जातीय जनगणना को लेकर फिर आग्रह करेंगे
(आज समाचार सेवा)
पटना। पेगासस जासूसी मामले पर अब विपक्ष को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भी साथ मिल गया है। सीएम नीतीश कुमार ने कहा है कि पेगासस केस की निश्चित तौर पर जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम टेलीफोन टैपिंग के मामले कई दिनों से सुन रहे हैं। ऐसे में जांच होनी चाहिए। सोमवार को जनता दरबार खत्म होने के बाद सीएम नीतीश ने मीडिया के साथ बातचीत के दौरान ये बातें कहीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि फोन टैपिंग की बात काफी दिनों से सामने आ रही है। इस पर पहले ही चर्चा हो जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरी समझ से इससे जुड़े एक-एक पहलु को देखकर उचित कदम उठाया जाना चाहिए। फोन टैपिंग को लेकर पार्लियामेंट में कुछ सदस्यों ने अपनी बातें रखी हैं। फोन टैपिंग से जुड़े सभी पहलु की जांच करके सच्चाई बाहर आनी चाहिए। फोन टैपिंग को लेकर सरकार ने अपना जवाब पार्लियामेंट में दिया है।
श्री उपेन्द्र कुशवाहा द्वारा उन्हें पीएम मैटेरियल बताये जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वे हमारी पार्टी के साथी हैं, वे कुछ भी बोल देते हैं लेकिन हमारे बारे में ये सब बोलने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि हम तो सेवक हैं जनता की सेवा कर रहे हैं। ऐसी मेरी कोई न तो आकांक्षा है और न ही कोई इच्छा है।
गठबंधन सरकार चलाने में मुश्किल होती है, हमलोगों की कोई बात नहीं सुन रहा है, पंचायतीराज मंत्री सम्राट चौधरी के इस बयान से संबंधित पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे पता नहीं है। ये सवाल उन्हीं से पूछिए। हम क्या बता सकते हैं। हमने इस बयान को देखा नहीं है। किसकी बात कौन नहीं सुन रहा है। किससे बात करते हैं, कौन नहीं सुन रहा है, ये तो हमको पता नहीं है। गठबंधन की सरकार बहुत दिनों से एक दूसरे के साथ मिलकर अच्छे से काम कर रही है। गठबंधन में यहां तो ऐसी कोई बात नहीं है।
जातीय जनगणना को लेकर सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जातीय जनगणना को लेकर बिहार विधानमंडल से वर्ष २०१९ और २०२० में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कर केन्द्र सरकार को भेजा था। इसको लेकर हमलोग हमेशा अपनी बात को रखते रहे हैं, लेकिन इस बार विपक्ष की तरफ से एक सुझाव आया कि सबलोगों को मिलकर प्रधानमंत्री जी से अपनी बात कहनी चाहिए। विपक्षी दलों के नेता हमसे मिले और हमने इस बात पर अपनी सहमति दी। इसको लेकर पत्र भेजने और मिलने के लिये आज ही हम बात कर लेंगे। इस संबंध में कई दलों के लोगों से बातचीत हो चुकी है और मेरे हिसाब से भाजपा को भी इस बात के लिये इंटिमेट किया जा चुका है। क्या करना है और क्या नहीं करना है, ये तो केन्द्र सरकार के ऊपर निर्भर है।
जातीय जनगणना को लेकर भाजपा से तनाव के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि ये गलत बात है, कोई तनाव नहीं है। समाज में इससे खुशी होगी। जातीय जनगणना हो जायेगी तो समाज में सभी तबके के लोगों को संतोष होगा। हमलोगों को अपना विचार रखना है कितने राज्यों का ये विचार है, कितने राज्यों से कहा जा रहा है लेकिन इस पर आप ये मत समझिये कि किसी जाति को अच्छा लगेगा या किसी को खराब लगेगा। ये सभी के हित में है। जातीय जनगणना अंग्रेजों के जमाने में भी होती थी। अब एक बार जातीय जनगणना हो जायेगा तो अच्छा होगा। इससे एक-एक चीज की जानकारी मिलेगी।
उन्होंने कहा कि जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जातीय जनगणना की मांग को लेकर प्रस्ताव पास किया गया है। हमारी पार्टी के सभी सांसदों ने प्रधानमंत्री से मिलने को लेकर भी पत्र दिया है। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी समेत सभी पार्टियों में सभी जाति और धर्म के लोग हैं, अपर कास्ट, बैकवर्ड कास्ट, अनुसूचित जाति/जनजाति समेत सभी धर्मों के लोग हैं। अगर जातीय जनगणना को लेकर समाज में किसी प्रकार का डिस्टर्वेंस होती तो विधानमंडल में सभी दल इसका समर्थन नहीं करते।
केन्द्र सरकार द्वारा जातीय जनगणना की मांग को फिर से खारिज किये जाने की स्थिति में राज्य सरकार द्वारा अपने स्तर से इसे कराने के सवाल पर जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोगों का ये ऑप्शन हमेशा ओपेन रहेगा। ये बिल्कुल सही है। हमने तो १९९० में इसको लेकर बात की थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष २०११ में केन्द्र सरकार की ओर से सामाजिक, आर्थिक और जाति आधारित जनगणना करायी गयी थी, जिसमें बहुत सारी विसंगतयां थीं, जिसके कारण उसकी रिपोर्ट जारी नहीं की गयी। हमलोग चाहते थे कि उसकी रिपोर्ट को पब्लिश किया जाय। उस समय कहा गया था कि उसके आंकड़े ठीक नहीं थे तो अभी जनगणना के साथ जातीय गणना भी करा दिया जाय।