्रक्रिया, डीम्ड अनुमोदन इत्यादि उपाय महत्वपूर्ण हैं।
उन्होंने कहा कि इथेनॉल उत्पादन प्रोत्साहन नीति-२०२१ को उद्योग विशेषज्ञों, उद्योग संघों, निवेशकों, विषय विशेषज्ञों से गहन विचार-विमर्श के उपरान्त तैयार किया गया है। इस नीति को राज्य में संभावित निवेशकों के लिए इथेनॉल उत्पादन को ज्यादा आकर्षक बनाने हेतु प्रस्तावित किया गया है। इस नीति का उद्देश्य इथेनॉल उत्पादक उद्योगों के विकास को बढ़ावा देने हेतु सरकार के मिशन की विस्तृत रूप-रेखा को परिभाषित करना है।
स्थायी और वैकल्पिक ईंधन को प्रोत्साहित करने तथा जीवाश्म ईंधन तेल के आयात पर भारत की निर्भरता को कम करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने कई पहल की है जिनमें नियंत्रित मूल्य तंत्र, इथेनॉल उत्पादन के लिए वैकल्पिक मार्ग खोलने, उद्योग (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, १९५० जो भारत सरकार द्वारा विकृतिक इथेनज्ञॅल के लिए विनियामक है, में संशोधन, लागू माल एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) को १८ प्रतिशत से घटाकर ५ प्रतिशत किया जाना, राष्ट्रीय बायो-फ्यूल नीति-२०१८ को अधिसूचित किया जाना, इथेनॉल की अधिप्राप्ति के लिये कच्चे माल की व्याप्ति का विस्तार एवं अप्रैल, २०१९ के प्रभाव से इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (इ.बी.पी.) कार्यक्रम का अंडमान एवं निकोबार तथा लक्षद्वीप को छोडक़र पूरे भारत में विस्तार शामिल है।
उद्योग मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय बायो-फ्यूल नीति, २०१८ में बी-हेवी मोलासेस (छोआ), गन्ना जूस एवं क्षतिग्रस्त खाद्यान जैसे-गेहूं, ब्रोकन राईस (खुद्दी) इत्यादि जो मानव खपत के लिए अनुपयुक्त हैं, से इथेनॉल उत्पादन की अनुमति दी है। खाद्यान के संबंध में राष्ट्रीय बायो-फ्यूल समन्वय समिति (एन.बी.सी.सी) को आगामी वर्ष के आकलित आपूर्ति के आधार पर विशिष्ट कच्चे माल की अनुमति देने हेतु अधिकृत किया गया था। बाद में एन.बी.सी.सी. द्वारा भारतीय खाद्य निगम (एफ.सी.आई.) के पास अधिशेष चावल एवं मक्के से इथेनॉल उत्पादन की अनुमति दी गयी है।
पारंपरिक रूप से बिहार भारत में गन्ना उत्नादन में अग्रणी रहा है एवं साथ ही यहां अधिसंख्यक छोआ आधारित आसवन इकाइयां स्थापित है। राज्य में गन्ना जूस, मकई तथा टूटे चावल का फीड-स्टॉक के रूप में उपयोग कर इथेनॉल उत्पादन में वृद्घि की पर्याप्त संभावना है। राष्ट्रीय बायो-फ्यूल नीति, २०१८ एवं बाद की भारत सरकार की उद्घोषनाएं बिहार जैसे राज्यों जहां गन्ना, मक्का तथा चावल जैसे बहुत सारे कच्चे माल उपलब्ध हैं, इसमें इथेनॉल उत्पादन में वृद्धि हेतु अनुकुल नियामक एवं संस्थागत पर्यावरणीय प्रणाली प्रदान करते हैं।